Badrinath Dham | उत्तराखंड में अलकनंदा नदी के बाएं तरफ बसे पावन तीर्थ बद्रीनाथ धाम भक्तों की अपार श्रद्धा और आस्था का केंद्र है जो कि हिंदुओं के चार प्रमुख धर्मों में से यह तीर्थ स्थल नर और नारायण पर्वत श्रृंखलाओं की गोद में बसा हुआ है. पुराणों में बद्रीनाथ धाम को ब्रह्मकपाल तीर्थ के नाम से जाना जाता है जो कि भगवान विष्णु को समर्पित है और यह वही धाम है जहां पर भगवान शिव को ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिली थी इन्हीं सब कारणों से यह धाम हिंदू धर्म अनुयायियों के लिए काफी महत्व होता है. धार्मिक मान्यता है कि सतयुग तक यहां भगवान विष्णु के साक्षात दर्शन सभी भक्तों को हुआ करते थे त्रेता युग में यहां केवल देवताओं साधुओं को ही भगवान के साक्षात दर्शन होते थे लेकिन त्रेता युग से यहां भगवान ने यह नियम बनाया कि वह अब से यहां केवल देवताओं को ही दर्शन देंगे और बाकी को उनके विग्रह रूप में दर्शन होंगे.
बद्रीनाथ श्रद्धालु और भक्तों के दर्शन के लिए अप्रैल – मई से लेकर अक्टूबर – नवंबर तक खुला रहता है लेकिन सर्दियों के महीने में इसके कपाट बंद कर दिए जाते हैं और इस साल बद्रीनाथ धाम की कपाट 12 मई को खुलेंगे और उसी दिन से श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे बद्रीनाथ के बारे में ऐसी मान्यता है कि इस धाम पर 6 महीने ग्रीष्मकाल में मनुष्य और 6 महीने शीतकाल में देवता पूजा किया करते हैं. जब बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलते हैं तो उस समय वहां एक अखंड ज्योति जलती रहती है धार्मिक मान्यता है कि 6 महीने तक कपाट बंद रहने पर इस दीपक को देवता जलाए रखते हैं यही कारण है कि इस दीपक के दर्शन का भी श्रद्धालुओं में काफी विशेष महत्व हैं.
Badrinath Dham | तो चलिए जानते हैं बद्रीनाथ धाम से जुड़े रहस्य को :
1) बद्रीनाथ धाम की मूर्ति की विशेषता :
बद्रीनाथ मंदिर में भगवान विष्णु के साथ भगवान के नर नारायण रूप की भी पूजा की जाती है क्योंकि मान्यता है कि यहां भगवान ने नर और नारायण के रूप में तपस्या की थी यही कारण है कि मंदिर के गर्भगृह में श्री हरि विष्णु के साथ नर और नारायण की भी ध्यानावस्था में मूर्ति स्थापित है. मान्यता है कि बद्रीनाथ धाम में स्थित भगवान की मूर्ति जो की शालिग्राम पत्थर से बनी हुई है को आदि गुरु शंकराचार्य ने आठवीं सदी के आसपास नारद कुंड से निकालकर मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया था और कहा जाता है कि बद्रीनाथ के इस विग्रह को भगवान विष्णु की आठ स्वयंभू मूर्तियों में से एक माना जाता हैं और भगवान की इस मूर्ति की पूजा को लेकर एक धार्मिक मान्यता है की मूर्ति का स्पर्श कोई भी नहीं कर सकता मूर्ति को केवल दक्षिण भारतीय के पुजारी जिनको रावल कहा जाता है वही इस मूर्ति को स्पर्श कर सकते हैं.
2) बद्रीनाथ धाम की पूजा का अधिकार रावलों को प्राप्त है :
बद्रीनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी केरल के नंबूदरी ब्राह्मण होते हैं जिनको रावण कहा जाता है और यह आदि गुरु शंकराचार्य के वंशज माने जाते हैं. केरल के नंबूदरी ब्राह्मण से पूजा करने की पूरी व्यवस्था स्वयं आदि गुरु शंकराचार्य ने किया था यही कारण है कि बद्रीनाथ में पूजा का अधिकार भी उन्हीं की कुल को यानी रावलों को प्राप्त है लेकिन मंदिर के इस रावलों के लिए एक नियम है कि जब तक वह रावल रहेंगे ब्रह्मचारी बने रहेंगे क्योंकि बद्रीनाथ मंदिर की रावल को माता पार्वती का स्वरूप ही माना गया है और अगर किसी कारणवश रावल मंदिर में नहीं होते हैं तो उनकी अनुपस्थिति में डिमरी ब्राह्मण ही बद्रीनाथ की पूजा कर सकते हैं क्योंकि रावल के बाद इनको ही पूजा का अधिकार मिला है. मान्यता है कि जिस दिन मंदिरों के कपाट खोलते हैं उस दिन रावल माता पार्वती की तरह श्रृंगार किया करते हैं क्योंकि रावलों को देवी पार्वती का स्वरूप माना जाता हैं लेकिन इस अनुष्ठान को हर कोई नहीं देख सकता.
3) बद्रीनाथ धाम के दिव्य ज्योति का रहस्य :
बद्रीनाथ मंदिर का कपाट अप्रैल मई से लेकर अक्टूबर नवंबर तक खुला रहता है और सर्दियों के महीना में कपाट को बंद किया जाता है और मान्यता है कि जब सर्दियों के महीने में कपाट को बंद कर दिया जाता है तो इस समय देवता गण पूजा किया करते हैं और देवताओं के प्रतिनिधि के तौर पर नारद जी शीतकाल में बद्रीनाथ की पूजा करने के साथ ही अखंड ज्योति को जलाए रखते हैं यही कारण है कि जब बद्रीनाथ के कपाट खुलते हैं तो अखंड ज्योति के दर्शन का बड़ा ही विशेष महत्व होता है श्रद्धालु और भक्त अलौकिक ज्योति के दर्शन के लिए बड़ी श्रद्धा और विश्वास के साथ यहां आते हैं कहां जाता है कि जो इस अखंड अलौकिक ज्योति के दर्शन कर लेता है वह पाप मुक्त होकर मोक्ष का भागीदार बनता है.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
भगवान शिव को ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति कहा मिली थी ?
बद्रीनाथ धाम.
बद्रीनाथ मंदिर किस भगवान को समर्पित है?
भगवान विष्णु.
बद्रीनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी क्या कहलाते हैं ?
रावल.
बद्रीनाथ मंदिर के कपाट इस साल 2024 में कब खुलेंगे ?
12 मई 2024 को.
बद्रीनाथ मंदिर के कपाट संभावित कब बंद किया जाएगा ?
06 नवंबर 2024.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.