Navratri | कहा जाता हैं कि नवरात्र के पावन दिनों में दुर्गा माता धरती पर आती है और अपने भक्तों के घर में रहकर उन्हें शक्ति, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं. नवरात्र के नौ दिन तक कुछ भक्त नौ दिन का उपवास रखते है तो कुछ ऐसे भी भक्त होते हैं जो नवरात्र का पहला दिन, पंचमी और अष्टमी या फिर अंतिम दिन का उपवास रखते है और इन दिनों सिंघाड़े का आटा, कुटू का आटा, समक के चावल, साबूदाना, सेंधा नमक जैसे व्रत वाले भोजन या फल खाने का चलन हैं लेकिन इस नवरात्र में जो लोग उपवास नही रखते हैं वो सब भी इन दिनों सादा भोजन ही करते है. मान्यता है कि नवरात्रि के नौ दिनों में प्याज और लहसुन (onion and garlic) को खाने में शामिल नहीं करना चाहिए.
Navratri | नवरात्रि के दिनों में प्याज और लहसुन नहीं खाना चाहिए
आइए जानते है कि प्याज और लहसुन दोनों सब्जी होने के बावजूद भी इसे नवरात्र या किसी भी अन्य पूजा के समय खाने की मनाही क्यों होती हैं:
हिंदू धर्म की परम्परा में किसी भी पूजा पाठ के दौरान घर में प्याज और लहसुन (onion and garlic) का इस्तेमाल भोजन में करने की अनुमति नही होती हैं, इसके पीछे एक मुख्य कारण है लेकिन इसको जानने से पहले ये समझ लें कि भोजन को तीन श्रेणियों में बांटा गया है:
पहली श्रेणी (सात्विक भोजन) : इस भोजन से मन की शांति, संयम और पवित्रता जैसे गुण आते हैं.
दूसरी श्रेणी (राजसिक भोजन) : इस भोजन से जुनून और खुशी जैसे गुण पनपते हैं.
तीसरी श्रेणी (तामसिक भोजन) : इस भोजन के सेवन से अहंकार, क्रोध, जूनून और विनाश जैसे गुण उत्पन्न होते हैं.
प्याज और लहसुन तामसिक प्रवृत्ति के भोजन की श्रेणी में आते है. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार प्याज लहसुन जुनून, उत्तजेना और अज्ञानता को बढ़ावा देते है जिसके कारण अध्यात्मक की राह पर चलने में रुकावट होती हैं यहीं कारण है कि जो लोगों नवरात्रि में व्रत नहीं भी करते हो उन्हें भी राजसिक और तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए इस समय केवल सात्विक भोजन ही करना चाहिए.
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार प्याज और लहसुन (onion and garlic) खाने से शरीर में गर्मी आती हैं जिससे कि मन में कई प्रकार के विकार उत्पन्न होते हैं वहीं नवरात्र के नौ दिनों में दुर्गा माता की आराधना करने के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा की आवश्यकता होती हैं लेकिन प्याज लहसुन खाने से व्यक्ति अपने आप को एकाग्रचित नहीं कर पाता और वह पूजा पाठ की राह से भटक जाता है इतना ही नहीं व्रत के समय सोने की मनाही होती है और वैज्ञानिक कारण के अनुसार प्याज लहसुन खाने से सुस्ती आती है जिससे कि व्यक्ति को नींद आने लगती है यहीं कारण हैं कि नवरात्रि के दिनों के दौरान प्याज और लहसुन नहीं खाना चाहिए.
Navratri | अब जानते है इसके पीछे की पौराणिक कथा को:
पौराणिक कथा के अनुसार समुन्द्र मंथन से निकले अमृत को भगवान विष्णु मोहनी रूप में देवताओं को बाँट रहे थे तो दो राक्षस राहु केतु भी वहां आकर बैठ गए और भगवान विष्णु ने उन दोनों को देवता समझ कर अमृत की कुछ बूंदें दे दी लेकिन उन्हें तभी सूर्य और चंद्रमा ने बताया कि यह दोंनो राक्षस है किंतु तब तक भगवान उनके मुंह में अमृत की बूंद दे चुके थे ये बात सुनने के बाद भगवान विष्णु ने उन दोनों कर सिर ढाढ़स अलग कर दिए लेकिन उस समय तक उनके शरीर मे अमृत नहीं पहुंचा था इसलिए वो उसी समय जमीन पर गिरकर नष्ट हो गए लेकिन उनके मुख में अमृत पहुँच चुका था जिसके कारण उनके मुख अमर हो गए.
जब भगवान विष्णु ने उनके सिर काटे थे तो उनके सिर से कुछ बूंदे जमीन पर गिर गई थी जिनसे प्याज और लहसुन उपजे थे क्योंकि इन दोनों सब्जियों की उत्पत्ति अमृत की बूदों से हुई थी इसलिए यह बीमारियों को नष्ट करने में अमृत के समान हैं लेकिन राक्षसों के मुख से गिरने के कारण इनमे तेज गंध होती है यही वजह है कि इन्हें अपवित्र माना जाता हैं और यहीं कारण हैं कि इन दोनों यानि कि प्याज लहसुन को भगवान के भोग के इस्तेमाल नहीं किया जाता हैं, ऐसी मान्यता है कि जो प्यार लहसुन खाता है उनका शरीर राक्षसों के समान मजबूत हो जाता है इतना ही नहीं बुद्धि और विचार भी दूषित हो जाते हैं.
इस लेख के माध्यम से आप सभी जान ही गये कि नवरात्रि या किसी भी अन्य पूजा पाठ में प्याज और लहसुन खाने की मनाही क्यों होती हैं. अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो शेयर करे इसी तरह की और भी जानकारी के लिये जुड़े रहे madhuramhindi.com के साथ.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियां पर आधारित है madhuramhindi.com इसकी पुष्टि नहीं करता है..