Mandir Direction in Home as per Vastu | वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मंदिर को सबसे पवित्र स्थान माना जाता है. मंदिर में सारे देवी देवता निवास करते हैं घर के मंदिर में नियमित रूप से विधि विधान से पूजा अर्चना करने से सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और घर में सुख शांति बनी रहती हैं. घर के मंदिर से जुड़े वास्तु के कुछ नियमों को ध्यान में रखकर घर की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ा जा सकता है. घर में सही जगह और दिशा में मंदिर को होने से शुभ फलों की प्राप्ति होने के साथ घर में सुख शांति और खुशहाली आती हैं इसके अलावा घर के सभी सदस्य खुश और स्वस्थ रहते हैं.
Mandir Direction in Home as per Vastu | वास्तु के अनुसार घर में मंदिर किस दिशा में होना शुभ होता है :
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra for home) के अनुसार घर का मंदिर उत्तर – पूर्व दिशा यानि कि ईशान कोण में होना चाहिए क्योंकि इस दिशा में देवी – देवता निवास किया करते हैं इस कारण से यह दिशा सबसे पवित्र मानी जाती हैं मान्यता है कि इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और भगवान का आशीर्वाद परिवार पर बना रहने के साथ ही घर के सदस्यों की किस्मत भी चमकती हैं. इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि घर में मंदिर की दिशा दक्षिण दिशा की ओर भूलकर भी नही होनी चाहिए माना जाता है कि इससे घर में गरीबी छाया रहता है.
Vastu Tips for Home Mandir | आइए अब जानते हैं घर के मंदिर से जुड़े वास्तु के नियमों को :
1) देवी – देवताओं की मूर्ति :
वास्तु शास्त्र के अनुसार देवी – देवताओं की मूर्ति को कभी भी जमीन पर नहीं रखना चाहिए मंदिर में सात (7) इंच तक की लंबी मूर्ति को मंदिर में स्थपित करना चाहिए क्योंकि सात इंच से अधिक लंबी मूर्ति को घर के मंदिर में स्थापित करना शुभ नहीं माना जाता है इसके अलावा मंदिर में खंडित या फिर टूटी मूर्ति भी ना रखें.
2) मंदिर की दीवार बाथरूम से स्पर्श ना करें :
अगर मंदिर की दीवार बाथरूम से छू रही हो तो यह बेहद ही अशुभ होने के साथ ही यह नुकसानदायक भी हो सकता है इसलिए घर का मंदिर कभी भी स्नानघर के ऊपर, नीचे या फिर बगल में बनाना नहीं चाहिए.
3) देवी देवताओं की मुख की दिशा :
वास्तु शास्त्र के अनुसार मंदिर में स्थापित देवी देवताओं की मूर्ति की मुख की दिशा सदैव पश्चिम की ओर होने से शुभ माना जाता है और इसके साथ ही पूजा स्थल का द्वार पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए.
4) मंदिर को किचन या फिर बेडरूम में नहीं रखें :
वास्तु में माना जाता है कि मंदिर को कभी भी किचन या फिर बेडरूम में नहीं रखना चाहिए अगर विकट स्थिति में जगह कम होने से किचन या फिर बेडरूम में रखना पड़ रहा है तो ऐसी परिस्थिति में मंदिर को कुछ ऊँचाई में रखें.
5) पूजा करते समय दिशा का ध्यान रखें :
वास्तु के अनुसार पूजा करते समय मुख सदैव पूर्व दिशा की ओर होनी चाहिए मान्यता है कि इससे सुख – सौभाग्य में वृद्धि होती हैं तो वहीं पश्चिम दिशा की ओर मुख करके पूजा करने से धन में बढ़ोतरी होती हैं लेकिन भूलकर ही दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पूजा नहीं करनी चाहिए क्योंकि दक्षिण दिशा यमराज की दिशा मानी जाती है और इससे अशुभ फल की प्राप्ति होती हैं.
6) दीपक को जलाने की सही दिशा :
रोजाना पूजा के समय दीपक के साथ धूप भी जलाना चाहिए मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है लेकिन इस बात का ध्यान रखना है कि भूलकर भी मंदिर में दक्षिण दिशा में दीपक नहीं जलाएं क्योकि दक्षिण दिशा यमराज की दिशा होती है मान्यता है कि ऐसा करने से आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.
7) इन स्थानों पर मंदिर नहीं बनाएं :
वास्तु के अनुसार मंदिर को कभी भी मुख्य द्वार के समाने, शौचालय के पास और सीढ़ियों के नीचे नहीं बनवाएं क्योंकि मान्यता है कि यह अशुभ होता है और इससे जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
8) मंदिर में इन चीजों को रखें :
घर के मंदिर में मोरपंख, गंगाजल, शालिग्राम, शंख, घण्टी, चांदी या फिर पीतल की पूजा थाली रखना बहुत शुभ होता है इसके साथ ही रोजाना मंदिर की सफाई करें और मंदिर के बर्तनों को भी स्वच्छ रखें.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
घर का मंदिर किस दिशा में होना चाहिए ?
उत्तर पूर्व दिशा.
मंदिर में स्थापित भगवान की मूर्ति की दिशा किस ओर होनी चाहिए ?
पश्चिम दिशा की ओर.
कौन सी दिशा यमराज की मानी जाती हैं ?
दक्षिण दिशा.
मंदिर में मूर्ति की कितनी लम्बी होनी चाहिए ?
सात इंच.
पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करने से किस फल की प्राप्ति होती हैं ?
सुख सौभाग्य में वृद्धि.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.