Mahakaleshwar Jyotirlinga | उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के पीछे की पौराणिक कथा, कि कैसें प्रकट हुए महाकाल

Mahakaleshwar jyotirlinga

Mahakaleshwar Jyotirlinga | भगवान शिव के 12 (बारह) ज्योतिर्लिंग में से एक उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भक्तों के दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते हैं. महाकालेश्वर मंदिर मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित है इसके ऊपरी हिस्से में नाग चंदेश्वर मंदिर है, नीचे (मध्य)ओंकारेश्वर मंदिर और सबसे नीचे महाकाल मुख्य ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हैं. यहां भगवान शिव के साथ ही गणेशजी कार्तिकेय और माता पार्वती की मूर्तियों के भी दर्शन होते हैं इसके साथ ही यहां एक कुंड भी है जिसमें स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं.

Mahakaleshwar Jyotirlinga | महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा :

पौराणिक कथा के अनुसार अवंती नामक नगर में वेद नाम का एक ज्ञानी ब्राह्मण रहता था जो कि बहुत ही बुद्धिमान और कर्मकांड का ज्ञाता होने के साथ शिव भक्त भी थे. वो प्रतिदिन पार्थिव शिवलिंग बनाकर उनकी आराधना किया करता था वो हमेशा वेद के ज्ञानार्जन में लगा रहता था. उसे उसके कर्मो का पूरा फल भी प्राप्त हुआ था, वहीं दूसरी ओर रात्माल पर्वत पर दूषण नामक राक्षस था जिसे ब्रह्माजी से वरदान मिला था कि वो दिखाई नहीं देगा इसी वरदान के घमंड में वह राक्षस अवंती नगर के ब्राह्मणों को उनके धार्मिक कर्मकांडों को करने से रोकने लगा. राक्षस के इस तरह की हरकतों से परेशान होकर सभी ब्राह्मणों ने भगवान शंकर से अपनी रक्षा के लिए प्रार्थना करना शुरू कर दिया.

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ब्राह्मणों के इस अनुरोध विनय से भगवान शिव ने पहले तो राक्षस को चेतावनी दी किन्तु इस चेतावनी का उस पर कोई असर नहीं हुआ और एक दिन राक्षसों ने ब्राह्मणों पर आक्रमण कर दिया तब भगवान शिव इन ब्राह्मणों की रक्षा के लिए भगवान शिव ने धरती फाड़कर महाकाल के रूप में प्रकट हुए और फिर नाराज़ शिव ने अपनी एक हुंकार से ही दूषण राक्षस को भस्म कर दिया इसे देखकर सभी शिव भक्त ब्राह्मण अति प्रसन्न हुए और भगवान शिव को वहीं रुकने का निवेदन करने लगे.ब्राह्मणों के निवेदन से अभिभूत होकर भगवान शिव वहीं विराजमान हो गए इसी कारण से इस जगह का नाम महाकालेश्वर पड़ा जो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता हैं. 


FAQ – सामान्य प्रश्न

Mahakaleshwar Jyotirlinga कहां स्थित है ?

उज्जैन


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