Pausha Putrada Ekadashi Vrat Katha | संतान की लम्बी आयु और उसकी रक्षा के लिए पौष पुत्रदा एकादशी के दिन अवश्य पढ़ें इस व्रत कथा को.

Pausha Putrada Ekadashi Vrat Katha

Pausha Putrada Ekadashi Vrat Katha | पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा :

भद्रावती नामक नगर में सुकेतुमान नाम का एक राजा राज्य किया करता था उसकी पत्नी का नाम शैव्या था इनको कोई पुत्र नहीं था जिसके कारण रानी इनकी हमेशा चिंतित रहती थी राजा के पितर भी रो रोकर पिंड लिया करते और सोचते कि इसके बाद हमको कौन पिंड देगा राजा को भाई, बाँधव, धन, हाथी, घोड़े, राज्य और मंत्री इनमें से किसी से भी सन्तोष नहीं होता था. राजा हर पल यही विचार करता रहता कि मेरी मृत्यु के बाद मुझको कौन पिंडदान करेगा. पुत्र के बिना मैं पितरों और देवताओं का ऋण कैसे चुका पाऊंगा जिस घर में पुत्र न हो तो उस घर में हमेशा अंधेरा रहता है और जिस मनुष्य ने पुत्र का मुख देखा है वह धन्य है उसको इस लोक में यश और परलोक में शांति मिलती हैं यानि उसके दोनों लोक सुधर जाया करते हैं. पूर्व जन्म के कर्म से ही इस जन्म में पुत्र और धन सभी को पाता है. राजा यही सब सोचकर रात दिन चिंतित रहा करता था और इसी चिंता में राजा ने अपने शरीर को त्यागने का विचार किया किन्तु आत्महत्या को महान पाप समझकर उसने इस विचार की त्याग दिया.



FAQ – सामान्य प्रश्न

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कब रखा जाता हैं ?

पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को.

पुत्रदा एकादशी व्रत रखने से किस सुख की प्राप्ति होती हैं ?

संतान सुख.

पौष पुत्रदा एकादशी व्रत करने से किस यज्ञ के समान पुण्य मिलता हैं ?

वाजपेय यज्ञ