Rajim Kumbh Kalp Mela 2024 : छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित पवित्र धर्म नगरी राजिम अपने आप में एक विशेष महत्व रखने वाला एक छोटा सा शहर है. राजिम अपने पुरातत्व और प्राचीन सभ्यता के लिए प्रसिद्ध है तो वहीं राजिम अपनी कुंभ मेले के कारण भी जाना जाता है जिसमें संतों समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं इसी कारण से इसे छत्तीसगढ़ का प्रयाग भी कहा जाता है राजिम में तीन नदियों का संगम है इसलिए इस त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है यहां मुख्य रूप से तीन नदियां बहती है महानदी पैरी नदी और सोंढूर. इसके संगम स्थल पर कुलेश्वर महादेव जी का मंदिर है. राजिम मुख्य रूप से भगवान श्री राजीव लोचन जी के मंदिर के कारण प्रसिद्ध है. राजिम के कुलेश्वर मंदिर से जुड़ी हुई मान्यता है कि ब्रह्मांड के निर्माण के समय भगवान विष्णु के नाभि से कमल के पत्ते पृथ्वी पर गिरे जहां यह पत्ते गिरे वह क्षेत्र पद्म और कमल क्षेत्र में बदल गए राजिम का कुलेश्वर मंदिर इन्हीं सभी क्षेत्रों का केंद्र बना जिसके चारों ओर पांच शिवलिंग स्थापित हुए.
त्रिवेणी संगम राज्य में हर साल माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक 15 दोनों का मेला लगता है जिसे राजिम कुंभ मेला भी कहा जाता है. राजिम कुंभ में भी कुंभ की तरह एक दर्जन से ज्यादा अखाड़े के अलावा शाही जुलूस साधु संतों का दरबार झांकियां लोग साथ हूं और धर्म गुरुओं की उपस्थिति मेले की आयोजन को सार्थकता प्रदान करती है. राजिम का माघ पूर्णिमा का मेला संपूर्ण भारत में प्रसिद्ध है छत्तीसगढ़ के लाखों आदिवासी और श्रद्धालु इस मेले में जुटे हैं इस मेले को राजीव माघी पुन्नी मेला भी कहा जाता है. शासन और प्रशासन इस कुंभ मेले को ऐतिहासिक बनाने की पूरी तैयारी करते हैं इस मेले का आयोजन छत्तीसगढ़ शासन धर्मस्व एवं पर्यटन विभाग एवं स्थानीय आयोजन समिति के तत्वाधान में होता है.
Rajim Kumbh Kalp Mela 2024 | राजिम कुंभ कल्प मेला 2024 और राजिम कुंभ कल्प मेला का इतिहास :
राजिम कुंभ मेला माघ माह की पूर्णिमा के दिन लगता है और इस साल 2024 में यह कुंभ मेला 24 फरवरी 2024 दिन शनिवार से शुरू होगा और जिसका समापन महाशिवरात्रि के दिन 08 मार्च 2024 दिन शुक्रवार होगा. इस त्रिवेणी संगम में तीन महत्वपूर्ण स्नान की मान्यता है पहला स्नान माघी पूर्णिमा के दिन होता है जो कि 24 फरवरी को होगा दूसरा स्नान होता है जानकी जयंती जो 04 मार्च को होगा और तीसरा स्नान शाही स्नान होता है जो महाशिवरात्रि 08 मार्च को होगा इन स्नानों में श्रद्धालु सुबह 3:00 से स्नान करने पहुंच जाते हैं.
आपको बताते हैं कि 2005 में जब भाजपा सरकार शासन में थी उनके ही शासनकाल में राजिम कुंभ मेला शुरू हुआ था लेकिन जब 2018 में सरकार बदली और कांग्रेस सरकार आई तो इस मेले का नाम राजिम कुंभ कल्प से बदलकर राजिम माघी पुन्नी मेला रखा गया और 5 साल बाद फिर सत्ता में भाजपा आई तो फिर नाम राजिम कुंभ कल्प रखा गया है.
Rajim Kumbh Kalp Mela 2024 | आइए जानते हैं साल 2024 में क्या खासियत रहेगी राजिम कुंभ कल्प मेला की :
यह मेला छतीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 45 किलोमीटर दूर सोंढूर, पैरी और महानदी के त्रिवेणी संगम तट राजिम में लगता है. इस बार कुंभ मेले में करीबन 30 लाख से भी अधिक लोगों की आने का अनुमान है. त्रिवेणी संगम में भव्य मुख्य मंच बनाया जा रहा है जो कि 15 दिनों तक आकर्षण का केंद्र रहेगा इस मंच में जनप्रतिनिधि अपनी बात रखेंगे तो वहीं साधु संत कथावाचक उद्घोधन करेंगे इसके अलावा प्रदेश और देश के कई बड़े कलाकार भी अपनी प्रस्तुति देंगे. इस भव्य आयोजन में हरिद्वार, काशी, मथुरा, अयोध्या, चित्रकूट समेत देशभर के कई स्थानों से साधु- संत, पीठाधीश्वर, मठाधीश, महात्मा और शंकराचार्य शामिल होने वाले हैं इनके रखने की व्यवस्था सरकार और प्रशासन ने तैयारी कर दी है.
इस बार के राजिम कुंभ मेला में पहली बार सीहोर के पंडित प्रदीप मिश्रा जी और बागेश्वर धाम से धीरेंद्र शास्त्री जी भी कुंभ में शामिल होकर कुंभ की शोभा बढ़ाएंगे. कुंभ कल्प में आस्था की डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालुओं के लिए मेला स्थल में मनोरंजन का भी विशेष इंतजाम किया गया है इस मेले में लाखों लोग पहुँचगे तो सुरक्षा का भी पुख्ता इंतजाम अभी से किया गया है सैकड़ों सीसीटीवी कैमरा, चप्पे चप्पे पर पुलिस बल, गोताखोर और कई स्थानों में पुलिस सहायता केंद्र बनाया गया है शासन और प्रशासन इस बार के कुंभ को ऐतिहासिक बनाने की पूरी तैयारी में लगी हुई हैं.
Importance of Rajim Kumbh Kalp Mela | आइए जानते हैं राजिम कुंभ कल्प मेला की विशेषता
श्रद्धालुओं की अनगिनत आस्था संतों का आशीर्वाद और कलाकारों के समर्पण का ही परिणाम है कि राजिम कुंभ कल्प मेला जिसने देश में अपनी पहचान धार्मिक और सांस्कृतिक संगम के तौर पर कायम किया हुआ है इस मेले में छत्तीसगढ़ को देशभर में धर्म कला और संस्कृति की त्रिवेणी के रूप में प्रसिद्ध कर दिया है और एक नई पहचान भी दी है. राजिम कुंभ मेला कई मायनों में बहुत ही विशेष होता है सरकार द्वारा आयोजित इस कुंभ कल्प मेला में देशभर से जहां लोग पहुंचते हैं वहीं विदेश से भी बड़ी संख्या में पर्यटक इस भव्य आयोजन में शामिल होते हैं. देखा जाए तो अनादि काल से छत्तीसगढ़ियों के विश्वास और पवित्रता का दूसरा नाम राजिम कुंभ है.
FAQ – सामान्य प्रश्न
छत्तीसगढ़ का प्रयाग किस शहर को कहा जाता हैं?
राजिम
राजिम किन तीन नदियों का त्रिवेणी संगम है?
महानदी, पैरी और सोंढूर नदी.
राजिम कुंभ कल्प मेला कब से कब तक होता है ?
माघ पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि तक.
राजिम किस भगवान के मंदिर के कारण प्रसिद्ध हैं ?
भगवान श्री राजीव लोचन जी का मंदिर.
इस साल 2024 में राजिम कुंभ मेला कब से है ?
24 फरवरी 2024 से 08 मार्च 2024 तक
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.