Maa Mahagauri Chalisa | नवरात्रि के आठवें दिन देवी गौरी की पूजा की जाती हैं. अपने सफेद दूध जैसे रंगीन पोशाक के कारण इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता हैं. नवरात्रि केआठवें दिन माँ महागौरी चालीसा का पाठ करने का बहुत खास महत्व है.
माँ गौरी की पूजा करने से कुछ ही समय मे सभी असंभव कार्य पूर्ण हो जाते हैं, यह किसी व्यक्ति द्वारा किये गए सभी पापों को मिटाने में भी मदद करता है चाहें वह जाने अनजाने में क्यूं न हुई हो. इस चालीस का पाठ करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण मान्यता यह है कि ये किसी व्यक्ति के विवाह या विवाहित जीवन मे आने वाली बाधाओं को दूर करते हैं.
Maa Mahagauri Chalisa |” माँ गौरी चालीसा “
मन मंदिर मेरे आन बसों, आरम्भ करू गुणगान गौरी माँ माहेश्वरी दो चरणों का ध्यान।
पूजन विधि न जानती पर श्रद्धा है अपार, प्रणाम मेरा स्वीकारिये हे माँ प्राण आधार।
नमो नमो है गौरी माता, आप हो मेरी भाग्य विधाता. शरणागत न कभी घबराता गौरी उमा शंकरी माता।
आपका प्रिय है आदर पता, जय हो कार्तिकेय गणेश की माता।
महादेव गणपति संग आओ मेरे सकल क्लेश मिटाओ।
सार्थक ही जाए जग में जीना, सत्कर्मो से कभी हटु ना।
सकल मनोरथ पूर्ण कीजो सुख सुविधा वरदान में दीज्यो।
है माँ भाग्य रेखा जगा दो, मनभावन सूयोग मिला दो ।
मन को भाय वो वर चाहु, ससुराल पक्ष का स्नेहा मैं पायु।
परम आराध्य आप हो मेरी फिर क्यूं वर में इतनी देरी ।
हमारे काज संपूर्ण कीजियो, थोड़े में बरकत भर दीजिये।
अपनी दया बनाए रखना, भक्ति भाव जगाये रखना।
गौरी माता अनसन रहना, कभी न खोयुं मन का चैना।
देव मुनि सब शीश नवाते, सुख सुविधा को वर में पाते।
श्रद्धा भाव जो लेकर आया, बिन मांगे भी सब कुछ पाया।
हर संकट से उसे उबारा आगे बढ़ के दिया सहारा।
जब भी माँ आप स्नेह दिखलावें, निराश मन में आस जगावें।
शिव भी आपका काहा ना टाले, दया दृष्टि हम पे डाले।
जो जन करता आपका ध्यान जग में पाए मान सम्मान।
सच्चे मन जो सुमिरन करती उसके सुहाग की रक्षा करती।
दया दृष्टि जब माँ डाले भव सागर से पार उतारे।
जपे जो ॐ नमः शिवाय शिव परिवार का स्नेहा वो पाए।
जिसपे आप दया दिखावे दुष्ट आत्मा नहीं सतावे।
सता गुन की हो दाता आप,हर इक मन की ग्याता आप
काटो हमरे सकल क्लेश, निरोग रहे परिवार हमेश।
दुख,संताप मिटा देना माँ, मेघ दया के बरसा देना माँ।
जबहिं आप मौज में आए, हट जाए माँ सब विपदाएँ।
जिसपे दयाल हो माता आप, उसका बढ़ता पुण्य प्रताप।
फल फूल मैं दुग्ध चढाऊँ, श्रद्धाभाव से आपको ध्यायु।
अवगुण मेरे ढक देना माँ, ममता आँचल कर देना माँ ।
कठिन नहीं कुछ आपको माता, जग ठुकराया दया को पाता ।
बिन पाऊ न गुन माँ तेरे, नाम धाम स्वरूप बहु तेरे ।
जितने आपके पावन धाम सब धामों को माँ प्रणाम ।
आपकी दया का है ना पार, तभी तो पूजे कुल संसार ।
निर्मल मन जो शरण में आता, मुक्ति की युक्ति पाता ।
संतोष धन से दामन भर दो,असंभव को माँ सम्भव कर दो ।
आपकी दया के भारे सुखी, बसे मेरा परिवार ।
आपकी महिमा अति निराली, भक्तों के दुःख हरने वाली ।
मनोकामना पूरण करती, मन की दुविधा पल में हरती ।
चालीसा जो भी पढ़े, सुनाया सुयोग्य वर वरदान में पाए ।
आशा पूर्ण कर देना माँ सुमंगल साखी वर देना माँ ।
गौरी माँ विनती करू आऊ आपके द्वार ।
ऐसी माँ कृपा कीजिए हो जाए उद्धार ।
हीं हीं हीं शरण में दो चरणों का ध्यान ।
ऐसी माँ कृपा कीजिये पाऊ मान सम्मान ।
“” जय गौरी माँ “”
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