Shattila Ekadashi Vrat Katha | षटतिला एकादशी का व्रत सभी एकादशियों में बहुत विशेष महत्व रखता है और यह व्रत माघ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन रखा जाता हैं. कहा जाता हैं कि इस व्रत में भगवान विष्णु का पूजन तिल से करने का विधान है इस एकादशी व्रत में तिल के छह उपाय किए जाते हैं यही कारण है कि इस एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता हैं.मान्यता है कि इस व्रत को रखने से मनुष्यों को अपने बुरे कर्मों से मुक्ति मिलती हैं और जीवन में सुख समृद्धि आती हैं. षटतिला एकादशी के दिन पूजन में व्रत कथा का पाठ करना चाहिए क्योंकि इस कथा को पढ़ने और सुनने से अन्न और धन का हर सुख मिलता है.
Shattila Ekadashi Vrat Katha | षटतिला एकादशी व्रत कथा :
पदम् पुराण के अनुसार प्राचीन काल में एक ब्राह्मणी रहती थी जो हमेशा व्रत और पूजन किया करती वैसे तो वह बहुत धर्मपारायण थी किन्तु कभी भी उसने दान नहीं किया न तो कभी देवताओं को और न ही कभी ब्राह्मणों को अन्न या धन का दान किया था फिर भी उसके कठिन व्रत और पूजन से भगवान विष्णु बहुत प्रसन्न थे लेकिन उन्होंने एक बार सोचा कि ब्राह्मणी ने व्रत और पूजन से शरीर को शुद्ध कर लिया है जिससे उसे बैकुंठ लोक तो मिल जाएगा किन्तु इसने कभी भी अन्न का दान नहीं किया है तो बैकुंठ लोक में इसके भोजन का क्या होगा ? यही सोचकर भगवान विष्णु भिखारी के वेश में ब्राह्मणी के घर गए और उससे भिक्षा मांगी इस पर ब्राह्मणी ने उन्हें भिक्षा में एक मिट्टी का ढेला दिया जिसको लेकर भगवान बैकुंठ लोक लौट आए.
कुछ समय पश्चात ब्राह्मणी भी मृत्यु के बाद शरीर को त्याग करके बैकुंठ लोक में आ गई और उसे मिट्टी का दान करने से बैकुंठ लोक में महल मिला पर उसके घर में अन्नादि कुछ भी नहीं था यह सब देखकर वह भगवान विष्णु से बोली कि मैंने ज़िंदगी भर आपका व्रत और पूजन किया फिर भी मेरे घर में कुछ भी नहीं है. भगवान उसकी इस समस्या को सुनकर कहा कि जब देव स्त्रियां मिलने आएं तो दरवाजा न खोलना जबकि उनसे षटतिला एकादशी की महिमा पूछने के बाद ही दरवाजा खोलना और फिर ब्राह्मणी ने वैसा ही किया और षटतिला एकादशी का व्रत के बारे में जाना तब ब्राह्मणी ने नियम से षटतिला एकादशी का व्रत किया जिसके प्रभाव से उनको रूप, यौवन, तेज और कांति के साथ उनको अन्न धन के साथ अनेक प्रकार की भोजन सामग्री भी प्राप्त हुआ. कहा जाता हैं कि षटतिला व्रत दुर्भाग्य, गरीबी, कलह – क्लेश को दूर करने वाला साथ ही तिल दान से सभी प्रकार के सुखों को देने वाला है मान्यता है कि कोई जितने अधिक तिलों का दान करता है उसे उतने अधिक जन्मों तक सभी तरह के सुख भगवान की कृपा से मिलने के साथ ही हज़ार साल तक बैकुंठ लोक में सुख पूर्वक रहता है.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
षटतिला एकादशी व्रत कब रखा जाता है?
माघ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को.
षटतिला एकादशी में तिल का कितने प्रकार से प्रयोग किया जाता है ?
छह प्रकार से.
षटतिला एकादशी में किस भगवान की पूजा किया जाता हैं ?
भगवान विष्णु.
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