Lord Ganesha | ज्ञान और बुद्धि के देवता कहे जाने वाले गणेशजी सभी देवताओं में प्रथम पूज्यनीय होने के साथ इन्हें मंगलाकारी भी कहा जाता है क्योंकि किसी भी शुभ प्रसंग और मांगलिक कार्य में सबसे पहले इनकी पूजा की जाती हैं माना गया है कि गणेशजी को अपने पिता भगवान शंकर से यह वरदान प्राप्त है कि जब तक गणेशजी की पूजा नहीं होती तब तक किसी भी देवता की पूजा स्वीकार नहीं होगी यही कारण है कि गणेश पूजन के बाद ही किसी भी तरह की पूजा या कार्य को शुरु किया जाता हैं.
गणेशजी का रूप बड़ा ही अद्भुत है जिनमे है उनका हाथी का सर, कहा जाता है कि जब एक बार भगवान शिव ने क्रोध में आकर त्रिशूल से गणेश का सर काट दिया था तब माता पार्वती के कहने पर गणेश के सर पर भगवान शिव ने एक हाथी के बच्चे का सर लगा दिया था इसी से भगवान गणेश को गजमुखाय कहा जाता हैं. गणेश जी को हाथी के सर लगने से उनके बड़े बड़े दो कान के साथ सूंड भी थे जो कि दाई और बाईं दोनों ओर देखने को मिलती हैं. गणेशजी की बाई सूंड चन्द्रमा और दाई सूंड में सूर्य का प्रभाव होता है.मान्यता है कि मुड़ी हुई सूंड के कारण ही इनको वर्कतुण्ड कहा जाता हैं.
Lord Ganesha | जानते है भगवान गणेश की सूंड से जुड़ी अद्भुत रहस्य :
1) मान्यता है कि भगवान गणेश अपनी सूंड से परम् पिता ब्रह्म देव को जल अर्पित करते हैं.
2) भगवान गणेश की सूंड मनुष्यों को बुद्धिमता और विवेक से रहना सिखाती है क्योंकि भगवान गणेश कभी भी किसी भी स्थिति में अपना विवेक नहीं खोते हैं.
3) गणेशजी की सूंड वाली मूर्ति को घर में रखने से घर से बुरी शक्तियां दूर होने के साथ ही घर सकारात्मक ऊर्जा से भरी होने के साथ ही घर का वातावरण खुशनुमा होता हैं.
4) गणेश जी की सूंड मनुष्यों को जीवन में हमेशा सक्रियता का बोध कराती हैं उनकी हिलती डुलती सूंड हमें सिखाती है कि हमें सिख देती हैं कि हम सभी को अपने जीवन में चलते रहना चाहिए.
Lord Ganesha | भगवान गणेश के सूंड की दिशा के रहस्य :
भगवान गणेश की मूर्ति या फिर तस्वीर में उनकी सूंड कभी दाएं ओर घूमी रहती हैं तो कभी बाई ओर और किसी किसी मूर्ति में तो एकदम सीधी सूंड दिख जाती हैं. सूंड की दिशाओं भी बहुत आश्चर्य कर देने वाले रहस्यों से भरे हैं :
1) दाई सूंड वाले गणेशजी :
ऐसी भगवान गणेशजी की मूर्ति जिसमें गणेश जी की सूंड अग्रभाव यानि कि नीचे की ओर से दाईं ओर मुड़ी होने पर उन्हें दक्षिणाभिमुखी मूर्ति या फिर दक्षिण मूर्ति कहा जाता हैं. दाई ओर घूमे हुए सूंड वाले भगवान गणेश सिद्धिविनायक भी कहलाते हैं. शास्त्रों के अनुसार दक्षिण दिशा का संबंध यमलोक से होता है जो कि बहुत ही शक्तिशाली दिशा मानी जाती हैं जहां पाप और पुण्य का पूरा लेखा जोखा रहता है इसी कारण दाई ओर सूंड वाले गणेशजी की पूजा में कई सारे नियमों का पालन करना पड़ता है इसलिए दाई ओर सूंड वाले गणेशजी की पूजा विधिवत तरीके से नहीं होने पर वे नाराज़ हो जाते हैं यही वजह है कि दाईं सूंड वाले गणेशजी हठी कहलाते हैं.
दाई ओर गणेश जी की मूर्ति की पूजा में हमेशा कर्मकांडांतगर्त पूजा विधि का पालन करना होता हैं जोकि घर पर संभव नहीं होता इसलिए दाई ओर सूंड वाले भगवान गणेश की पूजा मंदिर या विशेष आयोजन में पुरोहितों द्वारा पूजा करा के दाईं ओर सूंड वाले गणेशजी की मूर्ति स्थापित करना चाहिए.
शास्त्रों में दाईं ओर घूमी सूंड पिंगला स्वर और सूर्य से प्रभावित होता है और ऐसी मूर्ति का पूजन विध्न विनाश, शत्रु पराजय विजय प्राप्ति, उग्र और शक्ति प्रदर्शन जैसे कार्यों के लिए किया जाता हैं. दाईं ओर घूमी हुई सूंड वाले गणेशजी सिद्धिविनायक कहलाते हैं ऐसी मान्यता है कि है कि दाईं सूंड वाले गणेश जी के सिर्फ दर्शन करने से ही सारे कार्य सिद्ध हो जाते हैं और शुभ फल की प्राप्ति होती हैं लेकिन दाई सूंड वाले गणेश की मूर्ति गणेश चतुर्थी के दिन घर पर स्थापित नहीं करनी चाहिए.
2) बाईं सूंड वाले गणेशजी :
भगवान गणेश की ऐसी मूर्ति जिसमें उनके सूंड का अग्रभाव बाईं ओर हो तो उनको वाममुखी कहते हैं.वाममुखी का अर्थ है उत्तर दिशा जो कि पूजा पाठ के लिए बहुत ही शुभ दिशा मानी गई हैं. शास्त्रों के अनुसार बाईं ओर मुड़ी हुई सूंड वाली मूर्ति इड़ा नाड़ी और चंद्र से प्रभावित होता है. बाईं ओर सूंड वाले गणेश की पूजा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती हैं घर में बाईं सूंड वाले गणेश जी की स्थापना करने से व्यापार में बढ़ोतरी होती हैं, संतान से सुख मिलता है, विवाह की सारी रुकावटें दूर होने के साथ ही पारिवारिक जीवन में खुशहाली का माहौल बनती हैं बाईं ओर सूंड वाले वाममुखी गणेशजी को स्थापित करना शुभ होता हैं क्योंकि इनके पूजन से घर मे सकारात्मकता आती हैं और वास्तु दोषों का भी नाश होता हैं.
बाईं ओर घूमी सूंड वाले गणेशजी विध्नविनाशक कहलाते हैं ऐसी मान्यता है कि इस गणेशजी को घर के मुख्य द्वार पर लगाने से कई प्रकार की बलाएं, विपदाएं और नकारात्मक ऊर्जा इनके प्रभाव से वहीं ठहर जाती है घर में प्रवेश नहीं कर पाती हैं. बाईं ओर सूंड वाले गणेश जी की पूजा में धार्मिक विधियों का पालन करने से गणेश बहुत जल्दी प्रसन्न और संतुष्ट हो जाते हैं इसके अलावा बाईं ओर सूंड वाले गणेश जी की पूजा में हुई गलतियों को भी माफ कर देते हैं.
3) सीधी सूंड वाले गणेशजी :
सीधी सूंड वाले गणेशजी की मूर्ति बहुत ही दुर्लभ होती हैं जो बहुत कम देखने को मिलती हैं. सीधी सूंड वाली मूर्ति सुषुम्रा स्वर माना जाता है. सीधी सूंड वाले गणेशजी की मूर्ति की पूजा रिद्धि सिद्धि, कुंडलिनी जागरण, मोक्ष और समाधि के लिए सर्वोत्तम मानी जाती हैं. सीधी सूंड वाले गणेश जी की मूर्ति वैरागी और साधु संत ही स्थापना किया करते हैं.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
बाईं ओर घूमी हुई सूंड वाले गणेश क्या कहलाते हैं?
विध्नविनाशक गणेशजी.
गणेश चतुर्थी के दिन किस ओर घूमी गणेशजी को स्थापित नहीं करने चाहिए?
दाईं ओर घूमी हुई सूंड
गणेश जी अपने सूंड से किसे जल अर्पित करते हैं ?
परम् पिता ब्रह्मा जी
भगवान शिव ने क्रोध में आकर किसका सर को काटा था ?
गणेशजी
गणेशजी को हाथी का सर लगने पर उनको क्या कहा जाता हैं ?
गजमुखाय गणेश.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.