Sawan | भगवान शिव की पूजा बहुत ही सरलता से करके इनको प्रसन्न किया जा सकता हैं विशेषकर सावन माह में शिवजी की विशेष रूप से पूजा – आराधना और जलाभिषेक करने का महत्व होता हैं क्योंकि भगवान शिव को सावन माह बहुत ही प्रिय होता है. धार्मिक मान्यता है कि शिवजी को जल, बेलपत्र, भांग और धतूरा को अर्पित करना बहुत ही शुभ और फलदायक होता हैं क्योंकि यह वे चीजें हैं जो भगवान शिव को अतिप्रिय होने के कारण से जल्दी प्रसन्न भी हो जाया करते हैं तो वही यह भी कहा जाता हैं कि अगर कोई सच्चे मन से श्रद्धा भाव से भगवान शिव को जल चढ़ाता हैं तो भी शिवजी प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं लेकिन भगवान शिव की पूजा के दौरान कुछ ऐसी चीजें भी होती हैं जिसका उपयोग वर्जित माना गया है. शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव के पूजन के समय इन चीजों का उपयोग नहीं करना चाहिए.
भगवान शिव की पूजा में किन चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए :
1) केतकी का पुष्प :
केतकी के पुष्प को भूलकर भी भगवान शिव की पूजा में ना तो उपयोग करना चाहिए और ना ही शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए. पौराणिक कथानुसार ब्रह्माजी के साथ मिलकर केतकी के पुष्प ने शिवलिंग को लेकर भगवान शिव से झूठ को बोला था जिसके कारण से भगवान शिव ने केतकी के पुष्प को श्राप देते हुए कहा था कि – तुम मेरी किसी भी तरह की कोई भी पूजा में कभी भी उपयोग नहीं किए जाओगे. भगवान शिव के इसी श्राप के कारण से केतकी के पुष्प को इनकी पूजा में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
2) तुलसी दल (पत्ते) :
हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत ही पूजनीय माना जाता है लेकिन हिंदु धर्म शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव की पूजा में तुलसी के पत्ते का उपयोग को वर्जित माना गया है क्योंकि पौराणिक कथानुसार तुलसी के असुर पति जंलधर के वध भगवान शिव ने किया था और वध के बाद तुलसी ने भगवान शिव को श्राप दिया था कि – आपकी पूजा में मैं कभी भी स्वीकार्य नहीं मानी जाऊंगी इसी कारण से भगवान शिव की पूजा में भूलकर भी तुलसी पत्ते कस उपयोग नहीं करना चाहिए.
3) सिंदूर, कुमकुम और रोली :
हिंदू धर्म में सभी देवी – देवताओं की पूजा में सिंदूर, कुमकुम और रोली का उपयोग होता है लेकिन भगवान शिव की पूजा में इन चीजों को अर्पित करने की मनाही होती हैं क्योंकि भगवान शिव संहारक और विनाशक कहलाते हैं और सिंदूर, कुमकुम और रोली सौंदर्य के अलावा अखंड सौभाग्य का प्रतीक होने के साथ ही इन चीजों में स्त्री तत्व होता है और शिवलिंग पुरूष तत्व हैं यही कारण है कि शिवजी की पूजा में भूलकर भी इन चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
4) हल्दी :
हिंदू धर्म के हर धार्मिक अनुष्ठान में हल्दी का इस्तेमाल आवश्यक रूप से किया जाता है लेकिन भगवान शिव की पूजा में भूलकर भी हल्दी का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि हल्दी को स्त्री तत्व का प्रतीक माना जाता है तो वहीं शिवलिंग को पुरूष तत्व का प्रतीक माना जाता है यही कारण है कि हल्दी को भगवान शिव की पूजा में उपयोग करने की मनाही होती हैं.
5) नारियल :
हिंदू धर्म में किसी भी शुभ अनुष्ठानों में नारियल की पूजा की पूजा करने के साथ ही इसको फोड़कर नए शुभ कार्य की शुरुआत किया जाता हैं लेकिन भगवान शिव की पूजा में ना ही नारियल का उपयोग और ना ही नारियल के पानी का प्रयोग करने की मनाही होती हैं क्योंकि धार्मिक मान्यतानुसार नारियल धन की देवी माँ लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है और देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं यही कारण है कि भगवान शिव की पूजा में नारियल को अर्पित नहीं करना चाहिए.
6) शंख :
हिंदू धर्म में शंख को बहुत ही पवित्र माना गया है मान्यता है कि शंख की ध्वनि से सभी तरह की नकारात्मक ऊर्जा दूर होने के साथ सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है यही कारण है कि शंख को पूजा स्थल पर रखने और इसकी पूजा सभी देवी – देवताओं के साथ की जाती हैं लेकिन भगवान शिव की पूजा में शंख का इस्तेमाल करने की मनाही है.पौराणिक कथानुसार सभी देवता जब असुर शंखचूड़ के अत्याचार से परेशान थे तब शिवजी ने इस शंखचूड़ असुर का वध किया था जिसके बाद शंखचूड़ का शरीर भस्म हुआ जिससे शंख की उत्पत्ति हुई थी चूंकि असुर शंखचूड़ का वध भगवान शिव के हाथों से हुआ था यही कारण है कि भगवान शिव की पूजा में शंख का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और भूलकर भी शंख से शिवजी को जल ही अर्पित करना चाहिए.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) किस पुष्प ने ब्रह्माजी के साथ मिलकर भगवान शिव से झूठ बोला था ?
केतकी का पुष्प.
2) किस असुर के वध के भस्म से शंख की उत्पत्ति हुई थी ?
शंखचूड़ असुर.
3) किस राक्षस की पत्नी ने भगवान शिव को श्राप दिया है ?
जलंधर राक्षस.
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