Badrinath Dham | जानेंगे बद्रीनाथ धाम के उन रहस्यों को जिसे आज तक किसी ने नहीं जाना

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Badrinath Dham | हिन्दुओं के चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु का निवास स्थान है ये भारत के उत्तराखंड राज्य में अलकनंदा नदी के बाएं तट पर नर और नारायण नामक दो पर्वत श्रेणियों के बीच स्थित है. हिन्दुओं के चार धाम बद्रीनाथ, द्वारिका, जगन्नाथ और रामेश्वरम लेकिन जब व्यक्ति बद्रीनाथ दर्शन करने जाता है तो उसे गंगोत्री. यमुनोत्री और केदारनाथ का भी दर्शन भी करना चाहिए, इन चारों को मिलाकर छोटा धाम कहा गया है. तो आए जानते है इनके उन रहस्यों को जिसे आज तक किसी ना जाना.

Badrinath Dham | बद्रीनाथ धाम के रहस्य

1.) केदारनाथ को जहां भगवान शंकर का आराम करने का स्थान माना गया हैं वहीं बद्रीनाथ को सृष्टि का आठवां बैकुंठ कहा गया है जहां भगवान विष्णु 6 माह निद्रा में रहते हैं और 6 माह जागते है. यहां बद्रीनाथ की मूर्ति शालिग्राम शिला से बनी हुई चतुर्भुज ध्यान मुद्रा में है, यहां नर नारायण विग्रह की पूजा होती है और अखण्ड दीप जलता है जो कि अचल ज्ञान ज्योति का प्रतीक हैं.

      2.) बद्रीनाथ का नाम इसलिए बद्रीनाथ है क्योंकि यहां प्रचुर मात्रा में पाई जाने वाली जंगली बेरी को बद्री कहते है इसी कारण इस धाम का नाम बद्रीनाथ पड़ा, यहां भगवान विष्णु का विशाल मंदिर है और यह संपूर्ण क्षेत्र प्रकृति की गोद में स्थित है.

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      3.) केदार घाटी में दो पहाड़ है नर और नारायण पर्वत विष्णु के 24 अवतारों में से एक नर और नारायण ऋषि की यह तपोभूमि है उनके तप से प्रसन्न होकर केदारनाथ में शिव प्रकट हुए थे दूसरी ओर बद्रीनाथ धाम है जहां भगवान विष्णु विश्राम करते हैं. कहते हैं कि सतयुग में बद्रीनाथ धाम की स्थापना नारायण ने की थी. भगवान केदारेश्वर ज्योतिलिंग के दर्शन के बाद बद्री क्षेत्र में भगवान नर नारायण का दर्शन करने से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते है और उसे जीवन मुक्ति भी प्राप्त हो जाती हैं.

      4.) पुराणों के अनुसार भूकंप, जलप्रलय और सूखे के बाद गंगा लुप्त हो जाएगी और इसी गंगा की कथा के साथ जुड़ी हैं बद्रीनाथ और केदारनाथ तीर्थ स्थल की रोचक कहानी. भविष्य में नहीं होंगे बद्रीनाथ के दर्शन क्योंकि माना जाता है कि जिस दिन नर और नारायण पर्वत आपस में मिल जायेंगे बद्रीनाथ का मार्ग बन्द हो जाएगा,भक्त बद्रीनाथ के दर्शन नहीं कर पाएंगे. पुराणों के अनुसार आने वाले कूछ वर्षों में वर्तमान बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम लुप्त हो जाएंगे तो वर्षों बाद भविष्य में भविष्य बद्री नामक नए तीर्थ का उदगम होगा. यह भी मान्यता है कि जोशीमठ में स्थित नृसिंह भगवान कि मूर्ति का एक हाथ साल दर साल पतला होता जा रहा है जिस दिन यह हाथ लुप्त हो जायेगा उस दिन बद्री और केदारनाथ तीर्थ स्थल भी लुप्त  होना आरम्भ हो जाएंगे.

      5.) मंदिर में बद्रीनाथ की दाहिनी ओर कुबेर की मूर्ति भी है उनके सामने उद्र्वजी और उत्सवमूर्ति हैं. उत्सवमूर्ति शीतकाल में बर्फ जमने पर जोशीमठ में ले जाई जाती हैं. उद्र्वजी के पास चरणपादुका है बायीं ओर नर – नारायण की मूर्ति हैं इसके समीप ही श्रीदेवी और भूदेवी है.

      6.) बद्रीनाथ में अन्य कई प्राचीन स्थल है जैसे कि अलकनंदा के तट पर स्थित अदभुत झरना जिसे तप्त कुंड कहा जाता हैं. एक समतल चबूतरा जिसे ब्रह्म कपाल कहा जाता हैं. पौराणिक कथाओं में उल्लेखित एक साँप शिल्ला है.भगवान की कथित छाप वाला एक  शिलाखंड शेषनेत्र है. भगवान विष्णु के पैरों के निशान है चरणपादुका. बद्रीनाथ से नज़र आने  वाला बर्फ से  ढका ऊंचा शिखर नीलकंठ जो गढ़वाल क्वीन के नाम से जाना जाता हैं. 


      FAQ – सामान्य प्रश्न

      हिन्दुओं के चार धाम कौन-कौन से हैं ?

      बद्रीनाथ, द्वारिका, जगन्नाथ और रामेश्वरम

      बद्रीनाथ को सृष्टि का क्या माना गया है?

      बद्रीनाथ को सृष्टि का आठवां बैकुंठ कहा गया है जहां भगवान विष्णु 6 माह निद्रा में रहते हैं और 6 माह जागते है.

      Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.