Jagannath Mandir | बद्रीनाथ धाम को जहां जगत के पालनहार भगवान विष्णु का आठवां बैकुंठ माना जाता है वहीं जगन्नाथ धाम को भी धरती के बैकुंठ स्वरूप माना गया है. ओडिशा के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित यह विश्व प्रसिद्ध मंदिर भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है. कई सालों से भी ज़्यादा पुराने इस पवित्र मंदिर से जुड़ी ऐसी कई रहस्यमय और चमत्कारी बातें हैं जिसका जवाब विज्ञान और वैज्ञानिक के पास भी नहीं हैं.
Jagannath Mandir | जानते है जगन्नाथ पुरी से जुड़ी चमत्कारियों से भरी रहस्यों को :
1) मंदिर की रसोई का रहस्य –
कहा जाता हैं कि जगन्नाथ मंदिर में दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है इस रसोई में 500 रसोइये औऱ 300 उनके सहयोगी काम करते है. इस रसोई से जुड़ा एक रहस्य ये है कि यहां चाहे लाखों भक्त आ जाय कभी प्रसाद कम नहीं पड़ता और अगर प्रसाद कभी ज्यादा बन भी जाये लेकिन जैसे ही मंदिर का गेट बंद होने का वक़्त आता है तो प्रसाद अपने आप ख़तम हो जाता हैं यानि यहां प्रसाद कभी व्यर्थ नहीं होता हैं.
इसके अलावा मंदिर में जो प्रसाद बनता हैं वो लकड़ी के चूल्हे पर बनाया जाता हैं. ये प्रसाद सात बर्तनों में बनाया जाता हैं, सातों बर्तन को एक के ऊपर एक करके एक साथ रखा जाता हैं यानि सातों बर्तन चूल्हे पर एक सीढ़ी की तरह रखे जाते है सबसे हैरानी की बात ये है कि जो बर्तन सबसे ऊपर यानि सातवें नम्बर का बर्तन होता है उसमें सबसे पहले प्रसाद बनकर तैयार होता हैं इसके बाद छठे, पांचवें, चौथे,तीसरे,दूसरे और पहले यानि सबसे नीचे के बर्तन का प्रसाद तैयार होता हैं.
2) मंदिर के झंडे का रहस्य –
जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर जो झंडा लगा है उसे लेकर भी एक बड़ा रहस्य है इस झंडे को हर रोज बदलने का नियम हैं. मान्यता है कि अगर किसी दिन झंडे को नहीं बदला गया तो शायद मंदिर अगले 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा.
3) हवा के विपरीत दिशा में ध्वज –
जगन्नाथ मंदिर के ऊपर स्थापित लाल ध्वज सदैव हवा के विपरीत दिशा में लहराता है ऐसा किस कारण होता है यह तो वैज्ञानिक ही बता सकते हैं लेकिन यह निश्चित ही आश्चर्यजनक बात है. यह भी आश्चर्य ही है कि प्रतिदिन मंदिर के ऊपर स्थापित ध्वज को मानव द्वारा उल्टा चढ़कर बदला जाता हैं. ध्वज भी इतना भव्य हैं कि जब यह लहराता हैं तो इसे सब देखते ही रह जाते हैं ध्वज पर शिव का चन्द्र बना हुआ है.
4) चमत्कारिक सुदर्शन चक्र –
पुरी में किसी भी स्थान से अगर मंदिर के शीर्ष पर लगे सुदर्शन चक्र को देखा जाये तो वह सदैव सामने ही लगा देखेगा इसे नीलचक्र भी कहा जाता हैं यह अष्टधातु से निर्मित और अति पावन व पवित्र माना गया है.
5) विश्व की सबसे बड़ी रथयात्रा –
आषाढ़ माह में भगवान रथ पर सवार होकर अपनी मौसी रानी गुंडिचा के घर जाते हैं. यह रथयात्रा 5 किलोमीटर में फैले पुरुषोत्तम क्षेत्र में ही होती हैं. रानी गुंडिचा भगवान जगन्नाथ के परम भक्त राजा इंद्रयुमं की पत्नी थी इसलिए रानी को भगवान जगन्नाथ की मौसी कहा जाता हैं.
अपने मौसी के घर भगवान 8 दिन रहते है आषाढ़ शुक्ल दशमी की वापसी की यात्रा होती है भगवान जगन्नाथ का रथ नंदीघोष है, देवी सुभद्रा का रथ दर्पदलन हैं और भाई बलभद्र का रथ तालध्वज है.पुरी के गजपति महाराज सोने की झाड़ू बुहारते है जिसे छेरा पैररन कहते हैं.
FAQ – सामान्य प्रश्न
जगन्नाथ धाम कहा है ?
ओडिशा के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित हैं विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर.
रानी गुंडिचा कौन है ?
रानी गुंडिचा भगवान जगन्नाथ के परम भक्त राजा इंद्रयुमं की पत्नी थी.
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