Trimbakeshwar Jyotirlinga |महाराष्ट्र में नासिक के पास गोदावरी नदी तट पर भगवान शिव का आठवां ज्योतिर्लिंग त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग हैं जो कि पवित्र और प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक हैं. भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से यह एक ऐसा ज्योतिर्लिंग हैं जहां ज्योतिर्लिंग की नहीं बल्कि त्रिदेव यानी कि ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव की पूजा होती है कहा जाता हैं कि यहां कोई शिवलिंग नहीं बल्कि एक गड्ढा है और तीन छोटे छोटे अंगूठे के आकार के लिंग है इस मंदिर की सबसे अधिक मान्यता यह है कि इस मंदिर में सबसे ज्यादा भक्त काल सर्प दोष की पूजा करवाने के लिए आते हैं.
त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग में काल सर्प दोष और पितृ दोष की पूजा की जाती हैं मान्यता है कि जिन लोगों के जन्म कुंडली में यह दोष मौजूद होते हैं उनको त्रयम्बकेश्वर में जाकर इनकी पूजा करें तो यह दोष दूर हो जाते हैं. त्रयम्बकेश्वर मंदिर के पास ब्रह्मगिरि नामक पर्वत से पुण्यसलिला गोदावरी नदी निकलती है कहा जाता हैं कि जिस प्रकार से उत्तर भारत में पापनाशिनी गंगा का जो महत्व होता हैं वैसे ही दक्षिण भारत में गोदावरी का हैं. गंगा अवतरण का श्रेय जिस तरह से महातपस्वी भागीरथ जी को है ठीक ऐसे ही गोदावरी का प्रवाह ऋषिश्रेष्ठ गौतम ऋषि की महान तपस्या का फल है जो उनको भगवान आशुतोष से पाया था.
Trimbakeshwar Jyotirlinga Ki Katha | आइए जानते हैं त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति के पीछे की पौराणिक कथा को :
पौराणिक कथानुसार ब्रह्मगिरी पर्वत पर देवी अहिल्या के पति गौतम ऋषि रहा करते थे किन्तु किसी कारण की वजह से यहां के बाकी ऋषि उनसे ईर्ष्या करने लगे थे जिसके लिए उन सारे ऋषियों ने भगवान गणेश की आराधना किया और उन सबकी आराधना से प्रसन्न होकर गणेशजी ने ऋषियों को वरदान मांगने को कहा तब ऋषियों ने कहा कि भगवान ! किसी तरह से गौतम ऋषि को इस आश्रम से बाहर निकाल दीजिए तब विवश होकर भगवान गणेश को उन ऋषियों की बात माननी पड़ी इसके लिए गणेशजी ने एक दुर्बल गाय का रूप का धारण करके गौतम ऋषि के खेत में जाकर फसल खाने लगा तब गौतम ऋषि वहां पहुंचकर तिनकों की मुठ्ठी से उस गाय को हटाने लगे लेकिन तृणों के स्पर्श से गाय धरती पर गिर गई और ऋषि के सामने ही मर गई.
वहां छिपे हुए सभी ऋषियों ने एकत्रित होकर गौतम ऋषि को गौ हत्यारा कहकर अपमान करने लगे ऐसी विकट परिस्थिति को देखकर गौतम ऋषि ने उन ऋषियों से प्रायश्चित को पूछा तब उन ऋषियों ने इस पाप को सर्वत्र बताते हुए गौतम ऋषि से बोले कि तुम तीन बार पृथ्वी की परिक्रमा करके यहां एक मास तक व्रत करों इसके पश्चात इस ब्रह्मगिरि पर सौ बार चक्कर लगाओ तभी तुम्हारी शुद्धि होगी लेकिन अगर यह नही कर पाओ तो यहां गंगा जी को लाकर उनके जल से स्नान करके एक करोड़ पार्थिव शिवलिंग से भगवान शिव की आराधना करो और इसके बाद फिर से गंगाजी में स्नान करके पुनः सौ घड़ो से पार्थिव शिवलिंग को स्नान कराओ तब ही तुम्हारा उद्धार होगा.
तब प्रायश्चित करने के लिए गौतम ऋषि ने शिवलिंग की स्थापना करके भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठिन तपस्या किया और तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव और माता पार्वती ने उनको दर्शन देते हुए गौतम ऋषि से वर मांगने को कहा तब गौतम ऋषि ने गंगा माँ को इस स्थान पर उतारने का वर मांगा इस पर गंगा माँ ने कहा कि वह तभी इस स्थान पर उतरेंगी जब भगवान शिव यहां रहेंगे और तब देवी गंगा के कहने पर तभी से भगवान शिव यहां पर त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में निवास करने लगे और इस प्रकार से त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग यहां स्वयं प्रकट हुए और त्रयम्बकेश्वर मंदिर के पास से ही गंगा नदी अविरल बहने लगी. माना जाता है कि इस नदी को यहां गोदावरी या फिर गौतम नदी के नाम जाना जाता हैं.
Secrets of Trimbakeshwar Jyotirlinga | जानते हैं त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी रहस्यों को :
1) मान्यता है कि त्रयम्बकेश्वर मंदिर भगवान शिव का बहुत ही पुराना मंदिर है जिसमें तीन शिवलिंगों की पूजा किया जाता है जिनको ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी के नाम से जाने जाते हैं.
2) त्रयम्बकेश्वर मंदिर में काल सर्प दोष से मुक्ति प्राप्त करने के लिए विधिवत रूप से संपूर्ण पूजा की जाती है जो कि अन्य स्थानों की तुलना में यह स्थान बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यहां पर भगवान शिव का महामृत्युंजय रूप में विधमान हैं.
3) त्रयम्बकेश्वर मंदिर के नजदीक तीन पर्वत मौजूद है जिनको ब्रह्मगिरी, नीलगिरी और गंगा द्वार कहा जाता हैं जहां ब्रह्मगिरि पर्वत को भगवान शिव का स्वरूप कहा जाता है नीलगिरि पर्वत पर नीलाम्बिका देवी और दत्रात्रेय गुरु का मंदिर तो वहीं गंगा द्वार पर्वत पर गोदावरी देवी का मंदिर हैं.
4) मान्यता है कि भगवान शिव के इस प्रसिद्ध त्रयम्बकेश्वर मंदिर में त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग के सिर्फ दर्शन से ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और पापों से मुक्ति मिलती हैं.
Benefits of Kalsarp Puja in Trimbakeshwar Temple | त्रयम्बकेश्वर मंदिर में कालसर्प पूजा के लाभ :
1) कालसर्प की पूजा कराने से सभी महत्वपूर्ण कार्य पूर्ण होने के साथ ही जितने भी रुके हुए काम होते है वो भी पूरे जाते हैं.
2) कालसर्प पूजा के प्रभाव से नौकरी, करियर, जीवन में चल रही सभी तरह की बाधाएं और शारिरिक व मानसिक चिंताएं भी दूर होती हैं.
3) इस पूजा के प्रभाव से जीवन खुशहाल और समृद्ध बने के साथ ही सुखद वैवाहिक जीवन की भी प्राप्ति होती हैं.
4) कालसर्प दोष दूर होने पर जातक अपने जीवन में अपार सफलताएं को प्राप्त करता है और कुंडली में राहु लाभकारी स्थिति में आ जाता हैं.
5) इस पूजा के प्रभाव से समय समय पर लगने वाली चोटों से राहत मिलती है और दुर्घटना या फिर अकाल मृत्यु की भी संभावना नहीं रहती हैं.
6) कालसर्प पूजा और अनुष्ठान के प्रभाव से संतान की प्राप्ति होती हैं और संतान से जुड़ी विकार भी दूर होती हैं.
Trimbakeshwar Jyotirlinga Temple Opening Timings |त्रयम्बकेश्वर मंदिर खुलने के समय :
त्रयम्बकेश्वर मंदिर सातों दिन खुला रहता है मंदिर खुलने का समय हैं रोजाना सुबह के पांच (5) बजे से लेकर रात्रि की नौ (9) बजे तक जिसमें –
1) मंगल आरती : रोजाना सुबह 05 बजकर 30 मिनट से लेकर सुबह के 06 बजे तक.
2) अंतरायल अभिषेक (मंदिर के अंदर) : रोजाना सुबह 06 बजे से लेकर 07 बजे तक.
3) अभिषेक (मंदिर के बाहर) : रोजाना सुबह के 06 बजे से लेकर दोपहर के 12 बजे तक.
4) विशेष पूजा (महामृत्युंजय जाप व रुद्राभिषेक) : रोजाना सुबह 07 बजे से लेकर 09 बजे तक.
5) संध्या पूजा : रोजाना शाम के 07 बजे से लेकर रात्रि के 09 बजे तक.
6) भगवान शिव के स्वर्ण मुकुट के दर्शन : रोजाना शाम के 04 बजकर 30 मिनट से लेकर 5 बजे तक.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग बारह ज्योतिर्लिंगों में से कौन से नम्बर के हैं ?
आठवें.
किस ऋषि पर गौ हत्या का आरोप लगा था ?
गौतम ऋषि.
त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग कहां स्थित है ?
महाराष्ट्र के नासिक जिले के पास गोदावरी नदी के तट पर.
त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग में कौन से त्रिदेव हैं.
ब्रह्माजी, भगवान विष्णु और भगवान शिव.
त्रयम्बकेश्वर मंदिर में किस दोष से मुक्ति पाने के लिए पूजा किया जाता है?
कालसर्प दोष. v
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.