Vishwakarma Puja 2025 | हिंदू धर्म में विश्वकर्मा पूजा का विशेष महत्व होता है. शास्त्रों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा जी ब्रह्माजी के सांतवे पुत्र हैं और इनको सृष्टि का पहला वास्तुकार और शिल्पकार माना जाता है. इन्होंने ही देवताओं के महलों, अस्त्र- शस्त्रों आदि का निर्माण किया था यही वजह से विश्वकर्मा पूजा मुख्य रूप से कारीगरों, शिल्पकारों, इंजीनियरों और औद्योगिक मजदूरों द्वारा मनाई जाती है और इस दिन हर कोई अपने औजारों और मशीनों की पूजा करते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार विश्वकर्मा पूजा उस दिन मनाई जाती है जब सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करता है.
साल 2025 में विश्वकर्मा पूजा कब मनाई जाएगी :
विश्वकर्मा पूजा कन्या संक्रांति के दिन मनाई जाती है और इस दिन सूर्य देव कन्या राशि में प्रवेश करती हैं. हिंदू पंचाग के अनुसार साल 2025 में सूर्य देव 17 सितंबर 2025 दिन बुधवार को देर रात 01 बजकर 55 मिनट पर कन्या राशि में प्रवेश करेगा इसलिए विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर 2025 दिन बुधवार को मनाई जाएगी.
विश्वकर्मा पूजा 2025 के शुभ मुहूर्त को :
विश्वकर्मा पूजा का ब्रह्म मुहूर्त हैं : 17 सितंबर 2025 दिन बुधवार की सुबह 04 बजकर 33 मिनट से लेकर सुबह के 05 बजकर 20 मिनट तक.
विश्वकर्मा पूजा का विजय मुहूर्त हैं : 17 सितंबर 2025 दिन बुधवार की दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 07 मिनट तक.
विश्वकर्मा पूजा का गोधूलि मुहूर्त हैं : 17 सितंबर 2025 दिन बुधवार की शाम 06 बजकर 24 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 47 मिनट तक.
विश्वकर्मा पूजा के दिन राहुकाल समय को :
विश्वकर्मा पूजा के दिन यानि कि 17 सितंबर को राहुकाल का समय रहेगा दोपहर 12 बजकर 15 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 47 मिनट तक.
ज्योतिष शास्त्र में राहुकाल को शुभ नहीं माना जाता है इसलिए राहुकाल के समय पूजा पाठ और अन्य शुभ कार्यों को करने की मनाही होती हैं.
कौन हैं भगवान विश्वकर्मा :
पुराणों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ब्रह्माजी जी के पुत्र कहलाते हैं जिनकी पूजा वास्तुकला, यांत्रिकी और शिल्पकला के देवता के रूप में किया जाता हैं. धार्मिक मान्यता हैं कि भगवान श्रीकृष्ण की द्वारका नगरी के साथ इन्होंने ही सोने की लंका का निर्माण करने के अलावा भगवान श्रीकृष्ण का सुदर्शन चक्र, भगवान शिव का त्रिशूल, रावण का पुष्पक और कर्ण के सोने के कवच ओर कुंडल भी इनके द्वारा रचित किए गए है.
क्यों विश्वकर्मा पूजा मनाई जाती हैं :
धार्मिक मान्यता के अनुसार कन्या संक्रांति के दिन ही भगवान विश्वकर्मा का अवतरण हुआ था यही कारण है कि इस दिन को भगवान विश्वकर्मा के जन्मदिन के उपलक्ष्य पर मनाई जाती हैं. माना जाता है कि इस दिन हर कोई भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना करने के साथ अपने मशीनों और वाहनों की भी पूजा करते हैं और अपने काम में सफलता और समृद्धि के लिए उनसे प्रार्थना करते हैं क्योंकि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
उम्मीद है कि आपको विश्वकर्मा पूजा से जुड़ा हुआ यह लेख पसंद आया होगा तो इसे अधिक से अधिक अपने परिजन और दोस्तों के बीच शेयर करें और ऐसे ही अन्य पूजा से जुड़े लेख को पढ़ने के लिए जुड़े रहें madhuramhindi.com के साथ.
FAQ – सामान्य प्रश्न
1) भगवान विश्वकर्मा किनके पुत्र हैं ?
ब्रह्माजी.
2) विश्वकर्मा पूजा कब मनाई जाती हैं ?
जब सूर्यदेव कन्या राशि में प्रवेश करता है.
3) साल 2025 में विश्वकर्मा पूजा कब मनाई जाएगी ?
17 सितंबर 2025 दिन बुधवार.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.