Mahatma Vidur | महाभारत युद्ध के बाद विदुर का क्या हुआ, जानेंगे क्या थी उनकी अंतिम इच्छा जो श्रीकृष्ण को बताए थे ?

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Mahatma Vidur | विदुर धृतराष्ट्र और पाण्डु के भाई थे क्योकि इन तीनों के पिता ऋषि वेदव्यास थे लेकिन विदुर का जन्म एक दासी परिश्रमी के गर्भ से हुआ था. वे हस्तिनापुर के प्रधानमंत्री होने के साथ पांडवों के सलाहकार भी थे. विदुर ने अपनी नीतियों से महाभारत युद्ध को रोकने का बहुत प्रयास किया किन्तु वे इसमें नाकाम रहें. कुरुक्षेत्र युद्ध के विरोध में विदुर ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और युद्ध समाप्त होने के बाद एक संत के रूप में अपने सौतेले भाई धृतराष्ट्र और अपनी भाभियों गांधारी और कुंती के साथ वन में चले गए थे. भगवान श्रीकृष्ण जानते थे कि विदुर यम (धर्मराज) के अवतार हैं इसी वजह से श्रीकृष्ण ने विदुर की ज्ञान और लोगों के कल्याण के प्रति उनके समपर्ण का सम्मान किया.

Mahatma Vidur | श्रीकृष्ण को विदुर ने अंतिम इच्छा क्या बताई थी

जब महाभारत युद्ध अंतिम चरण में पहुंचा, इस समय तक कौरवों और पांडवों के कई योद्धा के साथ साथ सभी संगे संबंधी वीरगति को प्राप्त हो गए थे तब एक दिन विदुर श्रीकृष्ण के पास गए और उनसे निवेदन किया कि वे अपनी अंतिम इच्छा उन्हें यानि श्रीकृष्ण को बताना चाहते हैं. महात्मा विदुर ने कहा ” हे प्रभु, मैं धरती पर इतना विनाशकारी युद्ध देखकर बहुत ही दुखी हो गया हूँ, मैं अपनी मृत्यु के बाद अपने शरीर का एक भी अंश इस धरती पर नही छोड़ना चाहूंगा इसलिए मेरा आपसे यह निवेदन हैं कि मेरी मृत्यु होने पर न मुझे जलाया जाए, न दफनाया जाए और न ही जल में प्रवाहित ही किया जाए”.

विदुर ने आगे फिर बोले -” प्रभु मेरी अंतिम इच्छा इतना ही है कि मेरी मृत्यु के बाद मुझे आप सुदर्शन चक्र में परिवर्तित कर दीजिएगा”.श्रीकृष्ण ने उनकी अंतिम इच्छा स्वीकार करके उन्हें विश्वास दिलाया कि उनकी मृत्यु के बाद उनकी इस इच्छा को वे जरूर पूरा करेंगे.

महाभारत युद्ध समाप्त होने के कुछ दिन बाद पाँचों पांडव विदुर से मिलने वन में गए तो युधिष्ठिर को देखते ही विदुर ने प्राण त्याग दिए और वे युधिष्ठिर में ही समाहित हो गए.युधिष्ठिर ये सब देखकर समझ नहीँ सके कि ये क्या हुआ,क्यों हुए और इसके पीछे क्या रहस्य है? अपनी दुविधा को दूर करने के लिए उन्होंने श्रीकृष्ण को याद किया तब वहां श्रीकृष्ण प्रकट हुए और युधिष्ठिर की दुविधा को देखकर मुस्कुराते हुए बोले, “हे युधिष्ठिर यह कोई चिंता की बात नहीं महत्मा विदुर धर्मराज के अवतार थे और तुम स्वयं धर्मराज हो इसलिए वे प्राण त्याग करके तुममें समाहित हो गए लेकिन यहां मैं विदुर की अंतिम इच्छा को पूरा करने आया हूँ.” यह कहकर श्रीकृष्ण ने विदुर के शव को सुदर्शन चक्र में परिवर्तित करके उनकी अंतिम इच्छा को पूरा किया.

विदुर जो महान महाकाव्य महाभारत में पवित्र व्यक्ति माने जाते हैं, वे एक नेक इंसान थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन धर्म मार्ग में बिताया, हर किसी का सम्मान करते थे, वे पांडवों की रक्षा की उन्हें सही सलाह दी और धर्म के मार्ग पर चलने को कहा. विदुर नीति को उन लोगों के लिए अच्छा माना जाता हैं जो धर्म के मार्ग पर चल रहे हैं. विदुर सत्य, ज्ञान ,साहस, निष्पक्ष निर्णय और धर्म के व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं. 


FAQ – सामान्य प्रश्न

विदुर किनके भाई थे ?

विदुर धृतराष्ट्र और पाण्डु के भाई थे

विदुर किनके अवतार थे ?

विदुर यम (धर्मराज) के अवतार थे


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