Jagannath Puri Temple | जानिए जगन्नाथ पुरी मंदिर से जुड़ी कुछ रहस्यों को जो आज भी पहेली बनी हुई है, जिन्हें जानकर वैज्ञानिक भी हैरान हैं

Jagannath Puri temple

Jagannath Puri Temple | जगन्नाथपुरी मंदिर विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है, मंदिर से जुड़ी एक मान्यता है, भगवान विष्णु जब चारों धामों पर बसे तो सबसे पहले बद्रीनाथ गए वहां स्नान किया इसके बाद वो गुजरात के द्वारिका गए वहां कपड़े बदले, द्वारिका के बाद ओडिशा के पुरी  में उन्होंने भोजन किया और अंत मे तमिलनाडु के रामेश्वरम में विश्राम किया. पुरी के इस मंदिर में जगन्नाथ जी की मूर्ति है जगन्नाथ भगवान श्री कृष्ण के ही स्वरूप है और पूरी के इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ उनके भाई बलभद्र के साथ उनका बहन सुभद्रा की काठ यानि कि लकड़ी की मूर्तियां हैं. मंदिर से जुड़ी एक मान्यता है कि जब भगवान श्री कृष्ण ने अपना देह को त्याग किया और उनका अंतिम संस्कार किया गया तो हृदय को छोड़कर उनकी सारा देह पंचतत्व में विलीन हो गई कहते है भगवान श्रीकृष्ण का ह्रदय एक ज़िंदा इंसान की तरह धड़कता रहा और वो ह्रदय आज भी सुरक्षित हैं जो आज भी भगवान जगन्नाथ की लकड़ी की मूर्ति के अंदर है.

Jagannath Puri Temple | जगन्नाथ पुरी मंदिर से जुड़े कुछ रहस्य

जगन्नाथ मंदिर की ऐसी तमाम विशेषता है साथ ही मंदिर से जुड़ी ऐसी कई कहानियां है जो सदियों से रह्स्य बनी हुई हैं.. तो चलिए जानते है उन रहस्यों को:

हर 12 (बारह) साल में बदली जाती हैं मूर्तियां :

जगन्नाथ पुरी मंदिर की तीनों मूर्तियां को हर 12 साल में बदली  जाती हैं पुरानी मूर्तियों की जगह नई मूर्तियां स्थापित की जाती हैं. मूर्ति बदलने की इस प्रक्रिया से जुड़ी एक सच्चाई है कि जिस वक्त मूर्तियां बदली जाती  है उसी वक़्त पूरे शहर की बिजली काट दी जाती है, मंदिर के आसपास एकदम अंधेरा कर दिया जाता हैं, मंदिर के बाहर CRPF की सुरक्षा तैनाती कर दी जाती हैं, मंदिर में किसी की भी प्रवेश पर पाबंदी होती हैं सिर्फ उसी पुजारी को मंदिर के अंदर जाने की इजाजत होती है जिन्हें मूर्तियां बदलनी होती हैं, पुजारी की आँखों पर भी पट्टी बांधी जाती है,हाथों में ग्लव्स (दस्ताने) पहनाए जाते हैं इसके बाद मूर्तियां बदलने की प्रक्रिया शुरू होती हैं. पुरानी मूर्तियों की जगह नई मूर्तियों लगा दी गयी हैं लेकिन एक ऐसी चीज है जो कभी नहीं बदली जाती हैं वो है ब्रह्म पदार्थ एक यहीं चीज जो पुरानी मूर्ति से निकालकर नई मूर्ति में लगा दिया जाता हैं.

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आखिर क्या है ब्रह्म पदार्थ का रहस्य:

ये ब्रह्म पदार्थ क्या है,ये आज भी रहस्य बना हुआ हैं क्योंकि इसके बारे में सही जानकारी किसी के पास नहीं है. ये ब्रह्म पदार्थ हर 12 साल में पुरानी मूर्ति से निकालकर नई मूर्ति में डाला जाता हैं, लेकिन मूर्ति बदलने वाले पुजारी को भी नहीं होता है कि ” वे क्या है” ? मान्यता  ये है कि अगर इस ब्रह्म पदार्थ को कोई देख लिया तो उसकी मौत हो जाएगी कहा तो ये भी जाता है कि अगर इस पदार्थ को किसी ने देख लिया तो सामने वाले के शरीर के चीथड़े उड़ जायेगे. मान्यता है कि ब्रह्म पदार्थ को श्रीकृष्ण से जोड़कर देखा जाता है माना जाता हैं कि ये भगवान श्री कृष्ण का  ह्रदय जो उनके अंतिम संस्कार में नही जला था. वैसे मूर्ति बदलने वाले कुछ पुजारियों ने बताया कि जब ब्रह्म पदार्थ पुरानी मूर्ति से निकालकर नई मूर्ति में डालते है तो हाथों में उस वक्त ऐसा लगता हैं कि खरगोश जैसा कुछ हाथों में उछल रहा हो ऐसी कोई चीज है जिसमे जान हो लेकिन हाथों में दस्ताने होते हैं इसलिए उस पदार्थ के बारे में ज़्यादा एहसास नहीं हो पाता हैं, यानि कि ब्रह्म पदार्थ में किसी जीवित पदार्थ होने का एहसास ज़रूर है लेकिन इसकी हकीकत क्या है ये कोई नही जान पाया.

सिंहद्वार का रहस्य:

जगन्नाथ पुरी मंदिर समंदर किनारे पर है और मंदिर में एक सिंहद्वार है, कहा जाता हैं कि जब तक कदम सिंहद्वार के अंदर नहीं जाता तब तक समंदर की लहरों की आवाज़ सुनाई देते हैं लेकिन जैसे ही कदम सिंहद्वार के अंदर जाता है लहरों की आवाज गुम हो  जाती है इसी तरह सिंहद्वार से निकलते वक्त वापसी में जैसे ही पहला कदम बाहर आता है समंदर की आवाज़ फिर से आने लगती है. यहां ये भी कहा जाता हैं कि सिंहद्वार में कदम रखने से पहले आसपास जलाई जाने वाली चिताओं की गंध भी आती हैं लेकिन जैसे ही कदम सिंहद्वार के अंदर जाता हैं ये गंध भी खत्म हो जाती हैं.सिंहद्वार का ये रहस्य भी आज तक रहस्य ही बना है.

नहीं नजर आते पक्षी:

अक्सर मंदिर मस्जिद या फिर किसी बड़ी इमारत पर पक्षियों को बैठे हुए देखा जाता हैं लेकिन जगन्नाथ मंदिर जगन्नाथ मंदिर पर कभी किसी पक्षी को उड़ाते हुए नहीं देखा गया और ना ही कोई पक्षी मंदिर परिसर में बैठे हुए दिखाई देती हैं यहीं वजह  है कि मंदिर के ऊपर से हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर के उड़ाने पर मनाही हैं.

गुबंद की छाया नहीं बनती :

यह दुनिया का  सबसे भव्य और ऊँचा मंदिर है यह मंदिर 4 लाख वर्गफुट की क्षेत्र में  फैला है और इसकी ऊँचाई लगभग 214 फुट है. मंदिर के पास खड़े रहकर इसका गुबंद देख पाना असंभव है. मुख्य गुबंद की छाया दिन के किसी भी समय अदृश्य ही रहती हैं.

हवा की दिशा :

लगभग अधिकांश जगह सामान्य दिनों के समय हवा समुद्र से जमीन की तरफ आती है और शाम के दौरान इसके विपरीत लेकिन पुरी में इसका उल्टा होता है, अधिकतर समुद्री तटों पर आमतौर पर हवा समुद्र से जमीन की ओर जाती है लेकिन यहां हवा जमीन से समुद्र की ओर जात है.
जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी और भी रहस्य को विस्तार से अगले लेख में जानेंगे इसलिए आप सभी madhuramhindi.com पर बने रहे.


FAQ – सामान्य प्रश्न

जगन्नाथ पुरी मंदिर में कितने साल में बदली जाती है मूर्तियां ?

12 साल में

जगन्नाथ पुरी मंदिर में किन की पूजा होती है ?

भगवान विष्णु


Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं. madhuramhindi.com इसकी पुष्टि नहीं करता हैं