Chhath Puja | सबसे पहले किसने की थी छठ पूजा? जाने क्या है इसका महत्व और क्यों बांस के बने सूप का इस्तेमाल किया जाता हैं.

Who performed Chhath Puja first

Chhath Puja | हिंदू धर्म में छठ पर्व का बहुत महत्व माना गया है जो कि कार्तिक माह की अमावस्या को दीवाली मनाने के बाद मनाए जाने वाले इस चार दिवसीय महापर्व छठ का व्रत सबसे कठिन व्रत होता है. छठ को बिहार का महापर्व के रूप में जाना जाता हैं किन्तु अब यह पर्व बिहार के साथ देश के अन्य कई राज्यों में भी बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इस छठ पूजा के व्रत को सबसे पहले किया था और इसकी शुरुआत कहा से हुआ था.

Who performed Chhath Puja first? तो आइए जानते हैं कि सबसे पहले किसने किया था छठ पूजा :

बिहार के महापर्व छठ पूजा को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं और पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं जिनमें से एक सीता माता से जुड़ी हुई हैं. मान्यता है कि माता सीता ने सबसे पहले छठ पूजा बिहार (Bihar) के मुंगेर में गंगा तट पर किया था और इसके बाद से ही छठ पूजा की शुरुआत हुई जिसका प्रमाण स्वरूप जिस स्थान पर माता सीता ने छठ पूजा किया था वहां आज भी माता सीता के चरण चिन्ह मौजूद हैं.

वाल्मीकी रामायण के अनुसार जब श्री राम चौदह वर्ष का वनवास के बाद अयोध्या आए तो उनको ऋषि मुनियों ने रावण वध के पाप से मुक्ति पाने के लिए राजसूय यज्ञ करने को कहा तब श्री राम ने इस यज्ञ को करने का फैसला लिया इसके लिए उन्होंने ऋषि मुग्दल को आमंत्रण भेजा किन्तु ऋषि मुग्दल ने श्री राम और सीता को अपने आश्रम में आने का आदेश दिया और उनके आदेश का सम्मान करते हुए श्री राम और सीता ऋषि मुग्दल के आश्रम आएं और राजसूय यज्ञ के बारे में बताया तब मुग्दल ऋषि ने माता सीता पर गंगा जल को छिड़कर पवित्र किया और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को भगवान सूर्य की उपासना करने को कहा जिससे उनको अपने कुलदेवता का आशीर्वाद मिल सकें क्योकि श्री राम सूर्यवंशी थे और इनके कुल देवता सूर्य देव थे इसके बाद यहीं रहकर माता सीता ने छह दिनों तक भगवान सूर्यदेव की पूजा की थी.

कहा जाता हैं कि जहां माता सीता ने छठ पूजा को किया था वहां आज भी उनके पदचिह्न मौजूद हैं और बाद में उस जगह पर एक मंदिर का निर्माण करा दिया जो कि सीताचरण मंदिर से प्रसिद्ध हैं  ऐसी मान्यता है कि यह मंदिर हर साल गंगा के बाढ़ में डूब जाता हैं और महीनों तक माता सीता के पदचिह्न वाला पत्थर गंगा के जल में डूबा रहने के बावजूद उनके।पदचिह्न मिटते नहीं है. इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में आने वाला कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता है हर श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

Importance of Chhath Puja | आइए जानतें हैं छठ पूजा के महत्व को :

हिन्दू त्यौहारों में छठ पूजा बहुत ही कठिन मानी गई है इसके बावजूद हर साल इसे पूरी आस्था और उल्लास के साथ महापर्व पूजा के रूप में मनाई जाती हैं. इस पर्व में भगवान सूर्य देव और माता षष्ठी देव की पूजा  की जाती हैं कहा जाता हैं कि छठ पूजा करने से सुखों की प्राप्ति होने के साथ ही निसंतान को संतान की प्राप्ति होती हैं. इस महापर्व को करने से सुख समृद्धि, धन वैभव मिलती और अगर मन में कोई मनोकामनाएं हो तो वह भी अवश्य पूरी होती हैं.

Chhath Puja | आइए अब जानतें हैं कि छठ पूजा में बांस के बने सूप का इस्तेमाल क्यों होता हैं :

सनातन धर्म (sanaatan dharm) में बांस को प्राचीन समय से ही शुद्धता, सुख समृद्धि और पवित्रता का प्रतीक माना जाता हैं और शास्त्रों में बांस के बने सूप का बहुत महत्व होता हैं मान्यता है कि बांस के बने सूप से भगवान सूर्य को अर्ध्य देने से परिवार की हर विपदा से सूर्य देव रक्षा किया करते हैं. धार्मिक मान्यता है कि जिस प्रकार से बांस मिट्टी में बिना किसी रुकावट के बढ़ता है ठीक इसी प्रकार से वंश का भी तेजी से आगे बढ़ता है.यही कारण है कि छठ पर्व में सूर्य भगवान को अर्ध्य देने के लिए बांस के बने सूप, टोकरी या फिर देउरा में फल, मिष्ठान और अन्य वस्तुओं को रखकर घाट ले जाया जाता हैं व्रती महिलाएं इसी के द्वारा सूर्य देव को अर्ध्य देती हैं और छठी मैया को भेंट चढ़ाती हैं जिससे छठी मैया सारी मनोकामनाएं पूर्ण करें.


उम्मीद है कि आपको छठ पूजा से जुड़ा लेख पसंद आया होगा तो इसे अपने परिजनों और दोस्तों के बीच शेयर करें और ऐसे ही पर्व से जुड़े लेख को पढ़ने के लिए जुड़े रहें madhuramhindi.com के साथ.


FAQ – सामान्य प्रश्न

छठ पूजा सबसे पहले किसने किया था ?

सीता माता

सीता माता ने छठ पूजा कहां किया था ?

मुंगेर में गंगा तट

छठ पूजा में किसके बने सूप का इस्तेमाल किया जाता हैं?

बांस

छठ पूजा में किस भगवान को अर्ध्य दिया जाता हैं ?

भगवान सूर्य देव.


अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.