Kuber Dev | कौन है भगवान कुबेर? जानेगें कुबेर देव का धन के देवता बनने की पौराणिक कथा को.

Kuber Dev

Kuber Dev | हिन्दू धर्म में दीपोत्सव का पर्व दीवाली बहुत ही हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया जाता हैं. दीवाली पर्व पांच दिन का होता है जिसकी शुरुआत धनतेरस के दिन से होती हैं और धनतेरस और दीवाली के दिन धन की देवी माता लक्ष्मी, भगवान कुबेर, भगवान धन्वंतरि और गणेशजी की पूजा की जाती है. धार्मिक ग्रन्थों और शास्त्रों के अनुसार भगवान कुबेर को धन (Dhan ke devta), सुख और समृद्धि के देवता कहलाते हैं ऐसी मान्यता है कि भगवान कुबेर की पूजा के बिना माता लक्ष्मी भी अपनी कृपा नहीं करती हैं.

भगवान कुबेर रावण के सौतेले भाई है मान्यता है कि ब्रह्माजी के मानस पुत्रों में से एक थे पुलस्त्य ऋषि जिनकी दूसरी पत्नी इडविला थी इन दोनों की पुत्र विश्रवा थे और विश्रवा के पुत्र कुबेर और रावण थे जिनमें ऋषि विश्रवा की पहली पत्नी भारद्वाज की पुत्री देवांगना थी जिनका पुत्र कुबेर थे और विश्रवा की दूसरी पत्नी दैत्यराज सुमाली की पुत्री कैकसी थी जिनकी सन्तानें रावण, कुंभकर्ण, विभीषण और सूपर्णखा थी इस प्रकार से खर, दूषण, कुम्भिनी, अहिरावण और कुबेर रावण के सगे भाई बहन नहीं थे.

कुबेर जिनको देवताओं के धन का खंजाची कहते हैं मान्यता है कि एक बार भगवान विष्णु को भी कुबेर से कर्ज लेना पड़ा किसको चुकाने के लिए तिरुपति बालाजी को सोने, चांदी, हीरे मोतियों के आभूषण चढ़ाये जाते हैं. इस धनवान भगवान के बारे में प्रचलित कथा है कि यह धन के देवता से पहले एक चोर हुआ करते थे.

Kuber Dev | आइए जानते हैं उस पौराणिक कथा को कैसे एक चोर बना दुनिया का सबसे धनवान जिनकी पूजा करते हैं लोग :

आइए जानते हैं उस पौराणिक कथा (Dhan ke devta kuber ki kahani) को कैसे एक चोर बना दुनिया का सबसे धनवान जिनकी पूजा करते हैं लोग :

स्कंद पुराण की कथानुसार कुबेर सोमदत्त दीक्षित नामक ब्राह्मण के पुत्र गुणनिधि थे. जो धर्म और कर्म में विश्वास रखतें थे किंतु गलत संगति के कारण उनके सारे गुण अवगुण बनते गए और वह कि चोरी करने लगा. गुणनिधि के अवगुणों को उनकी माता अपने पति से छिपाई करती थी लेकिन कुछ समय पश्चात गुणनिधि के पिता को उनके अवगुणों के बारे में जानकारी हुई तो नाराज़ होकर उन्हें घर से निकाल दिया इसके बावजूद गुणनिधि और भी गलत कार्य करने लगा और अपनी इन्हीं अवगुणों के कारण राजा ने भी उसे अपने देश से निकाल दिया और गुणनिधि कोई अन्य नगर में जा रहा था कि उसे बहुत भूख और प्यास लगी कि तभी उसकी नज़र एक भगवान शिव मंदिर पर गई.

गुणनिधि भूख और प्यास से व्याकुल था इसलिए अपनी भूख मिटाने के लिए मंदिर से प्रसाद चुराने को सोचकर वह मौका मिलते ही मंदिर पहुंच गया और मंदिर में जाते ही जलते हुए दीपक के सामने अपना अंगोछा लटका दिया जिससे कि पास में सोते हुए पुजारी की नज़र उस पर न जाएं और इसके बाद गुणनिधि जैसे ही प्रसाद चुराकर भागने लगा कि कुछ लोगों की नज़र उस पर गई और उसे पकड़ लिया लेकिन इस भागम भाग और भूख से गुणनिधि की मृत्यु हो गई.

गुणनिधि की मृत्यु होने पर उसको अपने साथ ले जाने के लिए यमदूत और शिव के दूत दोनों ही पहुंचे किन्तु शिव के दूतों को देखकर यमदूत पीछे हट गए और फिर भगवान शिव के पास गुणनिधि को लाया गया तब भगवान शिव ने कहा कि ” तुमने बहुत पाप किए हो किन्तु धन त्रयोदशी के दिन तुमने मेरे मंदिर में जल रहें दीपक को अपने अंगोछे के ओट से बुझने से बचाया हैं और इसी पुण्य के प्रभाव से तुम आज से मेरे पार्षद हुए और तुम जिस धन के लालच में चोरी किया करते थे जिससे मैं तुम्हें पूरी दुनिया के धन का अधिपति बनाता हूँ इसलिए आज से तुम कुबेर कहलाओगे “.

इस पौराणिक कथा को पढ़ने के बाद हम सभी जान ही गए हैं कि कैसे गुणनिधि चोरी करने के बावजूद कुबेर भगवान बने.


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FAQ – सामान्य प्रश्न

भगवान कुबेर देवताओं के क्या कहलाते हैं ?

धन के खंजाची.

कुबेर के माता पिता का क्या नाम है ?

माता देवांगना और पिता ऋषि विश्रवा.

कुबेर को पूरी दुनिया के धन का अधिपति किसने बनाया था ?

भगवान शिव.

भगवान विष्णु ने किनसे कर्ज़ लिया था ?

भगवान कुबेर.

भगवान कुबेर पुर्नजन्म में क्या थे ?

चोर.


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