Saryu River | अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्मभूमि है जो कि सरयू नदी के किनारे बसी हैं और भगवान राम की नगरी अयोध्या में सरयू नदी का बहुत ही महत्व है. अयोध्या के उत्तर दिशा में बहने वाली सरयू नदी हिमालय से निकलती हैं और उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड राज्य से होकर बहती है इसके साथ ही अयोध्या की भूमि को उपजाऊ बनाने और भगवान श्रीराम का साक्षी बनने में सरयू नदी अहम भूमिका निभाने का भी योगदान करती है. धार्मिक मान्यता है कि ब्रह्म मुहूर्त में सरयू नदी में स्नान करने से सभी तीर्थों के दर्शन कर लिए जैसा पुण्य और सभी पापों से मुक्ति भी मिल जाती हैं लेकिन सरयू नदी श्रापित हैं जिसके कारण से इस नदी का जल पूजा पाठ या फिर किसी भी उत्सव में शामिल नहीं किया जाता हैं.
Why is river Saryu cursed | तो चलिए जानते हैं सरयू नदी आखिर क्यों श्रापित हैं :
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीराम ने सरयू नदी में जल समाधि लेकर अपनी लीला को समाप्त किया और भगवान राम के इस तरह की जल समाधि लेने पर भगवान शिव बहुत ही क्रोधित हो गए और इसके लिए उन्हें सरयू नदी को ही दोषी माना और इसी वजह से उन्होंने सरयू नदी को श्राप दिया कि तुम्हारा जल किसी भी मंदिर में चढ़ाने के काम नहीं आएगा और नहीं ही किसी भी पूजा पाठ व अनुष्ठान में ही तुम्हारे जल का उपयोग किया जाएगा. इसके बाद मां सरयू नदी भगवान शिव के चरणों में गिर पड़ी और कहने लगी कि प्रभु इसमें मेरा क्या दोष है यह तो विधि का विधान था जो पहले से ही तय था भला इसमें मेरा क्या कसूर हैं और इसमें मैं क्या कर सकती हूं ? सरयू माता के बहुत ही विनती करने पर भगवान शिव ने सरयू माता से कहा कि मैं अपना श्राप वापस तो नहीं ले सकता किंतु इतना हो सकता है कि तुम्हारे जल में स्नान करने से मनुष्य के पाप धूल जाएंगे लेकिन तुम्हारे जल का उपयोग पूजा पाठ या फिर किसी भी मंदिर में नहीं किया जाएगा और नहीं किसी को इसमें स्नान से पुण्य ही मिलेगा और तभी से ही सरयू नदी का जल पूजा पाठ में शामिल नहीं किया जाने लगा यहां तक की वर्तमान समय में भी पूरा श्राप सरयू नदी पर आज भी लागू है कहीं भी यज्ञ हो तो उनके लिए सात नदियों का जल लाया जाता है जिन सात नदियों का जल लाया जाता है उसमें सरयू नदी शामिल नहीं होता है यहां तक कि श्रापित होने की वजह से कुंभ व अर्धकुंभ जैसे कोई भी आयोजन सरयू नदी के किनारे भी नहीं किया जाता हैं.
How did the Saryu river Originate | जानते हैं सरयू नदी की उत्पत्ति कैसे हुई थी :
पौराणिक कथा के अनुसार सरयू नदी भगवान विष्णु के नेत्रों से प्रकट हुई थी. कथानुसार शंखासुर नामक असुर ने ब्रह्माजी से वेदों को चुराकर समुंद्र में छिपा दिया था तो भगवान विष्णु ने वेदों की रक्षा करने के लिए मत्स्य रूप को धारण किया था और इसी मत्स्य रूप में वेदों को वापस लाकर भगवान विष्णु इतने खुश हुए थे कि इसी दौरान उनकी आंख से एक आंसू टपक गया और इसी आंसू को ब्रह्माजी ने एक मानसरोवर में डाल दिया बाद में इसी सरोवर को महापराक्रमी वैवस्वत महाराज ने बाण के प्रहार से धरती से बाहर निकला जो सरयू नदी के नाम से प्रचलित हुई. मान्यता है की सरयू नदी भगवान विष्णु की मानस पुत्री है और इस सरयू नदी को धरती पर ऋषि वशिष्ठ लेकर आए थे.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) सरयू नदी अयोध्या मैं किस दिशा में बहती है ?
उत्तर दिशा
2) श्रीराम ने किस नदी में जल समाधि ली थी ?
सरयू नदी.
3) सरयू नदी को किस भगवान ने श्राप दिया है ?
भगवान शिव.
4) सरयू नदी किन भगवान की नेत्रों से प्रकट हुई हैं ?
भगवान विष्णु.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.