Parshuram | परशुराम को भगवान विष्णु का छठवां अवतार माना जाता है. मान्यता है कि परशुरामजी भगवान शंकर के परम भक्त थे जो हर समय तपस्या में लीन रहा करते थे उनकी इसी भक्ति को देखकर शंकर भगवान ने स्वयं ही इनको अमरता का वरदान दिया था. विष्णु पुराण के अनुसार परशुराम का मूल नाम राम था लेकिन जब भगवान शंकर ने उनको अपना परशु नामक अस्त्र दिया था तभी से उनको परशुराम के नाम से जाना जाता. इनको क्रोध बहुत जल्दी आता था इस क्रोध में आकर वह कुछ भी कर देते थे इनमें से एक कथा है कि उन्होंने इक्कीस (21) बार क्षत्रियों का संहार करके धरती को क्षत्रिय विहीन कर दिया था.
Parshuram |परशुराम ने क्यों किया इक्कीस (21) बार धरती को क्षत्रिय विहीन? क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा :
भगवान परशुराम अपने माता पिता के आज्ञाकारी पुत्र थे और उन्हीं का अपमान का बदला लेने के लिए इक्कीस (21) बार इस धरती को क्षत्रिय विहीन कर दिया था. धार्मिक मान्यता हैं कि भगवान विष्णु ने छठवां अवतार परशुराम के रूप मदांध सहस्त्रबाहु को सबक सिखाने के लिए लिया था. पौराणिक कथा के अनुसार महिष्मति नगर राजा सहस्त्रबाहु का वास्तविक नाम अर्जुन था इसने अपनी तपस्या के द्वारा भगवान दत्तात्रेय को प्रसन्न करके उनसे दस हज़ार (10,000) हाथों का आशीर्वाद प्राप्त कर लिया था और इसके बाद से ही ये सहस्त्रार्जुन के नाम से जाने लगा इसकी शक्ति का अंदाजा इस बात से लगता हैं कि इसने शक्तिशाली रावण की भी पराजित किया था. महिष्मति राजा सहस्त्रार्जुन अपने ताकत के घमंड में इतना चूर हो गया कि उसने धर्म की सारी सीमाओं को लांघ गया उसके अत्याचार और अनाचार से जनता त्रस्त हो चुकी थी वह वेद पुराण और धार्मिक ग्रँथों को झूठा बताकर ब्राह्मणों का अपमानित करता ऋषियों के आश्रम को नष्ट करता, उनका अकारण ही वध करता यहां तक मदिरा के नशे में अपनी खुशी और मनोरंजन के लिए अबला स्त्रियों के सतीत्व को भी नष्ट करना शुरू कर दिया था.
एक बार सहस्त्रार्जुन अपनी पूरी सेना के साथ जंगलों से होता हुआ ऋषि जमदग्नि के आश्रम में विश्राम के लिए गया ऋषि जमदग्नि ने सहस्त्रार्जुन को आश्रम का मेहमान मानकर स्वागत सत्कार में कोई कमी नही रखी कहा जाता हैं कि ऋषि जमदग्नि के पास एक दिव्य गुणों वाली कामधेनु नामक की अदभुत गाय थी जिसको देवराज इंद्र ने जमदग्नि ऋषि को दिया था और इसी गाय की सहायता से ऋषि ने कुछ ही क्षणों में देखते ही देखते समस्त सेना के भोजन का प्रबंध कर दिया. कामधेनु गाय के ऐसे विलक्षण गुणों के आगे सहस्त्रार्जुन को अपना राजसी सुख कम लगने लगा उसके मन में ऐसी अद्भुत गाय को पाने की इच्छा जागी उसने ऋषि जमदग्नि से कामधेनु गाय की मांग किया किन्तु ऋषि जमदग्नि आश्रम के प्रबंधन और जीवन के भरण पोषण का एकमात्र विकल्प कामधेनु गाय को बताकर इसको देने से मना कर दिया.इस पर सहस्रार्जुन ने क्रोधित होकर जमदग्नि ऋषि के आश्रम को उजाड़ देने के बाद बलपूर्वक कामधेनु गाय को ले जाने लगा कि तभी कामधेनु सहस्रार्जुन के हाथों से छूटकर स्वर्ग की ओर चली गई.
जब भगवान परशुराम अपने आश्रम को तहस नहस देखा तो क्रोधित हो गए और उसी समय सहस्त्रार्जुन और उसकी सेना का विनाश करने का संकल्प लिया.परशुरामजी भगवान शंकर के दिए परशु अस्त्र को लेकर सहस्त्रार्जुन के नगर महिष्मति पहुंचे जहां पर सहस्त्रार्जुन और परशुराम के बीच युद्ध हुआ जिसमें परशुराम के प्रचण्ड बल के सामने सहस्त्रार्जुन कमजोर साबित हुआ और भगवान परशुराम ने दुष्ट सहस्त्रार्जुन की हजारों भुजाएं और धड़ को परशु से काटकर उसका वध कर दिया.
सहस्त्रार्जुन का वध करने के बाद पिता के आदेश पर इस वध का प्रायश्चित करने के लिए परशुराम तीर्थ पर चले गए और तब मौका पाकर सहस्त्रार्जुन के पुत्रों ने अपने सहयोगी क्षत्रियों के साथ मिलकर तपस्या कर रहे ऋषि जमदग्नि का उनके आश्रम में सिर काटकर उनका वध करने के साथ आश्रम के सभी ऋषियों का वध करते हुए आश्रम को जला दिया. माता रेणुका ने अपने पुत्र परशुराम को विलाप स्वर में सहायता के लिए पुकारा इस पर माता की पुकार सुनकर परशुराम आश्रम पहुंचे तो माता को विलाप करते हुए उनके समीप ही पिता का कटा हुआ सिर और उनके शरीर पर इक्कीस (21) घाव को देखा.
परशुराम ने यह देखकर बहुत ही क्रोधित हुए और उन्होंने शपथ लिया कि वह इस धरती से संपूर्ण क्षत्रिय वंशों का इक्कीस बार संहार करके धरती को क्षत्रिय विहीन कर देंगे. पुराणों के अनुसार भगवान परशुराम ने इक्कीस बार धरती को क्षत्रिय विहीन करके उनके रक्त से समन्तपंचक क्षेत्र के पांच सरोवर को भरकर अपने संकल्प को पूरा किया. कहा जाता हैं कि भगवान परशुराम को महर्षि ऋचीक ने स्वयं प्रकट होकर ऐसा करने से रोका था तब जाकर किसी तरह क्षत्रियों का विनाश धरती पर रुका. इसके बाद भगवान परशुराम ने अपने पितरों का श्राद्ध क्रिया कर्म करके ऋचीक महर्षि के आज्ञानुसार अश्वमेध यज्ञ और विश्वजीत यज्ञ भी किया.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
भगवान विष्णु का छठवां अवतार कौन है ?
परशुराम जी.
परशुराम ने धरती को कितने बार क्षत्रिय विहीन किया है ?
इक्कीस बार.
सहस्रार्जुन ने किसको प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी ?
भगवान दत्तात्रेय
ऋषि जमदग्नि को कामधेनु गाय किसने दिया था ?
देवराज इंद्र.
भगवान शंकर ने अपना कौन सा अस्त्र परशुराम को दिया है ?
परशु.
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