Premanand Ji Maharaj | अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक प्रदीप मिश्रा जी का राधा रानी (Radha Rani) पर टिप्पणी को लेकर संत प्रेमानंद महाराज इतना नाराज हो गए कि गुस्से में आकर प्रदीप मिश्राजी को घेर लिया और इसी नाराजगी में उन्होंने प्रदीप मिश्रा पर क्रोधित होकर कहा कि चार श्लोक पढ़कर तुम खुद को कथावाचक कहते हो राधा जी के बारे में क्या जानते हो तुम ? चार लोगों के बीच बैठकर तुम खुद को बहुत बड़ा भागवत प्रवक्ता कहते हो असल में तुम्हे ब्रह्म तत्व का बोध ही नहीं है, राधा को लेकर ऐसी बातें कहने वालों को नर्क भोगने से कोई नहीं बचा पाएगा तुम्हें शर्म आने चाहिए जिनका नाम लेकर खाते हो उनके बारे में ऐसी बातें करते हो.
संत प्रेमानंद महाराज के साथ साथ वृंदावन के बाकी संतों ने भी पंडित प्रदीप मिश्राजी (Pandit Pradeep Mishra) के विरोध में खड़े हुए. इस तरह के विरोधभाषी को लेकर स्वंय पंडित प्रदीप मिश्रा जी अपनी चुप्पी तोड़ते हुए बताया कि जिस वीडियो को सामने लाया गया है वो चौदह (14) साल पहले कमलापुर की कथा है उसमें हमने राधा जी के विवाह का वर्णन भगवान श्री कृष्ण के साथ भी किया है जिसे कांट छांट कर प्रस्तुत किया गया है. पंडित प्रदीप मिश्राजी राधा रानी विवाद के बीच खंडवा के ओंकारेश्वर में कथा सुना रहे हैं उन्होंने इस विवाद में कहा है कि जो कुछ बोलूंगा प्रमाण से बोलूंगा, बिना प्रमाण के कुछ नहीं बोलूंगा. गुरुजी ने कहा कि जिस जिस महाराज को प्रमाण चाहिए कुबेरेश्वर धाम खुला पड़ा है आ जाओ, प्रमाण लेकर जाओ मुझे वहां के विद्वानों ने कहा कि हम यहां सभा रखेंगे आप पधारे उसमें अपनी बात रखना हमारे यहां पत्र आया हमने भी पत्र के माध्यम से उन्हें सूचना दे दी है कि हम पहुंचेंगे वहीं पर बात करेंगे.
पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने कहा इसका प्रमाण हम पहले दे चुके हैं लेकिन जिसकी दृष्टि में सीहोर वाला महाराज गलत है तो वह जिंदगी भर कितना भी प्रमाण दें, जैसे माता जानकी प्रमाण दे देकर आखिरी में जमीन में चले गए पर उनकी किसी ने नहीं सुनी. उन्होंने आगे कहा कि क्या प्रमाण चाहिए? मेरी मां ने सौगंध खाकर बैठाया था कि इस व्यास पीठ से वो सब बोलना जो हमारे शास्त्रों में है और इस व्यासपीठ में मैंने सत्य ही कहा और हमेशा सत्य ही कहूंगा और रही बात राधा रानी की वह तो मेरी मां है माफी की बात करते हो इस राधा रानी के चरणों में तो मेरी पूरी जिंदगी, खानदान और कुटुंब पड़ा हैं.
आगे पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने कहा कि प्रेमानंद जी महाराज विद्वान संत है उनके चरणों को दंडवत प्रणाम करता हूं भारत की भूमि पर और ब्रज में इतने बड़े रसिक संत कोई और नहीं होगा. अगर वह एक फोन कर देते हैं कि प्रदीप तुझे आना है उनका यह दास दंडवत करता करता उनके चरणों में पहुंचता और उनसे बात करता. मैं उन्हें प्रणाम करता हूं जिनकी जिव्या पर इस बावरे का नाम तो आया कैसे भी आया, कल्याण तो हो गया. उन्होंने कहा कि कुछ लोग शिव पुराण का विरोध करना चाहते हैं इस व्यास पीठ का विरोध करना चाहते हैं, प्रदीप मिश्रा का विरोध करना चाहते हैं वह लोग राधा रानी की आड़ में बदनाम करना चाहते हैं ब्रजवासी इतने भोले हैं कि समझ नहीं पा रहे हैं. आप कहो जिस दिन राधा रानी के चरणों पर आकर दंडवत कर लूं आप बोलो जितने दिन तक राधा रानी के चरणों में पड़ा रहूं, मेरी मां है वह उनसे मेरा बैर नहीं है. अपनी बात पर अडिग होकर कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने कहा कि अपशब्द कहने वाले अपशब्द कहते रहेंगे और भगवान शंकर की कथा चलती रहेगी.
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