Margashirsha Month | हिन्दू पंचाग के अनुसार साल का नौवां महीना अगहन मास कहलाता है और अगहन मास को मार्गशीर्ष के नाम से भी जाना जाता हैं इस महीने में कई व्रत त्यौहार मनाए जाते हैं जैसे कि कालभैरव अष्टमी, उत्पन्ना एकादशी, विवाह पंचमी, नंदा सप्तमी, मोक्षदा एकादशी और अनंग त्रयोदशी. इस माह का गुरुवार लक्ष्मी माता को समर्पित होता है जिसे अग्रहायण लक्ष्मी पूजा के नाम से जाना जाता हैं अगहन मास (Aghaan month) को मार्गशीर्ष मास के अलावा इसको श्रीकृष्ण का मास कहा जाता हैं मान्यता है कि इस महीने में श्रीकृष्ण की पूजा करना बहुत ही फल देने के साथ ही इस मास में शंख का पूजन करना भी बहुत ही फलदायक होता हैं और इससे हर मनोकामना पूरी हो जाती हैं. कहा जाता हैं कि इस पावन माह में नदी स्नान और दान पुण्य करने का भी विशेष महत्व होता हैं.
Margashirsha Month | अगहन मास को मार्गशीर्ष मास क्यों कहा जाता हैं :
इन तर्क से जानेगें की अगहन मास (Aghaan month) को आखिर मार्गशीर्ष मास क्यों कहा जाता हैं :
1) हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार इस माह का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से है और पंचाग के अनुसार सत्ताईस (27) नक्षत्र होते हैं जिनमें से एक मृगशिरा नक्षत्र हैं और इस महीने में आने वाली पूर्णिमा तिथि मृगशिरा नक्षत्र में होती हैं इसी कारण से अगहन मास को मार्गशीर्ष मास कहा जाता हैं.
2) श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था कि सभी मास में मार्गशीर्ष स्वयं मैं ही हूं मार्गशीर्ष मास में श्रद्धा और भक्ति से प्राप्त पुण्य से सभी सुखों की प्राप्ति होती हैं. मान्यता है कि श्रीकृष्ण के बाल्यकाल में जब गोपियां उन्हें पाने के लिए ध्यान लगा रही थी तब श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष मास का महत्ता बताते हुए कहा था कि मार्गशीर्ष मास में यमुना में स्नान से मैं सहज ही सभी की मिल जाऊँगा और तभी से इस मास में नदी स्नान का विशेष महत्व माना गया है.
3) मार्गशीर्ष के शुक्ल तिथि द्वादशी (12) को उपवास शुरू करके प्रति मास की द्वादशी को उपवास करते हुए कार्तिक की द्वादशी को पूरा करें जो बहुत शुभ होता हैं और प्रति द्वादशी को भगवान विष्णु के केशव से लेकर दामोदर तक के बारह (12) नामों में से एक एक मास तक उनका पूजन करना चाहिए इससे जातक (पूजक) जातिस्मर पूर्व जन्म की घटनाओं को याद रखने वाला हो जाता हैं और उस लोक को जाता हैं जहां से फिर जगत में फिर से लौटने की आवश्यकता नही होती हैं.
4) मार्गशीर्ष की पूर्णिमा में चंद्रमा की पूजा जरूर से करनी चाहिए क्योंकि इसी दिन चंद्रमा को सुधा से सिंचित किया गया था और इस दिन माता, बहिन, पुत्री के साथ परिवार की अन्य स्त्रियों को एक एक जोड़ा वस्त्र देकर सम्मानित करना चाहिए और इसी दिन यानि कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा को दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती हैं.
5) मार्गशीर्ष मास में विष्णुसहस्र नाम, भगवत गीता और गजेंद्रमोक्ष इन तीन (3) पावन पाठ का बेहद ही विशेष महत्व है इन सभी को दिन में 2 से 3 बार अवश्य पढ़ना चाहिए.
6) मार्गशीर्ष मास में श्रीमद्भागवत ग्रँथ को देखने भर की बहुत विशेष महिमा हैं स्कंद पुराण के अनुसार अगर घर में श्रीमद्भागवत हो तो अगहन मास यानि के मार्गशीर्ष में दिन में एक बार उसको प्रणाम अवश्य करना चाहिए.
7) इस मास में शंख में तीर्थ का पानी भरकर घर के पूजा स्थान में भगवान के ऊपर से शंख मंत्र बोलते हुए घुमाए और फिर इस जल को घर की दीवारों पर छीटें दे मान्यता है कि इससे घर में शुद्धिता बढ़ती है, शान्ति आती हैं और क्लेश दूर होते हैं.
Importance of Margashirsha month | मार्गशीर्ष मास के महत्व को :
1) मार्गशीर्ष मास को भगवान श्रीकृष्ण का ही एक स्वरूप माना गया है.
2) मार्गशीर्ष मास में ही ऋषि कश्यप ने कश्मीर प्रदेश को बनाया था .
3) मार्गशीर्ष में नदी स्नान के लिए तुलसी के पत्ते और तुलसी की जड़ की मिट्टी से स्नान करते हुए ॐ नमो नारायणाय या फिर गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए.
4) मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को चंद्रमा की पूजा अवश्य करना चाहिए इसके साथ ही इस दिन किसी महिला रिश्तेदार को वस्त्र का दान करें.
5) मार्गशीर्ष मास की प्रतिपदा तिथि से ही देवताओं ने सतयुग के वर्षों का आरंभ किया था.
6) मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को उपवास शुरू करके हर मास की द्वादशी को उपवास करते हुए कार्तिक मास तक द्वादशी का उपवास करने से जातक बैकुंठ को पाता है.
7) मार्गशीर्ष मास में भक्तों को भगवत गीता, विष्णुसहस्र नाम और गजेन्द्रमोक्ष की कथा का अवश्य श्रवण करना चाहिए.
8) मार्गशीर्ष में शंख मंत्र को बोलते हुए घर के आराध्य देव पर शंख से जल छिड़के मान्यता है कि ऐसा करने से घर से नकारात्मकता दूर होती हैं.
9) मार्गशीर्ष मास में श्रीमद्भागवत गीता को प्रणाम करने से पुण्यफल मिलता है.
10) मार्गशीर्ष मास में अपने गुरुजनों को ॐ दामोदराय नमः को बोलते हुए प्रणाम करना चाहिए.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
पंचाग के अनुसार कितने नक्षत्र होते हैं ?
सत्ताईस (27)
मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा किस नक्षत्र में होती हैं ?
मृगशिरा नक्षत्र
अगहन मास का गुरुवार किस देवी को समर्पित है ?
देवी लक्ष्मी
मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को किसकी जयंती मनाई जाती है ?
भगवान दत्तात्रेय.
मार्गशीर्ष मास में किस ग्रँथ को प्रणाम करने पर पुण्य फल प्राप्त होता है?
श्रीमद्भागवत गीता.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.