Navratri | हिन्दू धर्म में नवरात्रि का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. नवरात्रि में माँ भगवती के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती हैं. शक्ति स्वरूपा माँ भगवती की विधि विधान से पूजा करने के साथ कलश की स्थापना की जाती हैं और कलश स्थापित करते समय कलश के चारों ओर जौ को बोने (barley sown) की परंपरा है जिसे कहीं कहीं जगहों पर इसे ज्वारे भी कहा जाता हैं. मिट्टी में बोई जाने वाले इन जौ का बहुत महत्व है. सनातन धर्म में नवरात्रि में जौ बोने की परंपरा सदियों से चली आ रही हैं. कहा जाता हैं कि जो भी घर में कलश स्थापना या फिर घट स्थापना किया करते हैं उनको ज्वारे (जौ) अवश्य बौना चाहिए क्योंकि मान्यता है कि ज्वारे के बिना माँ भगवती दुर्गा की पूजा का पूरा फल नही मिलता, पूजा अधूरी मानी जाती हैं. ज्वारों को शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना के समय दुर्गा माता की चौकी के नजदीक ही बोया जाता है और नौ दिनों की नवरात्रि पूजा के बाद समापन पर इसको नदी या फिर तालाब में विसर्जित कर दिया जाता हैं.
Navratri | आइए जानते हैं नवरात्रि में क्यों बोये जाते हैं ज्वारे :
नवरात्रि में माँ भगवती की आराधना के लिए कलश स्थापना करते समय पूजा स्थल पर ज्वारे इसलिए बोये जाते हैं कि इसे सृष्टि की पहली फसल मानी गई है जौ को अन्नपूर्णा देवी का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि नवरात्रि का पर्व बहुत पावन व पवित्र होता है ऐसे में जौ को बोने से दुर्गा माता, अन्नपूर्णा माँ और ब्रह्मा जी का आशीर्वाद मिलता है इसके अलावा जौ को पूर्ण फसल भी कहा जाता हैं इसलिए इसे सबसे ज्यादा शुभ माना जाता हैं जब भी किसी भी देवी देवताओं की पूजा पाठ की जाती है तो हवन में जौ की आहुति दी जाती है जिससे वह जल्द प्रसन्न हो जाते है कहा जाता है कि जौ अन्न ब्रह्मा जी के समान है और अन्न का हमेशा सम्मान करना चाहिए इसका स्थान हमेशा ऊंचा रखना चाहिए और अन्न का कभी अपमान नहीं करना चाहिए.
Navratri | आइए अब जानते हैं जौ के शुभ – अशुभ संकेत को :
नवरात्रि के दिनों में केवल जौ बोने (barley sown) से ही सब कुछ नहीं होता जबकि इसके बढ़ने की संकेत भी बहुत कुछ बताती है नवरात्रि के नौ दिनों में जौ कितनी तेजी से बढ़ती है यह काफी महत्व रखता है. नवरात्रों में जौ बोने के पीछे कुछ शुभ और कुछ अशुभ संकेत भी छुपे होते है:
पहले जान लें शुभ संकेत को :
1) अगर नवरात्रि में जौ बोने (barley sown) के थोड़े समय के बाद उगने लगें और जल्द ही हरी भरी हो जाएं तो यह बहुत ही शुभ संकेत माना गया है. मान्यता है कि नवरात्रि में बोई गई जौ जितनी बढ़ती है उतनी ही माँ भगवती की कृपा बरसती हैं इससे कार्य मे आ रही रुकावट दूर होने की और घर के सदस्यों का स्वास्थ्य भी अच्छा बने रहने का संकेत देती हैं. तेजी से जौ बढ़ने का संकेत बताता है कि घर में सुख समृद्धि आने वाली है.
2) अगर जौ हरा हो या फिर सफेद रंग में तेजी से बढ़ रही हो तो यह शुभ संकेत माना जाता हैं जिसका अर्थ है कि आने वाला साल बहुत अच्छा जाएगा इतना ही नही दुर्गा माता ने आपकी पूजा स्वीकार कर लिया है और माँ भगवती की कृपा से आपके जीवन मे अपार खुशियां और समृद्धि का वास होगा.
3) अगर जौ पीले रंग में उगने लगे तो यह भी शुभ संकेत माना जाता है मान्यता है कि पीले रंग में उगने वाली जौ को घर में खुशियों का दस्तक समझा जाता है.
अब जान लें अशुभ संकेत को :
1) अगर नवरात्रि में जौ बोते (barley sown) हैं लेकिन वह ठीक से नही उग रही हैं तो घर के लिए एक अशुभ संकेत होता है कि इस साल सेहत की परेशानियों हो सकती है या फिर धन हानि भी हो सकता है.
2) मान्यता है कि अगर जौ के ऊपर का आधा हिस्सा हरा हो और नीचे से आधा हिस्सा पीला हो तो इसका अर्थ है कि आने वाले साल में आधा समय अच्छा रहेगा तो वहीं आधा समय कठिनाइयों से भरा रहेगा.
3) अंकुरित होने के बाद जौ अगर सुखी और पीली होकर झड़ रही हो या फिर टूट रही हो तो यह अशुभ संकेत है कि आपका भविष्य खतरे में हैं.
अगर नवरात्रि में बोयें गए जौ (barley sown) से अशुभ संकेत मिलें तो ऐसे में माँ भगवती दुर्गा माता से प्रार्थना करनी चाहिए कि – हे दुर्गा माता ! अपनी कृपा दृष्टि हम पर बनाये रखना और हमारी सभी परेशानियों को दूर करना.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
सृष्टि की पहली फसल किसे माना जाता हैं ?
जौ
जौ को किस देवी का प्रतीक माना गया है ?
अन्नपूर्णा देवी.
नवरात्रि में जौ को बोने से किनका किनका आशीर्वाद मिलता है ?
दुर्गा माता, अन्नपूर्णा माँ और ब्रह्मा जी
अगर नवरात्रि में बोये गए जौ तेजी से बढ़ना क्या संकेत देता है?
शुभ संकेत
नवरात्रि में बोये जौ का आधा हिस्सा हरा और आधा हिस्सा पीला होना क्या संकेत देता हैं?
अशुभ संकेत
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