Why is Dhanteras celebrated? धनतेरस क्यों मनाया जाता हैं और क्यों धनतेरस पर यमदेव के नाम से दीपदान किया जाता हैं? जानेगें इन पौराणिक कथाओं से.

Why is Dhanteras celebrated

Why is Dhanteras celebrated | हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है और यह दीवाली के दो दिन पहले मनाया जाने वाला त्यौहार है. धार्मिक मान्यता हैं कि समुंद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन ही भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. कहा जाता हैं कि भगवान विष्णु ही सृष्टि में चिकित्सा विज्ञान की उन्नति के लिए भगवान धन्वंतरि के रूप में अवतार लिया था शास्त्रों की मान्यतनुसार भगवान धन्वंतरि देवताओं के वैद्य कहलाते हैं जिनकी पूजा से आरोग्य सुख व स्वास्थ्य लाभ की प्राप्ति होती हैं. भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के कारण ही हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस के त्योहार मनाया जाता हैं.

कोई भी त्यौहार हो या कोई पर्व हो उसे मनाने के पीछे कुछ कारण होते हैं जैसे कि दशहरा का त्यौहार इसलिए मनाया जाता है क्योंकि दशहरे के दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था यही कारण है कि दशहरे के दिन ही रावण के पुतले जलाएं जाते हैं ठीक इसी प्रकार धनतेरस का भी अपना महत्व है.

Why is Dhanteras celebrated ? धनतेरस को मनाने के पीछे की पौराणिक कथा :

धनतेरस (Dhanteras Kyu Manaya Jata Hai) से जुड़ी कथानुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तिथि को देवताओं के कार्य में बाधा डालने के कारण भगवान विष्णु ने असुरों के गुरु शुक्राचार्य की एक आंख फोड़ दिया था. कथानुसार भगवान विष्णु ने दैत्यराज बलि के भय से देवताओं को मुक्त करने के लिए वामन अवतार लेकर दैत्यराज बलि के यज्ञ स्थान पर गई जहां बलि के गुरु शुक्राचार्य ने भगवान विष्णु को वामन अवतार में पहचान लिया और दैत्यराज बलि को समझाया कि वामन अगर कुछ भी मांगे तो उसे इंकार कर देना क्योंकि भगवान विष्णु साक्षात वामन अवतार में है जो कि देवताओं की सहायता के लिए तुम्हारा सब कुछ छीनने आया है किन्तु दैत्यराज ने अपने गुरु शुक्राचार्य की बात को अनसुना करके वामन अवतार भगवान के द्वारा मांगी गई तीन पग भूमि दान करने के लिए कमंडल से जल लेकर संकल्प लेने लगे बलि को दान देने से रोकने के लिए शुक्राचार्य ने दैत्यराज बलि के कमंडल के अंदर लघु रूप धारण करके प्रवेश कर गए जिसके कारण कमंडल से जल निकलने का रास्ता बंद हो गया और शुक्राचार्य की इस चाल को वामन अवतार भगवान समझ गए फिर उन्होंने अपने हाथ में रखे हुए कुशा को कमंडल में इस प्रकार से रखा कि शुक्राचार्य की एक आंख फुट गई जिससे शुक्राचार्य छटपटाकर कमंडल से बाहर निकल आए.

इसके पश्चात दैत्यराज बलि ने तीन पग भूमि दान करने का संकल्प लिया इस पर वामन अवतार भगवान विष्णु ने अपने एक पग से संपूर्ण पृथ्वी को नापा दूसरे पग से संपूर्ण अंतरिक्ष को माप लिया किंतु तीसरा पग रखने के लिए कोई स्थान नही रहा तब दैत्यराज बलि ने अपना सिर वामन भगवान के चरणों में रख दिया और बलि ने दान में अपना सब कुछ गंवा दिया इस तरह से देवताओं को दैत्यराज बलि के भय से मुक्ति मिली और जो धन संपत्ति देवताओं से बलि ने छीन लिया था उससे कई गुणा धन संपत्ति  देवताओं को प्राप्त हुआ चुकी यह दिन कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की थी इस वजह से धनतेरस मनाए जाने लगा.

Why is a Lamp donated in the name of Yam dev on Dhanteras? धनतेरस पर यमदेव को दीपदान करने की पीछे की पौराणिक कथा :

एक पौराणिक कथा के अनुसार बहुत साल पहले हेम नाम का एक राजा था जिसकी रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया तो राजा को ज्योतिष ने बच्चे की नक्षत्र गणना करके बताया कि इस बच्चे की जिस दिन शादी होगी ठीक उसके चौथे दिन ही इसकी मृत्यु हो जाएगी अपने संतान की मृत्यु की भय से राजा ने उसे ब्रह्मचारी के रूप में यमुना तट की गुफा में रखकर बड़ा किया और एक दिन महाराज हंस की खूबसूरत और युवा पुत्री यमुना तट पर घूम रही थीं तो उसकी नज़र राजा हेम के युवा पुत्र पर गई और दोंनो एक दूसरे की खूबसूरती देखकर मोहित हो गए और फलस्वरूप दोनों ने विवाह कर लिया लेकिन हुआ वहीं जिसकी भविष्यवाणी की गई थी और शादी के महज चार दिन बाद ही राजकुमार की मृत्यु हो गई नवविवाहित अपने पति की मृत्यु पर बिलख बिलख कर विलाप करने लगी जिससे यमदूतों का हृदय पसीज गया और उन्होंने यमदेव से पूछा कि – महाराज! क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे अकाल मृत्यु से बचा जा सके? यमदेव ने इसका जवाब देते हुआ कहा कि – अकाल मृत्यु से बचने का एक उपाय हैं कि धनतेरस के दिन उनकी (यमदेव) पूजा करने के साथ ही विधि विधान से दीपदान करें तो अकाल मृत्यु का भय नहीं सताएगा. यही कारण है कि धनतेरस पर अकाल मृत्यु से बचने के लिए यमदेव के नाम से दीपदान (Yamdeep) करने की परंपरा शुरू हुआ.

इन पौराणिक कथाओं से जान ही गए कि धनतेरस क्यों मनाया जाता है और धनतेरस पर यमदेव के नाम से दीपदान क्यों किया जाता हैं.


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 FAQ –  सामान्य प्रश्न

दैत्यराज बलि के गुरु का नाम क्या है ?

शुक्राचार्य.

भगवान विष्णु ने किस अवतार में बलि से तीन पग भूमि मांगा था ?

वामन अवतार.

दैत्यराज बलि ने किस तिथि में वामन भगवान को तीन पग भूमि दान किया था ?

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि में.

अकाल मृत्यु से बचने के लिए किनके नाम का दीपदान करना चाहिए ?

यमदेव. 


अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.