Jitiya Vrat | पंचाग के अनुसार हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया व्रत रखा जाता हैं. यह व्रत मुख्य रूप से माताएं अपने संतान की रक्षा और खुशहाली के लिए निर्जला एवं निराहार व्रत को रखती हैं इन्हीं कारणों से हिंदू धर्म में जितिया व्रत को कठिन व्रतों में से एक माना गया है मान्यता है कि जो भी माता इस व्रत को रखती हैं उसकी संतान की लंबी उम्र होने के साथ ही उनके घर में सदैव सुख- शांति बनी रहती हैं. जितिया व्रत को जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat) भी कहा जाता हैं क्योंकि इस व्रत का संबंध महाभारत काल से जुड़ा हुआ है.
आखिर क्यों जितिया व्रत को जीवित्पुत्रिका व्रत कहा जाता हैं :
जितिया व्रत को जीवित्पुत्रिका व्रत कहे जाने के पीछे का कारण महाभारत काल से है. कथानुसार महाभारत के युद्ध में अपने पिता द्रोणाचार्य की मृत्यु के बाद अश्वत्थामा बहुत ही क्रोधित व नाराज हुआ और इसी नाराजगी में पांडव से बदला लेने के लिए उनके शिविर में चुपके से घुस गया वहां उसने शिविर के अंदर सो रहे पांच लोग को पांडव समझकर धोखे से मार डाला जबकि वे सभी द्रौपदी की पांच संताने थी. अश्वत्थामा के इस तरह के कृत्य से दुखी होकर अर्जुन ने अश्वत्थामा को बंदी बनाकर उसकी दिव्य मणि को उससे छीन लिया और अपनी मणि छीन जाने से क्रोध में आकर अश्वत्थामा ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया था.
अश्वत्थामा के ब्रह्मास्त्र से उत्तरा के बच्चे को जीवित करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपने सभी पुण्यों का फल उत्तरा के अजन्मे संतान को देकर उसके गर्भ में फल रहें संतान को पुनः जीवित किया था. भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से जीवित होने वाले उत्तरा के इस बच्चे को जीवित्पुत्रिका नाम दिया गया था और तभी से संतान की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए हर साल जितिया व्रत को रखने की परंपरा निभाई जाती हैं. धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान को शत्रुओं, दोष और रोग से मुक्ति मिलने के साथ ही उसके जीवन में सुख – समृद्धि भी बनी रहती हैं तो वहीं जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत का मुख्य उद्देश्य संतान की दीर्घायु और बेहतर स्वास्थ्य की कामना करना है. कहा जाता है कि जो भी माता जीवित्पुत्रिका का व्रत करने के साथ अगर इस व्रत की कथा को भी सुनती है तो उसे जीवन में कभी ही संतान का वियोग का सामना करना नहीं पड़ता है.
इसलिए जितिया व्रत को जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता हैं क्योंकि यह व्रत माताएं अपनी संतान के जीवन से जुड़ी हर अच्छी वस्तुओं की कामना के लिए रखती हैं.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) पंचाग के अनुसार जितिया व्रत कब रखा जाता हैं ?
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी.
2) जितिया व्रत किसके लिए किया जाता हैं ?
संतान की दीर्घायु और बेहतर स्वास्थ्य.
3) जितिया व्रत को और किस व्रत से जाना जाता हैं ?
जीवित्पुत्रिका व्रत.
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