Vastu Shastra | पूजा घर में जल क्यों रखा जाता है? जानेंगे क्या है इसके पीछे का धार्मिक व वास्तु कारण और इसके महत्व को.

Vastu Shastra

Vastu Shastra | वास्तु शास्त्र सकारात्मक ऊर्जा और नकारात्मक ऊर्जा पर आधारित होता हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की हर दिशा और कक्ष का महत्वपूर्ण स्थान होता हैं और घर की सबसे प्रमुख व पवित्र स्थल पूजा घर को माना गया है इसीलिए पूजा घर में वास्तु नियमों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. घर के मंदिर में नारियल, शंख, गरूड़ घंटी, कुमकुम, रोली, अक्षत समेत अन्य चीज़ों को रखना शुभ माना जाता है ठीक इसी प्रकार से घर के मंदिर में जल का लोटा रखा जाता हैं. कई घरों में लोटे के स्थान पर जल कलश रखते हैं. ऐसी मान्यता हैं कि भगवान को भोग लगाने के साथ जल रखना इस बात का प्रतीक होता है कि भगवान भोजन के साथ जल भी ग्रहण कर सकें इसके अलावा घर के मंदिर में जल रखने के पीछे कई कारणों को बताए गए हैं.

Why is water kept in the puja room according to Vastu Shastra? | पूजा घर में जल क्यों रखा जाता है?

शास्त्रों के अनुसार पूजा घर में जल का कलश रखने से घर में पनप रही नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होने के साथ ही सुख समृद्धि का वास होता है कहा जाता है कि पूजा घर मे रख जल नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित कर लेता है जिसके कारण घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है इसलिए नियमित रूप से पूजा घर में रोजाना जल रखना चाहिए इस जल को रोजाना नियमित रूप से बदलें और इसका छिड़काव घर के हर कोने में अवश्य करे जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती हैं लेकिन जल रखने के लिए हमेशा तांबे का लोटा नही तो तांबे का कलश का इस्तेमाल करना चाहिए. क्योंकि तांबे के बर्तन में जल रखना घर की प्रगति के लिए शुभ माना जाता हैं और तांबे के बर्तन में रखा जल बहुत पवित्र माना जाता है जिसका छिड़काव पूरे घर में करने से घर में सुख शांति बनी रहती हैं जिससे सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होती हैं.

Vastu Shastra | आइए अब जानते हैं पूजा घर में रखे जल के महत्व को  :

1) आरती के बाद जल से किया जाता हैं आचमन –

धार्मिक मान्यता है कि जब भी पूजा के बाद आरती खत्म होती हैं तो उसका आचमन पूजा घर में रखे जल से करना शुभ माना जाता है क्योंकि जिस तरह गरुड़ देव की स्थापना गरुड़ घण्टी के रूप में की जाती हैं ठीक उसी प्रकार से वरुण देव की स्थापना जल के रूप में की जाती हैं कहा जाता हैं कि जल की पूजा वरुण देव के रूप में होती हैं और वहीं समस्त देवी देवताओं समेत घर के सदस्यों की भी रक्षा करते हैं चुकी आरती के समय जल का आचमन किए बिना पूजा अधूरी मानी जाती हैं इसलिए पूजा घर में जो जल रखा जाता उसी जल का प्रयोग आचमन के लिए किया जाता हैं. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार पूजा घर में रखे जल के लोटे या फिर कलश में तुलसी के पत्ते ज़रूर डालने चाहिए इससे पूजा घर में रखा जल और भी पवित्र हो  जाती हैं इस जल से पूजा स्थल को शुद्ध करने पर देवी देवता प्रसन्न होते हैं इसलिए पूजा घर में तांबे के लोटे में जल के साथ हमेशा तुलसी के पत्ते को डालना चाहिए.

2) समृद्धि का प्रतीक जल होता हैं –

पूजा स्थल पर रखे हुए जल को समृद्धि का प्रतीक माना गया है.मान्यता है कि पूजा घर में रखे  जल का बर्तन रखने से घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होकर सुख समृद्धि वास होता है क्योंकि कहा जाता हैं कि पूजा घर में रखा जल नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित कर लेता है और फिर घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता हैं जो मन को शांत करने में सहायता करती हैंऔर व्यक्ति की मनोकामनाओं को पूरा करती हैं इसके अलावा भगवान के दिव्य रूप के पैर और हाथ धोने के साथ ही इससे भगवान की मूर्तियों को स्नान लिए भी इस जल को चढ़ाया जाता है.

धार्मिक शास्त्र के अनुसार पूजा घर में जल का रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है. पूजा घर में जल को रखना हमारी ईश्वर के प्रति श्रद्धा को बताता है जैसे मनुष्य भोजन ग्रहण करने के बाद पानी पीता हैं ठीक वैसे ही भोग लगाने के बाद भगवान भी जल को ग्रहण किया करते हैं.


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FAQ -सामान्य प्रश्न

गरुड़ देव की स्थापना  किसके रूप में की जाती हैं ?

गरुड़ घंटी

पूजा घर में जल किस बर्तन में रखना चाहिए ?

तांबे का बर्तन

पूजा घर में जल का बर्तन को रखने से क्या नष्ट होता हैं ?

नकारात्मक ऊर्जा

पूजा घर के जल में किसके पत्ते डालकर  रखना चाहिए ?

तुलसी के पत्ते

पूजा घर में रखा जल किस का संचार करता है ?

सकारात्मक ऊर्जा का. 


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