Mata Shailputri : नवरात्र के पहले दिन माँ दुर्गा के प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री की पूजा की जाती हैं. शैल का अर्थ है हिमालय और पर्वतराज हिमालय के यहां जन्म लेने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है. पार्वती के रुप मे इन्हें भगवान शिव की पत्नी के रूप में भी जाना जाता हैं. वृषभ (बैल) इनका वाहन होने के कारण इन्हें वृषभारूढा के नाम से भी जाना जाता हैं. इनके दायें हाथ मे त्रिशूल है और बाएं हाथ मे इन्होंने कमल धारण किया हुआ है. शैलपुत्री की आराधना से हम सभी मनोवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं. इस माँ को प्रसन्न करने के लिए ध्यान मंत्र जपना चाहिए इसके प्रभाव से माता जल्दी ही प्रसन्न होती है और भक्त की सारी कामनाएं पूर्ण करती है.
Mata Shailputri : पूजा विधि
पहले नवरात्र के दिन किसी लकड़ी के पटरे पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर माँ शैलपुत्री की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करे. माता शैलपुत्री को गुड़हल और सफेद कनेर का फूल पसन्द है इसलिए ये फूल ज़रूर चढ़ाये और उसके बाद माँ को गाय के घी और दूध से बनी चीजों का भोग लगाएं और इसके साथ पान के पत्ते पर 27 अखंड लौंग रखे क्योंकि मान्यता हैं कि ऐसा करने से माता शैलपुत्री प्रसन्न होती हैं इसके बाद माता के सामने घी का दीपक जलाएं और एक स्वच्छ आसान पर बैठकर माँ के मंत्रो का जाप करने के बाद सभी लौंग को कलावे से बांधकर एक माला जैसा बनाएं और अपने मन की इच्छा बोलते हुए यह माला माँ शैलपुत्री को अपने दोंनो हाथों से अर्पित करे. ऐसा करने से पारिवारिक कलह हमेशा के लिए समाप्त तो हो जाएगी इसके अलावा आपको हर काम में सफलता मिलेगी.
Mata Shailputri : माँ शैलपुत्री मंत्र:
माता शैलपुत्री को प्रसन्न करने के लिए उनके इन मंत्रों का जाप अवश्य करें. इन मंत्रों का जाप आप 11,21 या 108 बार करें.
ॐ शैलपुत्रये नमः
ॐ ऐ हिं क्ली चामुण्डायै विच्चे ॐ शैलपुत्री दैव्यै नमः
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Mata Shailputri : पूजा का महत्व
नवरात्रि में माता शैलपुत्री की पूजा से जीवन के सभी दुःख, क्लेश और नकारात्मक शक्तियों का विनाश होता है. नवरात्रि के पहले दिन की पूजा में साधक अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं और शैलपुत्री की पूजन से मूलाधार चक्र जागृत होता है और अनेक सिद्धियों को प्राप्त करता है.
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