Sharad Purnima | शरद पूर्णिमा जिसे कोजगारी पूर्णिमा या रास पूर्णिया भी कहते है. हिन्दू पंचांग के अनुसार अशिवन माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता हैं. माना जाता हैं कि पूरे साल में केवल इसी दिन चंदमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होती है. शरद पूर्णिमा के दिन समुन्द्र मंथन से चंदमा, भगवती आदिशक्ति श्री महालक्ष्मी औऱ अमृत कलश सहित धन्वंतरि देव प्रकट हुए थे. समंद्र मंथन से शरद पूर्णिमा के दिन भगवती आदिशक्ति महालक्ष्मी के प्रकट के पश्चात इसी दिन इनका भगवान श्री विष्णु से पुनः विवाह हुआ था.
हिन्दू धर्म में इस दिन कोजगार व्रत माना जाता हैं इसी को कौमुदी व्रत भी कहता है. इसी दिन श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था. मान्यता हैं की शरद पूर्णिमा की रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत झरती है इसलिए इस दिन खीर बनाकर रात भर खुले आसमान में चांदनी में रखा जाता है. कहा जाता है कि चंद्रमा की किरणों के नीचे रखी इस खीर को खाने से सारे रोगों का निवारण होता हैं.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
शरद पूर्णिमा को और किस नाम से जाना जाता हैं ?
कोजागर पूर्णिमा.
हिन्दू पंचाग के अनुसार शरद पूर्णिमा कब आती हैं ?
अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा.
शरद पूर्णिमा पर कौन देवी माँ धरती पर आती हैं ?
लक्ष्मी माँ.
शरद पूर्णिमा की रात में चंद्रमा कितने कलाओं से परिपूर्ण होता हैं ?
सोलह (16) कलाओं से.
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