Lord Shiva and Nandi | आखिर क्यों शिवालय में भगवान शिव से पहले नंदी के होते हैं दर्शन ? जानेंगे इस रहस्य को.

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Lord Shiva and Nandi | भगवान शिव की पूजा करने के लिए जब भी शिवालय जाते हैं तो शिवजी के सभी मंदिरों के बाहर नंदी विराजमान होते हैं और भगवान शिव से पहले इनके ही दर्शन होते हैं, इसका कारण सिर्फ इतना नही है कि नंदी को भगवान शिव का द्वारपाल माना गया है या फिर नंदी भगवान शिव की सवारी हैं. बल्कि इस रहस्य के पीछे एक पौराणिक कथा है जिसके वजह से शिवजी के हर मंदिर के बाहर नंदी की मूर्ति रखने का नियम बन गया, मंदिर के बाहर नंदी की मूर्ति होने के कारण जब भी कोई भी शिव मंदिर जाते हैं तो उनके ही दर्शन होते हैं.

Lord Shiva and Nandi | नंदी कैसे बने भगवान शिव के प्रिय गण :

शिवमहापुराण के अनुसार ऋषि शिलाद ने भगवान शिव की कठिन तपस्या करने के बाद नंदी को पुत्र के रूप में प्राप्त किया जिसको ऋषि शिलाद ने संपूर्ण वेदों का ज्ञानदिया. एक बार शिलाद ऋषि के आश्रम में दो दिव्य ऋषि आए जिसकी सेवा में नंदी ने कोई भी कसर नहीं छोड़ी नंदी के इस सेवा भाव को देखकर दोनों दिव्य ऋषि बहुत प्रसन्न हुए किन्तु उन्होंने लंबी उम्र का आशीर्वाद व वरदान शिलाद ऋषि को दिया नंदी को उन्होंने कोई भी किसी भी प्रकार का ना आशीर्वाद दिया और ना ही वरदान ही दिया ये देखकर ऋषि शिलाद  ने इसका कारण जानना चाहा तो दोनों दिव्य ऋषि ने बताया कि नंदी अल्पायु हैं यह सुनकर शिलाद ऋषि बहुत दुखी हो गए.

जब नंदी ने अपने पिता से उसके दुख का कारण पूछा तो शिलाद ऋषि ने दोनों दिव्य ऋषियों द्वारा बताई बात को नंदी को बता दिया इस बात को सुनकर  नंदी हंसने लगे और बोले भगवान शिव ! मेरी रक्षा करेंगे. इसके पश्चात भगवान शिव की नंदी ने कठोर तपस्या किया जिससे प्रसन्न होकर शिवजी नंदी के समक्ष प्रकट हुए  तो नंदी ने कहा कि वो उम्र भर उनके सानिध्य में रहना चाहता है.भगवान शिव नंदी के समपर्ण से इतने प्रसन्न हुए कि नंदी को बैल का चेहरा देकर अपना वाहन बना लिया और अपने गण में शामिल कर लिया साथ ही ये आशीर्वाद भी दिया कि जहां उनका निवास होगा वहां नंदी भी होंगे.

Lord Shiva and Nandi | नंदी कैसे बने भगवान शिव के प्रिय भक्त :

जब देवताओं और असुरों के बीच समुंद्र मंथन  हुआ था उस समय जब भगवान शिव ने संसार को बचाने के लिए विषपान किया था तब उस समय विष की कुछ बूंदे जमीन पर गिर गई थी अपने स्वामी को विष पीता देखकर नंदी ने भी वहां गिरे हुए विष को अपने जीभ से चाट लिया नंदी के इस भक्ति भाव को देखकर भगवान शिव ने उसे अपने सबसे बड़े भक्त की उपाधि को दिया और साथ ही ये वरदान भी दिया कि उनके दर्शन से पहले भक्त नंदी के दर्शन को करेंगे. यही कारण है कि भगवान शिव के कोई भी मंदिर में जाने पर पहले नंदी के ही दर्शन होते हैं.

भगवान शिव के इस आशीर्वाद के कारण ही नंदी को भगवान शिव का द्वारपाल भी कहा जाता हैं नंदी भक्त की परीक्षा लेते हैं और जो भक्त इस परीक्षा में पास होते हैं नंदी उनके लिए भगवान शिव का द्वार खोलते हैं भक्त भी भगवान शिव से पहले नंदी के कान में अपनी मनोकामना को बोलते हैं अगर नंदी ने भक्त की मनोकामना शिवजी को बता दिया तो भगवान शिव उस भक्त की मनोकामना अवश्य पूरी किया करते हैं.


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FAQ – सामान्य प्रश्न

ऋषि शिलाद ने किस भगवान की तपस्या करके नंदी को पुत्र के रूप में  पाया था?

भगवान शिव

भगवान शिव ने किसे अपना द्वारपाल बनाया ?

नंदी को.

भगवान शिव ने नंदी को किसका चहेरा देकर अपना गण बनाया ?

बैल का.


अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.