BelPatra Tree | हिन्दू धर्म में बिल्व वृक्ष (Belpatra Tree) का विशेष महत्व होता है क्योंकि ये वृक्ष भगवान शिव का प्रिय माना गया है धार्मिक मान्यता के अनुसार बिल्व वृक्ष के मूल (जड़) में शंकरजी का वास होता है यही वजह है कि बिल्व वृक्ष के पत्ते भगवान शिव को बहुत ही प्रिय माने गए हैं इसके अलावा बिल्व वृक्ष (Bilva Tree) में भगवान शिव के साथ माता पार्वती व लक्ष्मी जी समेत कई देवी देवताओं का वास होता हैं कहा जाता हैं कि जो भी व्यक्ति अगर रोजाना शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाया जाएं तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
BelPatra Tree | जानते हैं उन उपायों को जिन्हें अपनाने से जीवन में सुख समृद्धि आती हैं :
1) ऐसी मान्यता है कि बिल्व वृक्ष (Bilva Tree) के जड़ों की पूजा करने से भगवान शिव की विशेष कृपा मिलती हैं और व्यक्ति को उसके किए पापों से मुक्ति मिल जाती हैं.
2) अगर कोई व्यक्ति बिल्व वृक्ष के नजदीक खड़ा होकर घी, अन्न, खीर या फिर मिठाई का दान करें तो उसके जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.
3) घर में अगर कभी भी धन की कमी आने लगे तो शुभ नक्षत्र में बिल्व वृक्ष की जड़ को लाल कपड़े में बांधकर उसका पूजन करके घर की तिजोरी में रख दिया जाएं तो आर्थिक स्थिति में सुधार होने लगता हैं.
4) मान्यता है कि अगर बिल्व वृक्ष (Bilva Tree) को रोजाना साफ करके उसे पानी से सींचा जाएं तो पितरों की आत्मा को शांति मिलने के साथ पितरों का आशीर्वाद भी मिलता हैं.
5) ऐसा माना जाता हैं कि अगर किसी व्यक्ति की शवयात्रा बिल्व वृक्ष के नीचे से होकर गुजरती है तो उस व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं.
6) धार्मिक मान्यता हैं कि शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से जीवन के सारे कष्टों और पापों से मुक्ति मिल जाती हैं.
BelPatra Tree | अब जानते बिल्व वृक्ष (Bilva Tree) से जुड़ी उन गलतियां को जो कभी नहीं करनी चाहिए :
1) शिवपुराण के अनुसार सोमवार के दिन कभी भी बिल्वपत्र, टहनी और डाली को नहीं तोड़ना चाहिए अगर सोमवार के दिन पूजा में बिल्वपत्र चढ़ाना हैं तो एक दिन पहले रविवार को ही बिल्वपत्र को तोड़कर रख लेना चाहिए क्योंकि बिल्वपत्र कभी बासी नही होता हैं.
2) कभी भी बिल्व वृक्ष को नहीं काटना चाहिए ऐसी मान्यता है कि बिल्व वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है इसके अलावा इस वृक्ष के काटने से व्यक्ति कई दुख और परेशानियों से घिर जाता हैं.
3) बिल्वपत्र को सोमवार के साथ चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुदर्शी अमावस्या और संक्रांति के दिन भी नहीं तोड़ना चाहिए.
4) बिल्वपत्र ना तो कभी बासी होती हैं और ना ही अशुद्ध होते हैं इसलिए कभी चढ़ाये हुए बिल्वपत्र को वापस शिवलिंग में चढ़ा सकते हैं.
BelPatra Tree | अब जानते हैं बिल्व वृक्ष के महत्व को :
स्कन्दपुराण के अनुसार एक बार माता पार्वती अपनी ललाट से पसीना पोछकर फेंका जिसकी कुछ बूंदे मदार पर्वत पर जा गिरी जिससे बिल्व वृक्ष की उत्पत्ति हुई और इस वृक्ष की जड़ों में गिरिजा, तना में माहेश्वरी, शाखाओं में दक्षयायनी, पत्तियों में माँ पार्वती, फूलों में गौरी व फलों में कात्यायनी का वास होता है. मान्यता है कि बिल्व वृक्ष (Bilva Tree) के कांटों में भी कई सारी शक्तियां समाहित है कहा जाता हैं कि देवी महालक्ष्मी का भी बिल्व वृक्ष में वास होता है. शिवपुराण में इस वृक्ष की महिमा बताया गया है कि जो कोई बिल्वपत्र भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा में चढ़ता हैं उन्हें इन दोनों यानि कि भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
बिल्व वृक्ष और बिल्वपत्र किस भगवान को बहुत प्रिय हैं ?
भगवान शिव.
बिल्वपत्र को कब कब नही तोड़ना चाहिए ?
सोमवार, चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुदर्शी, अमावस्या और संक्रांति के दिन.
बिल्व वृक्ष में किन किन का वास होता है ?
बिल्व वृक्ष के जड़ में गिरजा, तनों में माहेश्वरी, शाखाओं में दक्षिणायनी, पत्तियों में माँ पार्वती, फल में कात्यायनी और समस्त वृक्ष में माता लक्ष्मी का निवास होता है.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.