Maa Katyayani Ki Katha | नवरात्रि के छठवें दिन आराध्य देवी कात्यायनी माँ क्यों महिषासुरमर्दिनी कहलाती हैं जानेगें इस पौराणिक कथा के द्वारा.

Maa Katyayani Ki Katha

Maa Katyayani Ki Katha | हिन्दू धर्म में नवरात्रि (Navratri) पर्व का बहुत विशेष महत्व हैं इस पर्व में माँ भगवती दुर्गा के स्वरूपों को नवरात्रि के नौ दिन अलग अलग देवी माँ की पूजा अर्चना की जाती हैं. नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी के स्वरूप की आराधना की जाती हैं कहा जाता है कि माँ कात्यायनी की पूजा अर्चना से भक्तों की मनोकामनाएं जल्दी पूर्ण हो जाती हैं. माता दानव और पापियों का नाश करके भक्तों की रक्षा करके भक्त के अंदर अद्धभुत शक्ति का संचार करती हैं. मान्यता है कि माँ कात्यायनी सारी बुराइयों के विनाश करने वाली नवदुर्गा में एक उग्र स्वरूप में है. इस माता को महिषासुरमर्दिनी के रूप में जाना जाता हैं.

Maa Katyayani Ki Katha | कात्यायनी माँ के महिषासुरमर्दिनी कहलाने की पौराणिक कथा :

Mythological story of Maa Katyayani being called Mahishasurmardini

रंभासुर का एक पुत्र था महिषासुर जिसने ब्रह्माजी की कठिन तपस्या करके उनको प्रसन्न किया और वरदान में मांगा कि उसकी मृत्यु ना देवता असुर और मानव किसी से हो बल्कि उसकी मृत्यु किसी स्त्री के हाथ से ही हो. महिषासुर ब्रह्माजी से यह वरदान प्राप्त करने के बाद तीनों लोकों में अपना अधिकार करके त्रिलोकाधिपति बन गया. महिषासुर का बढ़ता अत्याचार देखकर भगवान विष्णु ने सारे देवताओं के साथ मिलकर भगवती महाशक्ति की आराधना की और सारे देवताओं के शरीर से एक दिव्य ज्योति निकलकर एक परम सुंदरी स्त्री के रूप में प्रकट हुई जिसे सारे देवताओं ने अपने अपने अस्त्र शस्त्र भगवती को प्रदान किया तो वहीं हिमवान ने उनकी  सवारी के लिए सिंह दिया.

देवताओं से प्रसन्न होकर भगवती ने शीघ्र ही महिषासुर के भय से मुक्त करने का आश्वासन दिया और कुछ समय पश्चात ऋषि कात्यायन के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया मान्यता है कि ऋषि कात्यायन देवी शक्ति के बहुत बड़े भक्त थे और उनकी हमेशा इच्छा थी कि देवी शक्ति उनकी पुत्री के रूप में जन्म लें. देवी दुर्गा ने महिषासुर के शासन को खत्म करने और ऋषि कात्यायन की इच्छा को पूरी करने के लिए कात्यायन ऋषि के घर पुत्री के रूप में धरती पर जन्म लिया.वह एक मजबूत, सुंदर योद्धा के रूप में पली बढ़ी और ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण कात्यायनी के नाम से प्रसिद्ध हुई.

एक बार महिषासुर के दो दूत चंड मुंड ने कात्यायनी माता को उनकी सुंदरता को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए और दोनों अपने स्वामी राक्षस महिषासुर के पास जाकर  माँ कात्यायनी की सुंदरता के बारे में सब बताया जिसे सुनकर महिषासुर प्रसन्नता के साथ अपने दूसरे दूत दुंदुभी से माँ कात्यायनी से विवाह के बारे में बात करने को कहा. दुंदुभी माँ कात्यायनी से मिलकर अपने स्वामी की महानता की शेखी बघारी कि महिषासुर तीनों लोकों का शासक है इस वजह से उनको (माँ कात्यायनी को) महिषासुर से विवाह कर लेना चाहिए. दुंदुभी के इस प्रस्ताव को सुनकर माँ कात्यायनी मुस्कुराई और उससे कहा कि उनकी परंपरा के अनुसार महिषासुर को पहले उन्हें युद्ध में हराना होगा तब ही यह विवाह हो सकता है. दुंदुभी वापस अपने स्वामी दानव महिषासुर के पास जाकर उसे इस चुनौती के बारे में बताया जिससे महिषासुर राजी हो गया और युद्ध की तैयारी शुरू हो गई.

माँ कात्यायनी और दानव महिषासुर के बीच भयंकर युद्ध हुआ जब माँ कात्यायनी और महिषासुर युद्ध में एक दूसरे के आमने सामने आए तो महिषासुर ने खुदको एक भैंसे में बदल लिया जो कि माँ कात्यायनी के लिए एक बड़ी चुनौती बनी क्योंकि महिषासुर के इस रूप में उससे लड़ने के बहुत संघर्ष करना पड़ा किन्तु फिर भी कात्यायनी माँ ने दानव महिषासुर को ललकारा और उसकी पीठ पर चढ़ गई जिससे महिषासुर आश्चर्य में पड़ गया और उसने माँ को पीछे से ही हटाने की बहुत कोशिश किया जिसमें वह असफल रहा तब माँ कात्यायनी ने महिषासुर की गर्दन पर अपना पैर रखकर अपने त्रिशूल से भेद दिया और उसका सिर काट दिया.

इस तरह से शक्तिशाली दुष्ट दानव महिषासुर का वध माँ कात्यायनी ने करके देवताओं को उनके खतरे से बचाया. मान्यता है कि माँ कात्यायनी ने आश्विन शुक्ल पक्ष की सप्तमी, अष्टमी और नवमी तक तीन दिन ऋषि कात्यायन की पूजा ग्रहण कर दशमी को महिषासुर का वध किया था. माँ कात्यायनी (Maa Katyayani Ki Katha) ने महिषासुर को पराजित करके उसका वध किया यही कारण है कि माँ कात्यायनी महिषासुरमर्दिनी कहलाती हैं.

Maa Katyayani Ki Katha | नवरात्रि के छठवें दिन आराध्य देवी कात्यायनी माँ क्यों महिषासुरमर्दिनी कहलाती हैं जानेगें इस पौराणिक कथा के द्वारा.

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FAQ – सामान्य प्रश्न

माँ कात्यायनी किस नाम से जानी जाती हैं ?

महिषासुरमर्दिनी.

महिषासुर के दूत का क्या नाम था ?

चंड मुंड.

कात्यायनी माता किस ऋषि के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था ?

ऋषि कात्यायन.

महिषासुर का कौन दूत माँ कात्यायनी के पास विवाह प्रस्ताव लेकर गया था ?

दुंदुभी.


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