Durga Kavach | दुर्गा माता जो माँ भगवती के नाम से भी जानी जाती हैं और हिन्दू धर्म में सबसे ज्यादा दुर्गा माता को पूजा जाता हैं. कहा जाता है कि दुर्गा माता ने अपने नौ स्वरूपों में अवतार लेकर कई दुष्टों का संहार किया महिषासुर और उनके जैसे बड़े दैत्य (राक्षस) भी दुर्गा माता के चंडी रूप से पराजित हो चुके है. मान्यता है कि जब भी संसार में पाप बढ़ने लगता है तो दुर्गा माता किसी ना किसी रूप में धरती पर आकर बुराई का अंत करती हैं. नवरात्रि में दुर्गा माँ की सभी स्वरूपों की महिमा का गुणगान किया जाता हैं माता के भक्त देवी दुर्गा माँ की शक्ति में विश्वास किया करते हैं और ऐसे कई दुर्गा माता के मंत्र हैं जिनको सौभाग्य, अच्छे स्वास्थ्य के साथ मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए उपयोगी माना गया है इन्हीं में से एक सबसे शक्तिशाली मंत्र हैं जिसे दुर्गा कवच कहा जाता हैं जिसके पाठ से सभी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती हैं. वैसे तो धार्मिक ग्रन्थों में जितने भी कवच है उनमें से सबसे उत्तम दुर्गा कवच को माना गया है. दुर्गा कवच बहुत दुर्लभ माने जाने वाला कवच हैं और जो सभी भक्तों को सुरक्षा प्रदान करने वाला कवच कहलाता है.
Durga Kavach | आइए जानते हैं कि दुर्गा कवच क्या है?
माँ दुर्गा कवच संसार के अठारह (18) पुराणों में से एक हैं जो कि सबसे शक्तिशाली मार्केंडेय पुराण का एक भाग (हिस्सा) हैं यह भगवती दुर्गा कवच एक प्रकार से माँ दुर्गा का पाठ हैं जो भक्त को साहस और हिम्मत देने के साथ ही दुष्टों से उनकी रक्षा भी करता है. मान्यता है कि माँ दुर्गा कवच को ब्रह्माजी ने ऋषि मार्केंडेय को सुनाया था. इस माँ दुर्गा कवच में कुल सैंतालीस (47) श्लोक समिलित हैं वहीं इस सारे श्लोकों के अंत में नौ (9) श्लोक को फलश्रुति रूप में लिखा गया है. फलश्रुति का मतलब है एक ऐसा पाठ जिसको पढ़ने या फिर सुनने से भगवान की कृपा और आशीर्वाद मिले. दुर्गा कवच पाठ में पार्वती माता के अलग अलग स्वरूपों के बारे में और साथ ही उनके इन रूपों की प्रशंसा की गई हैं. ब्रह्माजी हर किसी को दुर्गा कवच को पढ़ने के लिए औऱ माँ भगवती का आशीर्वाद मांगने के लिए अनुरोध किया करते हैं. जो भी भक्त इस दुर्गा कवच का पाठ नियमित रूप से श्रद्धाभाव से उच्चारण करता है उसे माँ भगवती दुर्गा का आशीर्वाद और कृपा मिल जाता हैं.
Durga Kavach | आइए जानते हैं कि दुर्गा कवच पाठ से कैसे देवी माँ प्रदान करती हैं अभेद सुरक्षा कवच :
मनुष्यों के लिए श्री दुर्गा कवच एक अमोघ अस्त्र शस्त्र के समान है. पूरी श्रद्धाभाव के साथ इसका पाठ करने के साथ ही दृढ़ इच्छाशक्ति रूप से सोचना चाहिए कि मैं रोगों से ठीक हो रहा हूँ मुझे आराम मिल रहा है और माँ भगवती मेरे ऊपर अपनी कृपा बरसाने के साथ ही मुझे अपना आशीर्वाद भी दे रही हैं. देवी दुर्गा माता के कवच में शरीर के बाहरी अंगों से लेकर आंतरिक अंगों तक की सुरक्षा के बारे में बताई गई है. माँ भगवती दुर्गा रक्षा करने के साथ ही रोग रूपी शत्रुओं पर भी विजय दिलाती हैं. पूर्व दिशा में ऐन्द्री यानि इन्द्रशक्ति देवी रक्षा किया करती हैं, पूर्व और दक्षिण के मध्य भाग अर्थात अग्निकोण में अग्निशक्ति देवी करती हैं. यम की दिशा अर्थात दक्षिण में वाराही कवच बनकर खड़ी रहती हैं. दक्षिण पश्चिम के मध्य भाग यानी नैऋरत्यकोण में खड्गधारिणी रक्षा करती हैं.
पश्चिम दिशा में वारुणी देवी रक्षा करती हैं. पश्चिम और उत्तर के मध्य भाग अर्थात वायव्य कोण में मृगवाहिनी देवी रक्षा करती हैं, उत्तर दिशा में कौमारी देवी माँ रक्षा करती हैं. पूर्व और उत्तर के मध्य यानी ईशान कोण में शूलधारिणी देवी रक्षा करती हैं. माँ ब्रह्मणी देवी ऊपर से रक्षा करती हैं. वैष्णवी देवी नीचे की ओर से रक्षा करती हैं. शव पर चलने वाली चामुंडा देवी दसों दिशाओं में रक्षा करती हैं, जया आगे से और विजया पीछे की ओर से रक्षा करती हैं. वामभाग में अजिता और दक्षिण भाग में अपराजिता देवी रक्षा करती हैं.
Durga Kavach | आइए अब जानते है दुर्गा कवच की प्रार्थना को :
दुर्गा कवच की महिमा बड़ी असीम और अपार हैं. शरीर के हर एक अंग की रक्षा के लिए कवचं में प्रार्थना की गई हैं. माँ उद्दोतिनी शिखा, उमा मस्तक, यशस्विनी देवी भौहों और भौहों के मध्यभाग में त्रिनेत्रा, कानों में द्वारवासिनी देवी रक्षा करें, कालिका देवी गाल, भगवती शांकरी कानों, जिह्वा में सरस्वती देवी, दांतों की कौमारी, गले की चंडिका, महामाया तालु, दोनों भुजाओं की वज्रधारिणी, शोक विनाशिनी देवी मन, ललिता देवी हृदय, शूलधारिणी पेट, विंध्यवासिनी घुटनों और त्वचा की रक्षा वागीश्वरी देवी, पार्वती देवी रक्त, मज्जा, वसा, मांस और हड्डी, धर्मधारिणी देवी बुद्धि की रक्षा करती हैं.
Durga Kavach | आइए जानते हैं दुर्गा कवच को करने के नियम :
1) कवच का पाठ करने के लिए सबसे शुभ दिन शुक्रवार होता है और इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके मंदिर में गंगाजल छिड़कर दुर्गा माता की मूर्ति या फिर उनके चित्र को किसी पटरे पर लाल कपड़ा बिछाकर रखें.
2) अब दुर्गा माता को फल और लाल रंग का गुड़हल पुष्प को चढ़ाकर देवी माँ की मूर्ति के समक्ष गाय के घी का दीपक जलाएं और धूप करें.
3) इसके पश्चात दुर्गा माँ के बीज मंत्र को ग्यारह (11) बार जाप करने के बाद श्री दुर्गा कवच पाठ को पढ़ना शुरू कर दीजिए.
Durga Kavach | आइए जानते हैं दुर्गा कवच के प्रभाव को :
माँ दुर्गा कवच यानी कि रक्षा करने वाला एक ऐसा कवच जो हमारे चारों ओर एक तरफ का घेरा या फिर आवरण बना देता है और जब भी इस दुर्गा कवच का सही उच्चारण करते हैं तो हमारे आसपास एक सुरक्षा कवच का निर्माण हो जाता हैं जोकि हर तरह की नकारात्मक ऊर्जा से हमारी रक्षा किया करता है. माँ दुर्गा का कवच का जाप नवरात्रि के दिनों में अवश्य करना चाहिए क्योंकि यह कवच व्यक्ति की आत्मा को ऊर्ध्वगामी बनाने के साथ ही डर से भी मुक्ति प्रदान करता है. अगर किसी के घर मे कोई तरह की बुरी शक्ति का प्रवेश हुआ हो या फिर घर में संकट, दुःख और क्लेश भरे हुए हैं तो दुर्गा कवच का पाठ काफी असरदार साबित हो सकता हैं क्योंकि दुर्गा कवच के मंत्रों के जाप से व्यक्ति के हर प्रकार के दुःख और परेशानियां दूर हो जाने के साथ ही घर में कई खुशियां का आगमन होता हैं.
Durga Kavach | आइए अब जानते दुर्गा कवच पाठ के लाभ को :
श्री दुर्गा कवच बहुत महत्वपूर्ण लाभ देने वाला कवच हैं जिनमे यह लाभ अवश्य होते हैं :
1) भय और चिंता से मुक्ति :
कवच के पाठ करने से भक्तों को भय और चिंता से मुक्ति मिलने के साथ ही वह निडर बनते हैं.
2) रोगों से मुक्ति :
कवच के पाठ करने से भक्तों को रोग और बीमारियों से मुक्ति मिलती हैं.
3) शत्रुओं से सुरक्षा :
दुर्गा कवच का पाठ करने वाले भक्तों की रक्षा स्वंय माँ भगवती दुर्गा किया करती हैं.
4) आपदाओं से सुरक्षा :
दुर्गा कवच का पाठ प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि आग, बाढ़ भूकंप आदि से भी रक्षा करता है.
5) सुख शांति की प्राप्ति :
दुर्गा कवच का पाठ करने वाला भक्त सुख और मानसिक शांति को अनुभव करता है.
6) धन और समृद्धि की प्राप्ति :
दुर्गा कवच के पाठ से माँ दुर्गा प्रसन्न होकर आशीर्वाद के साथ धन और समृद्धि भी देती हैं.
7) पापों से मुक्ति :
मान्यता है कि दुर्गा कवच का पाठ करने से अधिकांश पापों से मुक्ति मिलती हैं.
Durga Kavach | आइए जानते हैं दुर्गा कवच के महत्व को :
दुर्गा कवच, दुर्गा सप्तशती का एक अद्वितीय स्तोत्र हैं जिसके द्वारा हर तरह की नकारात्मक ऊर्जाओं नाश होता हैं और भूत बाधा प्रेत बाधा तथा कोई भी कारण से बाधा हो तो उससे शीघ्र ही मुक्ति मिलती हैं. मान्यता है कि दुर्गा सप्तशती का एक लाख बार पाठ करने से जो फल की प्राप्ति होती हैं वह फल केवल दुर्गा कवच के पाठ से मिल जाता हैं. माँ दुर्गा कवच सबसे ज्यादा शक्तिशाली कवच माना गया है जोकि मंत्रों का एक संग्रह है और जो सुरक्षा कवच के समान कार्य करता है.
दुर्गा कवच में मौजूद मंत्रों में हर तरह की नकारात्मक प्रतिकूल प्रभाव को सकारात्मक और आकर्षण प्रभाव में बदलने की शक्ति होती हैं माना जाता है कि जो भी भक्त सच्चे श्रद्धाभाव से और पूरे विश्वास से माँ दुर्गा कवच के मंत्रों का जाप करता है वह संसार मे मिलने वाली हर प्रकार की बुराई से सुरक्षित और दूर रहता है. नवरात्रि के दिनों में दुर्गा कवच का पाठ को करना बहुत ही शुभ फलदायक होता है. हिंदुओं की मुख्य देवी माँ भगवती दुर्गा कहलाती हैं जिसे भक्त देवी और शक्ति के नाम से भी जानतें हैं. माँ दुर्गा को आदि शक्ति, प्रधान प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धि तत्व की जननी और विकार रहित माना गया है इसलिए दुर्गा कवच में इतनी ताकत है कि वह बुरी से बुरी शक्तियों से हमारी रक्षा कर सकती हैं.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
माँ दुर्गा कवच को किसने किसको सुनाया था ?
ब्रह्माजी ने ऋषि मार्केडेय को.
दुर्गा कवच में कुल कितने श्लोक शामिल हैं ?
47 श्लोक.
यम की दिशा यानी कि दक्षिण में कौन देवी माँ बनकर खड़ी रहती हैं ?
वाराही माँ.
जिह्वा अंग की रक्षा की प्रार्थना किस देवी से किया जाता हैं?
माता सरस्वती.
माँ दुर्गा कवच पाठ को किस दिन पढ़ना शुभ फलदायक होता हैं ?
शुक्रवार.
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