Shree Krishna | जब जब धरती पर धर्म का नाश होने से अधर्म बढ़ने लगा तब तक भगवान विष्णु पृथ्वी पर मनुष्य रूप में अवतरित हुए और इसी तरह से द्वापर युग में उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया. भगवान श्री कृष्ण के इस अवतार ने लोगों को धर्म के साथ कर्म का भी ज्ञान दिया और यही कारण है कि आज भी कई स्वरूपों में भगवान श्रीकृष्ण का पूजन घर घर में किया जाता है इनमें से भगवान श्रीकृष्ण का बाल स्वरूप लड्डू गोपाल का है जिनको एक बालक और बच्चे के समान घर – घर में पूजन किया जाता हैं. घर में लड्डू गोपाल (Laddu Gopal) को रखकर उसकी सेवा करने वाले लोगों को तो लड्डू गोपाल से एक विशेष प्रकार से इतना लगाव हो जाता है कि इनको कभी घर में अकेला नहीं छोड़ते है. भगवान श्रीकृष्ण के इस बाल स्वरूप को लड्डू गोपाल क्यों कहा जाता और आखिर क्यों लड्डू गोपाल की मूर्ति हाथ में लड्डू को थामे हुए होती हैं.
Shree Krishna | श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप का नाम लड्डू गोपाल कैसे पड़ा :
पौराणिक कथानुसार ब्रज की भूमि पर श्रीकृष्ण के परम भक्त कुम्भनदास रहा करते थे जिनका एक पुत्र रघुनंदन था जो कि बहुत सरल स्वभाव और भोला था. कुम्भनदास भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति और पूजा आराधना में हमेशा व्यस्त इतना रहा करते कि वे अपना घर और मंदिर छोड़कर कहीं जाते भी नहीं थे. एक बार कुम्भनदास को वृंदावन से भागवत कथा का निमंत्रण आया जिससे वह चाह कर भी इनकार नहीं कर पाया और उस कथा में जाने का अपना मन बनाया लेकिन कथा में जाने से पहले उन्होंने अपने बेटे रघुनंदन को भगवान श्री कृष्ण की पूजा पाठ की पूरी जिम्मेदारी सौंपी और साथ में यह भी कहा कि वह रोजाना श्री कृष्ण को भोग लगाने के पश्चात ही भोजन करें.
कुम्भनदास के चले जाने के बाद रघुनंदन ने पिता के कहे अनुसार पूरी विधि विधान से श्री कृष्ण की पूजा की और उन्हें भोग लगाने के लिए खाने की थाली सामने रख दी चुकी रघुनंदन बहुत ही भोला था और उसे लगा कि भगवान श्री कृष्णा अपने हाथों से खाना खाएंगे किंतु थाली ज्यों की त्यों ही रखी रही यह देखकर रघुनंदन रोने लगा और उसने रो रो कर भगवान श्री कृष्ण से खाना खाने की प्रार्थना भी करने लगा रघुनंदन की रोने की आवाज सुनकर भगवान श्री कृष्ण से रहा नहीं गया और उसमें बाल गोपाल का रूप धारण करके रघुनंदन के सामने आए और थाली के भोजन को समाप्त कर दिया. कुछ देर के पश्चात जब कुम्भनदास घर लौटा तो उसने अपने बेटे रघुनंदन से भोग में लगाया हुआ प्रसाद को मांगा तब रघुनंदन ने बड़े ही भोलेपन से कहा कि ठाकुर जी ने सारा भोजन खा लिया. रघुनंदन की बातों को सुनकर कुम्भनदास को लगा कि उसका बेटा रघुनंदन ने सारा भोजन खा लिया और अब झूठ बोलकर बचना चाह रहा है.
अब जब कभी भी कुम्भनदास भागवत कथा करने जाते तो अपने बेटे रघुनंदन को भगवान श्री कृष्ण को भोग लगाने के लिए कहते थे किंतु हमेशा की तरह भोग का प्रसाद नहीं बचता था और पूछने पर रघुनंदन वही बात बताता था कि सारा भोजन भगवान श्री कृष्ण ने खा लिया. जब यह रोजाना होने लगा तब कुम्भनदास को शंक हुआ तो उन्होंने एक दिन लड्डू बनाकर थाली में रखकर और छुपकर देखने लगा कि आखिर रघुनंदन करता क्या है. उस दिन भी वही हुआ जो रोजाना हुआ करता था रघुनंदन ने श्री कृष्ण को खाना खाने के लिए आमंत्रित किया और हमेशा की तरह भगवान श्री कृष्णा बाल रूप धारण करके लड्डू को खाने लगे जैसे ही कुम्भनदास ने यह सब देखा तो उस रहा नहीं गया और वह भगवान श्री कृष्ण के बालक रूप में प्रकट हुए देखकर कुम्भनदास भागता हुआ आकर भगवान के चरणों में गिरकर प्रार्थना करने लगा. उस समय श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप के एक हाथ में लड्डू था और दूसरे हाथ का लड्डू मुंह में जाने को ही था कि वे एकदम से जड़ गए. भगवान श्री कृष्ण को गोपाल भी कहा जाता था इसलिए जब उनके हाथ में लड्डू था तो उनका नाम लड्डू गोपाल पड़ गया और तब से ही भगवान श्री कृष्ण के इस बालस्वरूप को “लड्डू गोपाल” कहा जाने लगा.
उम्मीद है कि आपको यह पौराणिक कथा को पढ़ना पसंद आया होगा तो इसे अधिक से अधिक शेयर करें और ऐसे ही पौराणिक कथाओं को पढ़ने के लिए जुड़े रहें madhuramhindi.com के साथ.
FAQ – सामान्य प्रश्न
1) किस भगवान के बाल स्वरूप को लड्डू गोपाल कहा जाता है?
भगवान श्रीकृष्ण.
2) भगवान श्रीकृष्ण किसके रोने से बाल रूप को धारण किया था ?
रघुनंदन.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.