Shrimad Bhagvat Gita | हिंदू धर्म में चार वेद का उल्लेख मिलता है जो ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अर्थवेद हैं और इन चारों वेदों का सार भागवत गीता में मिलता है यही कारण है की भागवत गीता को हिंदू धर्म का पवित्र और सर्वमान्य धर्म ग्रंथ माना गया है जिसमें महत्वपूर्ण 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं. इस ग्रँथ की इतनी महत्ता है कि कोई इसको स्पर्श करने के बाद झूठ नहीं बोल पाता है. श्रीमद्भागवत गीता में आत्मा, परमात्मा, भक्ति, कर्म और जीवन का विस्तार रूप से वर्णन किया गया है.
श्रीमद्भागवत गीता से हम सब को यह ज्ञान मिलता है कि मनुष्य को केवल अपने कर्म और काम पर ध्यान देना चाहिए इसके अलावा कर्म करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम जो भी कर्म कर रहें हैं उसका फल भी हमें अवश्य प्राप्त होगा. श्रीमद्भागवत गीता के द्वारा मनुष्यों को यह ज्ञान मिलता है कि जीवन क्या है, इसे कैसे जीना चाहिए, आत्मा व परमात्मा का मिलन कैसे होता है और अच्छे व बुरे की समझ क्यों आवश्यक हैं ऐसे ही बहुत गूढ़ सवालों के जवाब गीता से मिलते हैं.
गीता का ज्ञान सबसे पहले किसने दिया था :
कुरुक्षेत्र के युद्ध मैदान में भगवान श्रीकृष्ण ने खड़े होकर अर्जुन को गीता का ज्ञान उस समय दिया जब अर्जुन युद्ध मैदान में अपने समक्ष अपनो को देखकर उनका मन विचलित हो गया था यही कारण है कि यह श्रीकृष्ण और अर्जुन संवाद भी कहलाता है. गीता का ज्ञान भले ही श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया हो किंतु भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन के माध्यम से समस्त विश्व को गीता का ज्ञान दिया है पर गीता का ज्ञान सबसे पहले श्रीकृष्ण के गुरु घोर अंगिरस ने उनको दिया है अर्थात सर्वप्रथम गीता का ज्ञान श्रीकृष्ण को अपने गुरू घोर अंगिरस से प्राप्त हुआ था और इसके पश्चात श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया.श्रीमद्भागवत गीता केवल मात्र ग्रँथ ही नही जबकि इसमें कई रहस्य समाहित हैं इसके अलावा यह ग्रँथ तन, मन और आत्मा की जीवन शैली के लिए मार्गदर्शन भी प्रदान करता है.
श्रीमद्भागवत गीता से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें :
1) श्रीमद्भागवत गीता में दिए गए उपदेशों का पालन करने से जीवन बदल जाता है और मनुष्य को हर कार्य में सफलता की प्राप्ति भी होती है.
2) श्रीमद्भागवत गीता हमें बताता है की जन्म लेने वालों के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है जितना की मृत्यु होने के लिए जन्म लेना इसलिए जो अपरिहार्य हैं उस पर शोक नहीं करना चाहिए.
3) श्रीमद्भागवत गीता में दिए गए उपदेशों से मन को नियंत्रित करने, अपने कर्तव्यों के बारे में सोचने व समझने, सभी के साथ एक समान व्यवहार करने और अपने अंतरात्मा की शांति पाने के तरीके को भी बताया गया है.
4) श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार क्रोध भ्रम से उत्पन्न होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है और जब बुद्धि व्यग्र होती है तो तर्क नष्ट हो जाता है और जब तर्क नष्ट हो जाता है तब मनुष्य का पतन हो जाता है.
5) श्रीमद्भागवत गीता में दिए गए उपदेश आज ही उतने ही प्रासंगिक हैं जो कि हमें वर्तमान में सकारात्मक जीवन जीने का मार्ग दिखाता है.
6) कोई भी मनुष्य अपने जन्म से महान नहीं बल्कि अपने कर्मों से महान बनता है.
7) मनुष्य जो चाहें बन सकता है अगर वह दृढ़ विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर सदैव चिंतन करते रहे.
8) श्रीमद्भागवत गीता में कर्म योग, ज्ञान योग और भक्ति बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है.
9) श्रीमद्भागवत गीता में हमें बताता है कि जो मनुष्य अपने मन को नियंत्रण नहीं कर सकता वह शत्रु के समान कार्य करता है.
10) श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार वासना, क्रोध और लोभ यह नरक के तीन द्वार है.
श्रीमद्भागवत गीता को पढ़ने के नियम :
1) श्रीमद्भागवत गीता को पढ़ने के लिए सबसे सर्वश्रेष्ठ समय सुबह का होता हैं क्योंकि सुबह का समय मन, मस्तिष्क और वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने के साथ ही शांति का प्रवाह भी होता हैं.
2) श्रीमद्भागवत गीता का पाठ सदैव स्नान करने के पश्चात शांत व चित्त मन से साफ – सफाई वाले स्थान पर आसान बिछाकर करना चाहिए.
3) श्रीमद्भागवत गीता के प्रत्येक अध्याय को आरंभ करने से पहले और बाद में भगवान श्रीकृष्ण और ग्रँथ को स्पर्श करके प्रणाम करना चाहिए.
4) श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करते समय बीच में इधर – उधर बातें नहीं करना चाहिए और ना ही किसी भी काम के लिए बार – बार उठना चाहिए.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) श्रीमद्भागवत गीता का ज्ञान किसने सबसे पहले दिया था ?
श्रीकृष्ण के गुरु घोर अंगिरस ने .
2) श्रीमद्भागवत गीता में कितने अध्याय और श्लोक हैं ?
18 अध्याय और 700 श्लोक
3) कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने किसको गीता का ज्ञान दिया था ?
अर्जुन को.
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