Pitru Paksha 2025 | पूर्वजों की आत्मा की शांति पूजा के लिए साल के 15 दिन बहुत ही विशेष माने जाते हैं जिनको पितृपक्ष कहा जाता है और पंचाग के अनुसार हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से लेकर आश्विन माह की अमावस्या पितृ पक्ष मनाई जाती हैं. धार्मिक मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पितृ लोक से धरती लोक में आते हैं और पितृ पक्ष के समय उनका नियमित श्राद्ध करने से, तर्पण करने से और पिंड दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलने के साथ ही पितरों का ऋण चुकता होता है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. कहा जाता हैं कि पितृ पक्ष में पितरों को तृप्त करने से पितृ दोष दूर होता है और परिवारजन को खुशहाली का आशीर्वाद मिलता है जिससे कि परिवार में सुख, शांति और उन्नति के साथ होती वंश में वृद्धि होती है.
जानते हैं 2025 में पितृ पक्ष कब से शुरू हो रही है :
पंचाग के अनुसार पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होते हुए अश्विन मास के कृष्ण पक्ष के अमावस्या तिथि के दिन तक चलता है और साल 2025 में भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत होगी 07 सितंबर 2025 दिन रविवार की सुबह 01 बजकर 41 मिनट से लेकर इसी तिथि यानि कि 07 सितंबर की रात्रि 11 बजकर 38 मिनट तक.
इस आधार पर पितृ पक्ष 2025 की शुरुआत होगी 07 सितंबर 2025 दिन सोमवार से.
पितृ पक्ष 2025 की श्राद्ध तिथियां :
पूर्णिमा का श्राद्ध (रविवार) – 07 सितंबर 2025
प्रतिपदा का श्राद्ध (सोमवार) – 08 सितंबर 2025.
द्वितीया का श्राद्ध (मंगलवार) – 09 सितंबर 2025.
तृतीया का श्राद्ध (बुधवार) – 10 सितंबर 2025.
चतुर्थी का श्राद्ध (बुधवार) – 10 सितंबर 2025.
महा भरणी (गुरुवार) – 11 सितंबर 2025.
पंचमी का श्राद्ध (गुरुवार) – 11 सितंबर 2025.
षष्टी का श्राद्ध (शुक्रवार ) -12 सितंबर 2025.
सप्तमी का श्राद्ध (शनिवार) – 13 सितंबर 2025.
अष्टमी का श्राद्ध (रविवार) – 14 सितंबर 2025.
नवमी का श्राद्ध (सोमवार) – 15 सितंबर 2025.
दशमी का श्राद्ध (मंगलवार) – 16 सितंबर 2025.
एकादशी का श्राद्ध (बुधवार) – 17 सितंबर 2025.
द्वादशी का श्राद्ध (गुरुवार) – 29 सितंबर 2025.
मघा श्राद्ध (शुक्रवार) – 19 सितंबर 2025.
त्रयोदशी का श्राद्ध (शुक्रवार) – 19 सितंबर 2025.
चतुर्दशी का श्राद्ध (शनिवार) – 20 सितंबर 2025.
सर्वपितृ अमावस्या (रविवार – 21 सितंबर 2025.
जानते हैं पितृ पक्ष में तिथि के महत्व को :
जब पितृ पक्ष शुरू होता है तो उसके हर दिन की एक तिथि हुआ करती है जैसा कि इस साल 13 सितंबर को सप्तमी श्राद्ध है यानी कि पितृपक्ष में श्राद्ध की सप्तमी तिथि है जिन लोगों के पितरों का निधन किसी भी महीने के सप्तमी तिथि को हुआ हो वे लोग अपने पितरों का श्राद्ध कर्म पितृ पक्ष में सप्तमी श्राद्ध को करते हैं ऐसे ही जिनके पूर्वज का निधन किसी भी माह की दशमी तिथि को हुआ है तो वह पितृ पक्ष की दशमी श्राद्ध को उनके लिए तर्पण, पिंडदान आदि की जाएगी.
पितृ पक्ष में मृत्यु की तिथि नहीं पता होने पर क्या करना चाहिए :
अगर किसी को अपने पितरों की मृत्यु की तिथि मालूम नहीं है तो वह सर्वपितृ अमावस्या के दिन उनके लिए श्राद्ध कर सकते हैं बता दे इसी दिन ज्ञात अज्ञात सभी पितरों के लिए श्राद्ध किया जाता है.
श्राद्ध कर्म को करने का सही समय क्या है :
शास्त्रों में सुबह और शाम को देवी देवताओं के लिए पूजा पाठ की जाती है तो वहीं दोपहर का समय पितरों को समर्पित होता है. दोपहर के लगभग 12 बजे पितरों को याद करते हुए श्राद्ध कर्म करना चाहिए सूर्य को अग्नि का स्रोत भी माना जाता है. देवी देवताओं के भोजन देने के लिए यज्ञ किए जाते हैं बिल्कुल ऐसे ही पितरों को भोजन देने के लिए सूर्य की किरणों को जरिया माना जाता है.
पितृ पक्ष में क्या करना चाहिए :
पितृ पक्ष के दौरान तर्पण के साथ-साथ पिंडदान करना चाहिए तर्पण के लिए कुशा घास, आटा और काले तिल को जल में मिलाकर चढ़ाना चाहिए और इसके साथ ही पितृपक्ष में ब्राह्मण को भोजन कराकर दान देना चाहिए सबसे खास बात इस समय तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए जैसे कि मांस मदिरा और लहसुन प्याज.
पितृ पक्ष के महत्व :
मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितर संबंधित काम करने से जीवन में खुशहाली आती हैं. पितरों का तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होने के साथ ही वे अपना आशीर्वाद को बनाएं रखते हैं कहा जाता है कि पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करने से पितृ दोष से भी छुटकारा मिलता है.
जानते हैं पितृ पक्ष में किए गए उपायों को :
1) पितरों के नाम से गरीबों और जरूरतमंदों को दान या भोजन कराएं, हो सकें तो इस समय ब्राह्मणों को भोजन कराके उनको दक्षिणा अवश्य दें.
2) पितृ पक्ष के दौरान रोजाना दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों को प्रणाम अवश्य करें और पीपल के वृक्ष में जल अर्पित करके अक्षत, गंगाजल, काले तिल और पुष्प अर्पित करें.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) पंचाग के अनुसार पितृ पक्ष कब से शुरू होता है ?
भाद्र माह की पूर्णिमा तिथि से लेकर अश्विन माह की अमावस्या तक.
2) पितरों की मृत्यु की तिथि पता नही होने पर किस दिन पितरों का श्राद्ध करने चाहिए ?
अश्विन माह की अमावस्या (सर्वपितृ अमावस्या ) को.
3) इस साल 2025 में कब से पितृ पक्ष शुरू हो रहा है ?
07 सितंबर से लेकर 21 सितंबर 2025.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.