Jitiya Vrat 2025 | हिंदू धर्म में जितिया व्रत का बहुत ही महत्व होता है जितिया व्रत जिसे जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है. जितिया भी छठ महापर्व के समान ही कठिन व्रतों में से एक है जो संतान प्राप्ति, दीर्घायु और उनके सुखमय जीवन के लिए माताओं द्वारा रखा जाता हैं. मान्यता है किस दिन सुहागन महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र, आरोग्य और सुखमय जीवन के लिए पूरा दिन निर्जला व्रत रखकर भगवान जीमूतवाहन की पूजा करती है और साथ में यह भी माना गया है कि जो महिलाएं या माताएं अपने संतानों के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत रखती है उनके संतानों पर आने वाला हर संकट टल जाता है.
जितिया व्रत 2025 और नहाय खाय व पारण की तिथि :
जितिया पर्व तीन दिवसीय होता है और पंचाग के अनुसार आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि से लेकर कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि तक जितिया पर्व मनाया जाता है जिसमें शुद्ध अष्टमी तिथि को जितिया व्रत रखा जाएगा और पारण नवमी तिथि के दिन किया जाता है.
1) पहला दिन :
जितिया व्रत के पहले दिन यानि कि सप्तमी तिथि को नहाए खाए कहा जाता है इस दिन महिलाएं नहाने के बाद ही भोजन करती है.
इस साल 2025 को सप्तमी तिथि 13 सितम्बर 2025 दिन शनिवार को हैं और इसी दिन नहाय खाय हैं.
2) दूसरा दिन :
जितिया व्रत के दूसरे दिन को खर जितिया कहा जाता है और यही व्रत का खास और विशेष दिन होता है.यह दिन अष्टमी तिथि को पड़ती है और अष्टमी तिथि के लगते ही माताएं निर्जला व्रत रखती है यहां तक की रात्रि में जल भी नहीं पिया जाता हैं.
इस साल 2025 की आश्विन मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि की शुरुआत होगी 14 सितम्बर 2025 दिन रविवार की सुबह 05 बजकर 04 मिनट से लेकर 15 सितम्बर 2025 दिन सोमवार की सुबह 03 बजकर 06 मिनट का.
सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य होती हैं इसलिए जितिया व्रत 14 सितम्बर 2025 दिन रविवार यानि कि शुद्ध अष्टमी तिथि को किया जाएगा.
3) तीसरा दिन :
जितिया व्रत के तीसरे दिन व्रत का पारण करने के बाद भोजन करने के साथ ही इस महापर्व जितिया की समाप्ति हो जाती है.
इस साल जितिया व्रत का पारण 15 सितम्बर 2025 दिन सोमवार को किया जाएगा.
जितिया व्रत की पूजा विधि :
जितिया व्रत रखने वाली महिलाएं और माताएं जितिया व्रत के दिन स्नान आदि करने के बाद साफ स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूजा स्थल पर सूर्य नारायण और जीमूतवाहन की कुशा से निर्मित मूर्ति को स्नान कराकर स्थापित करना चाहिए. अब मूर्ति या प्रतिमा के समक्ष धूप, दीप जलाकर नैवेद्य पुष्प, रोली, फल आदि अर्पित करके उनकी आरती करके भगवान को मिठाई का भोग लगाकर जब पूजा समाप्त हो जाए तो जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनें या फिर पढ़ें. माताएं सप्तमी तिथि को नहाए खाए की तिथि पूरा होने तक ही भोजन करके और जल ग्रहण कर अष्टमी तिथि शुरू होते ही पूरे दिन निर्जला व्रत रखती है उसके बाद अगले दिन यानी कि नवमी तिथि को व्रत का पारण के साथ ही जीवित्पुत्रिका व्रत और जितिया पर्व का समापन होता है.
जितिया व्रत के महत्व :
धार्मिक मान्यता के अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत महिलाएं संतान की लंबी उम्र के लिए रखती है. इस व्रत को करने से संतान की जिंदगी में दुःख, दर्द, तकलीफ नहीं आने के साथ ही बच्चों का स्वस्थ भी अच्छा रहता है. यह संतान की भलाई के लिए माताएं कठिन व्रत रखती है जिससे कि उनके संतान को दीर्घायु और सुखी जीवन का वरदान की प्राप्ति हो. माना जाता है अगर कोई विकट परिस्थिति से बचकर निकल जाए या फिर किसी विकट परिस्थितियों से किसी के प्राण बच जाते हैं तो कहा जाता है कि उसकी मां ने जरूर जितिया व्रत किया होगा.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) पंचांग के अनुसार जितिया व्रत कब रखा जाता है?
अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को.
2) जितिया व्रत किसके लिए किया जाता है ?
संतान की दीर्घायु और स्वस्थ जीवन के लिए.
3) जितिया व्रत में किस भगवान की पूजा की जाती है ?
जीमूतवाहन भगवान की.
4) साल 2025 में जितिया व्रत कब रखा जाएगा ?
14 सितम्बर 2025 दिन रविवार.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.