Ashadha Gupt Navratri 2023 | जानते हैं आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2023 के शुभ मुहूर्त व पूजा विधि और जानते हैं आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में होने वाली 10 महाविद्याओं के बारे में.

Navratri 2023

Ashadha Gupt Navratri 2023 | माता रानी की पूजा तो भक्त प्रतिदिन किया करते हैं लेकिन माता की विशेष कृपा प्राप्त करने और आशीर्वाद पाने के लिए साल में दो बार चैत्र और शारदीय नवरात्रि में माता के नौ रूपों की पूजा की जाती हैं किंतु इसके अलावा माघ मास और आषाढ़ माह में भी नवरात्रि का पर्व मनाया जाता हैं. माघ और आषाढ़ मास में होने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता हैं इस गुप्त नवरात्रि में दुर्गा माँ की दस महाविद्याओं की पूजा आराधना की जाती हैं.

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के समय भक्त देवी दुर्गा का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए समर्पित मंत्रों का जाप करने के साथ ही ” दुर्गा सप्तशती “व ” देवी महात्म्य” और ” श्रीमद देवी भागवत ” जैसे धार्मिक ग्रन्थों का पाठ भी करते हैं. मान्यता है कि आषाढ़ नवरात्रि के दौरान ” दुर्गा बत्तीसी” या फिर देवी शक्ति के 32 अलग अलग नामों के जाप और अभ्यास करने से सभी समस्याओं खत्म होने के साथ भक्तों को जीवन में शांति की प्राप्ति होती हैं.

जानते हैं आखिर क्या अंतर है प्रकट नवरात्रि और गुप्त नवरात्रि में

चैत्र नवरात्रि और अश्विन माह में मनाई जाने वाली नवरात्रि को प्रकट, उदय, प्रमुख और बड़ी नवरात्रि कहा जाता हैं तो वहीं माघ और आषाढ़ माह में मनाई जाने वाली नवरात्रि गुप्त नवरात्रि कहलाती हैं. प्रकट व उदय नवरात्रि की पूजा मंदिरों के साथ साथ घरों में, पंडाल जैसे सार्वजनिक जगहों में दुर्गा माता की पूजा होती है और इस नवरात्रि की पूजा हर कोई व्यक्ति या भक्त करते हैं लेकिन गुप्त नवरात्रि की पूजा गुप्त रूप से की जाती हैं ये पूजा गुप्त तांत्रिक क्रियाओं व सिद्धियां की प्राप्ति के साथ साधक इच्छा पूर्ति के लिए 10 महाविद्याओं की साधना – उपासना गुप्त तरीके से करते हैं .

Ashadha Gupt Navratri 2023 | जानते हैं कि कब है आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2023  –

इस साल आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 19 जून 2023 दिन सोमवार से शुरुआत होगी जिसका समापन 28 जून 2023 दिन बुधवार को होगा.

Ashadha Gupt Navratri 2023 | घटस्थापना मुहूर्त

घटस्थापना शुभ मुहूर्त शुरू होगा 19 जून 2023 सोमवार की सुबह 06 बजकर 05 मिनट से लेकर सुबह के 08 बजकर 04 मिनट तक है.

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Ashadha Gupt Navratri 2023 | जानते हैं गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि और दस महाविधाएं –

चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में जिस प्रकार से दुर्गा माता की पूजा की जाती हैं वैसे ही आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में भी पूजा की जाती हैं. आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के पहले दिन साधक घटस्थापना करके नौ दिनों तक का व्रत का संकल्प लेकर प्रतिदिन दुर्गा माता की पूजा करते हैं और इसके साथ ही दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ भी करते हैं और अष्टमी या फिर नवमी तिथि को कन्याओं का पूजन व भोज कराने के साथ ही व्रत का उद्यापन किया जाता हैं तो वहीं तंत्र साधना से जुड़े भक्त इन दिनों गुप्त तांत्रिक सिद्धियां और इच्छापूर्ति प्राप्ति के लिए 10 (दस) महाविद्याओं की साधना व उपासना गुप्त करके की जाती हैं.

Ashadha Gupt Navratri 2023 | जान लेते हैं गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा का महत्व :

1) पहली महाविद्या –

गुप्त नवरात्रि के पहले दिन “‘काली मां “‘ की साधना की जाती हैं.माँ काली को 10 महाविद्याओं में प्रथम मानी गई हैं कहा जाता हैं कि माँ काली की साधना से विरोधियों और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती हैं.

मंत्र : ।। ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा ।।

2) दूसरी महाविद्या –

गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन तारा माता की साधना की जाती हैं. कहा जाता हैं कि इस महाविद्या तारा की उपासना सबसे पहले महर्षि वशिष्ठ ने किया था. तारा माता को तांत्रिकों की देवी कहा जाता हैं. आर्थिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए इस देवी की आराधना की जाती हैं.

मंत्र : ।। ॐ ह्रीं स्त्रीं हुम फट्ट ।।

3) तीसरी महाविद्या –

तीसरी महाविद्या माता त्रिपुरा सुंदरी हैं जिसकी तीसरे दिन साधना की जाती हैं. इस माता को ललित और राज राजेश्वरी भी कहते हैं.

मंत्र : ।। ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुन्दरियै नमः ।।

4) चौथी महाविद्या –

गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन माता भुवनेश्वरी की साधना की जाती हैं. इस माता की साधना संतान सुख की इच्छा वाले दम्पति के लिए फलदायी होती हैं.

मंत्र : ।। ह्रीं भुवनेश्वरीयै ह्रीं नमः ।।

5) पांचवीं महाविद्या –

पांचवीं महाविद्या माता छिन्नमस्ता हैं इसकी साधना गुप्त नवरात्रि के पाँचवें दिन की जाती हैं.माना जाता हैं कि अगर इस माता की साधना शांत मन से की जाएं तो माता का स्वरूप शांत होती हैं और अगर माता की साधना उग्र भाव से किया जाएं तो माता की उग्र रूप के दर्शन होते हैं.

मंत्र : ।। श्रीं ह्रीं ऐं वज्र वैरोचानियै ह्रीं फट स्वाहा ।।

6) छठी महाविद्या –

गुप्त नवरात्रि के छठवें दिन त्रिपुरा भैरवी माता की साधना की जाती हैं इस माता की साधना से जीवन के सभी बंधनों से मुक्ति मिलती हैं.

7) सातवीं महाविद्या –

गुप्त नवरात्रि के सातवें दिन माँ धूमावती महाविद्या की साधना की जाती हैं मान्यता है कि इस माता की साधना से सभी संकट दूर हो जाते हैं इसके अलावा माँ धूमावती   माता की साधना करने वाला साधक महाप्रतापी और सिद्ध पुरूष कहलाता है.

मंत्र : ।। ॐ धुं धुं धूमावती देव्यै स्वाहा ।।

8) आठवीं महाविद्या –

गुप्त नवरात्रि के आठवें दिन माता बगलामुखी की साधना की जाती हैं जिससे भय से मुक्ति मिलने के साथ ही वाक सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं.

मंत्र : ।। ॐ ह्रीं बगुलामुखी देव्यै ह्रीं ओम नमः ।।

9) नैवीं महाविद्या –

गुप्त नवरात्रि के नैवें दिन मांतगी माता की साधना की जाती हैं इसकी साधना से गृहस्थ जीवन में खुशहाली आती हैं.

मंत्र : ।। ॐ ह्रीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा ।।

10) दसवीं महाविद्या –

दसवीं महाविद्या के रूप में माता कमला की साधना की जाती हैं. मान्यता है कि कमला माता की साधना से धन, स्त्री और पुत्र की प्राप्ति होती हैं.

मंत्र : ।। ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः ।।


FAQ – सामान्य प्रश्न

इस साल 2023 में आषाढ़ गुप्त नवरात्रि कब से है ?

19 जून 2023 दिन सोमवार

 गुप्त नवरात्रि में कितनी महाविद्या की साधना किया जाता हैं ?

10 (दस) महाविद्या

दस महाविद्याओं में पहली किस  महाविद्या की साधना की जाती हैं ?

काली माँ

किस महाविद्या की साधना से साधक महाप्रतापी औऱ सिद्धपुरुष कहलाता है ?

सातवीं महाविद्या ( माँ धूमावती माता )

दसवीं महाविद्या कमला माता की साधना से क्या प्राप्त होता हैं ?

धन, स्त्री और पुत्र 


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