Nirjala Ekadashi | हिंदू पंचाग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी मनाई जाती हैं.शास्त्रों में निर्जला एकादशी व्रत का बहुत खास महत्व बताया गया है कि इस दिन व्रत रखने से सभी तीर्थों पर स्नान करने के बराबर पुण्य मिलता हैं. निर्जला एकादशी व्रत का शाब्दिक अर्थ है “”बिना पानी पिएं उपवास रखना “” इसलिए भगवान विष्णु के भक्त एक दिन का उपवास रखते हैं इस एकादशी तिथि में जल भी ग्रहण नहीं किया जाता हैं. इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी (Bhimseni Ekadashi) और पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता हैं माना जाता है कि इस एकादशी का नाम पांडव भाई “भीम” के नाम पर रखा गया है क्योंकि ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार भीम का अपनी भूख पर कोई नियंत्रण नहीं था इसलिए भीम ने सभी एकादशी का फल देने वाले एक निर्जला एकादशी व्रत का पालन किया.
Nirjala Ekadashi | निर्जला एकादशी व्रत की पौराणिक कथा :
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार महाभारत काल में पांडव पुत्र महाबली भीम के महल में वेदों के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी आए हुए थे तब भीम ने वेदव्यास जी से कहा ” है मुनिश्रेष्ठ! आप तो सर्वज्ञ हैं और सबकुछ जानते हैं कि मेरे परिवार में माता कुंती, बड़े भैया युधिष्ठिर, अर्जुन, नकुल, सहदेव और द्रोपदी ये सब लोग एकादशी का व्रत करते हैं और मुझे भी एकादशी व्रत रखने के लिए कहते हैं लेकिन मैं हर माह में पड़ने वाली एकादशी का व्रत रखने में असमर्थ हूँ क्योंकि मुझे बहुत भुख लगती हैं इसलिए आप मुझे कोई ऐसी युक्ति बतलाये जिससे मुझे एकादशी के व्रत के समान फल की प्राप्ति हो “इस पर वेदव्यास जी ने कहा – है भीमसेन! स्वर्गलोक की प्राप्ति और नर्क की मुक्ति के लिए एकादशी का व्रत अवश्य ज़रूर रखना चाहिए. तब भीम ने कहा – हे मुनिश्रेष्ठ! पर्याप्त भोजन करने के बाद भी मेरी भूख शांत नहीं होती और खाने की इच्छा जागृत होती हैं ऐसे में केवल एक समय के भोजन करने से मेरा काम नहीं हो पाएगा.
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वेद व्यास ने भीम की असमंजसता को दूर करते हुए बोले – हे भीमसेन! तुम ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी का व्रत करो इसमें केवल एक दिन अन्न जल का त्याग करना पड़ता हैं इस एकादशी में व्रतधारी को एकादशी तिथि के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक बिना खाय पिए रहना पड़ता है. मात्र इस एक निर्जला एकादशी के व्रत से तुम्हें सालभर की सभी एकादशियों के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती हैं. वेद व्यास जी के आज्ञानुसार भीम ने निर्जला एकादशी का व्रत किया और इस के करने से पांडव पुत्र को स्वर्ग के साथ मोक्ष की भी प्राप्ति हुई.इसी वजह से निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी (Bhimseni Ekadashi) भी कहा जाता हैं.
FAQ – सामान्य प्रश्न
निर्जला एकादशी व्रत का शाब्दिक अर्थ क्या होता है?
बिन पानी पिएं उपवास रखना
इस एकादशी व्रत में किस पुराण का उल्लेख किया गया है?
ब्रह्म वैवर्त पुराण
निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी के अलावा और किस नाम से जाना जाता हैं?
पांडव एकादशी
भीम को निर्जला एकादशी व्रत की महिमा किसने बताया?
महर्षि वेदव्यास जी
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