Rudraksha Mahotsav 2024 | श्री विट्ठलेश सेवा समिति सीहोर मध्य प्रदेश कुबेरेश्वर धाम में 07 मार्च से शुरु हुआ भव्य रुद्राक्ष महोत्सव और श्री शिवमहापुराण की कथा का आयोजन जिसमें लाखों की संख्या में रुद्राक्ष को अभिमंत्रित और अभिषेक पूजन किया गया और इसके पश्चात पंडित प्रदीप मिश्रा जी के श्रीमुख से आदि अनादि अंनत शिव तत्व का महात्सव महाशिवरात्रि की महिमा व वर्णन पर आधारित श्री महाशिवरात्रि महाशिवपुराण कथा का वाचन किया जाता था.
इस महा उत्सव में सीहोर पूरी तरह से शिवमय हो चुका महादेव के भक्तों का महाकुंभ का सैलाब उमड़ पड़ा पूरे सीहोर में एक ही शब्द की गूंज थी श्री शिवाय नमस्तुभ्यं. इस विशाल और भव्य आयोजन में विट्टलेश सेवा समिति और प्रशासन की ओर से बहुत ही बेहतरीन व्यवस्था की गई जिससे कि किसी भी श्रद्धालु को कोई भी किसी तरह की असुविधा नहीं हो चार स्थानों पर भंडारे का आयोजन हुआ पेयजल के लिए 60 से अधिक पानी की टैंकरों की व्यवस्था की गई थी और पंडालो की भी संख्या दर्जन के लगभग थी लेकिन वह भी कम पड़ गई श्रद्धालु इतने थे कि जिनको जहां-जगह मिली अपनी व्यवस्था करके वही बैठकर कथा को सुना.
इस महोत्सव में बहुत कुछ सुनने और देखने को मिला खासकर पंडित प्रदीप मिश्रा जी (Pandit Pradeep Mishra Ji) के द्वारा देश भर में चलाए जा रहे निर्माल्य विसर्जन रथ चलने वाले शिव भक्तों को सम्मानित किया जाना और इसके साथ इस महोत्सव में नेताओं का भी आगमन हुआ जिसमें मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी चौहान और विश्वास जी सारंग के अलावा कैलाश विजयवर्गीय भी पहुंचे जिसमें श्री शिवराज सिंह जी चौहान ने गीता के एक श्लोक को सुनाकर गुरुजी का अनुमोदन करते हुए बोले हम सबके गुरुदेव इस धरती पर आएं है तो भगवान की इस इच्छा को पूरा करने अधर्म के नाश के लिए और धर्म की जय के लिए आएं है.
पंडित प्रदीप मिश्राजी श्री महाशिवरात्रि महाशिवपुराण की कथा को बहुत ही सहज और सरल शब्दों में कहा जिसको हर कोई सुनकर मंत्रमुग्ध हो गए खासकर पंचम दिन की कथा में एक भजन को सुनाते हुए खुद ही भावुक हो गए. पंडित मिश्राजी ने श्री महाशिवरात्रि महाशिवपुराण कथा के तीसरे दिन की कथा में कहा कि कर्म की गति का भोग हमें भोगना ही पड़ता है. मिठाई और दवाई में अंतर है हम मिठाई अपनी मर्जी से सेवन करते हैं लेकिन दवाई डॉक्टर की सलाह से लेते हैं जन्म लेने के बाद इस शरीर को पाने के बाद संसार के सारे दुख, सारी तकलीफें, सारे कष्ट, सारे रोग, बीमारी और दुख हमारे जीवन में जो लिखा होगा वह सब आएगा लेकिन ऐसा नहीं है कि दुख ही दुख मिलेगा शिव महापुराण की कथा कहती है. जैसे दिन होता है, रात होती है, धूप होती है, छांव होती है, ठीक उसी तरह सुख होता है दुख होता है. इस सुख और दुख के बीच में अगर किसी ने भगवान का गुणगान कर लिया उसने भगवान का भजन कर लिया तो उसकी जिंदगी सार्थक हो जाती है और जीवन आनंदित हो जाता है तो वहीं पांचवे दिन सोमवार को शिव महापुराण में आए लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि शिवलिंग पर चढ़ाया गया एक लोटा जल और एक बेलपत्र सारे दुखों का नाश करती है. बेलपत्र में योग और शिव शक्ति है जो सच्चे मन से शिव का स्मरण करता है, उसके सारे संकट दूर हो जाते हैं.
अपनी कथा में आगे पंडित प्रदीप मिश्राजी ने भगवान शिव के चक्रों की चर्चा करते हुए कहा कि चक्र को छोटा लेकिन सबसे अचूक अस्त्र माना जाता है. सभी देवी देवताओं के पास अपने-अपने अलग-अलग चक्र होते हैं और उन सभी के अलग – अलग नाम भी हैं शंकर जी के चक्र नाम भवरेंदु, विष्णु जी के चक्र नाम कांताचक और देवी मां के चक्र मृत्यु मंजरी के नाम से जाना जाता है. सुदर्शन चक्र का नाम भगवान कृष्ण के नाम के साथ अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है यह बहुत कम लोग ही जानते हैं कि सुदर्शन चक्र का निर्माण भगवान शंकर ने किया था. भगवान शिव के पास कई अस्त्र – शस्त्र थे लेकिन उन्होंने अपने सभी अस्त्र शस्त्र देवताओं को सौंप दिए उनके पास सिर्फ एक त्रिशूल होता हैं यह बहुत ही अचूक और घातक अस्त्र था त्रिशूल तीन प्रकार के कष्टों दैनिक, दैविक, भौतिक के विनाश का सूचक है.
हर दिन की कथा के बीच-बीच में पंडित प्रदीप मिश्रा जी (Sehore wale Maharaj) भक्तों के द्वारा भेजे गए पत्र को पढ़ते थे और सुनाते थे जिनमें भक्तों ने लिखा कि कैसे तकलीफ में बाबा ने उनका साथ दिया और जीवन को सुखमय बनाया. छठवें दिन की कथा में ऐसे ही एक भक्त जो कि अंडेमान निकोबार से आई थी उसने पत्रों के माध्यम से बताया कि उसकी भाभी का बच्चा जन्म लेने के कई घन्टे बाद भी रोया नहीं डॉक्टर ने भी कह दिया कि यह बच्चा बचेगा नहीं. कई दिन और निकल जाने पर भी बच्चा रोया ही नहीं तब भगवान शंकर पर एक लोटा जल समर्पित किया इस भरोसे से की भगवान शिव भी एक डॉक्टर ही है संभाल लेंगें भगवान शिव पर चढ़ाया गया जल को वस्त्र में भींगा कर बच्चे जो हॉस्पिटल में आई सी यू (I.C.U) में एडमिड था को टच कराया कि 15 मिनट के बाद बच्चे ने रोना आरंभ कर दिया. उसने पत्रों में लिखा कि अब तो भगवान शिव की महिमा और भक्ति अंडेमान निकोबार में भी देखने को मिलता है. पंडित मिश्राजी ने इस शिव तत्व को पहचानने को कहा .भगवान शिव की अविरल भक्ति को धारण करने व अविरल भक्ति को अपने भीतर उतारने को कहा उनके भजन को भी अपने भीतर उतारिए क्योंकि “खाली ना जाता कोई दर से तुम्हारे मैं भी खड़ी हूँ नन्दी बाहें पसारे अपने ह्रदय से लगा लो लगा लो गिरी जा रही हूं उठा लो उठा लो भोले अपने दर से अब तो ना टारो गिरी जा रही हूं उठा लो उठा लो” उसको दिल से कहो वो दिल से सुनेगा आप दिल से प्रार्थना करेंगे व दिल से स्मरण करेंगे वो दिल से सुनता है.
पंडित प्रदीप मिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की करी तारीफ
पंडित प्रदीप मिश्राजी छठवें दिन की कथा में देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की प्रशंसा करते हुए कहा भारत की विकास की यात्रा को आगे बढ़ाने में प्रधानमंत्री जी सबसे पहली शुरुआत भगवान शंकर से ही करी काशी से शुरुआत करी तो आज यह यात्रा आगे बढ़ती चली जा रही हैं जिसने शंकर के मंदिर को संवार दिया जिसने शिवालय को संवार दिया जिसने शंकर को संवार दिया जिसने शंकर का श्रृंगार कर दिया जिसने शंकर के लिए अग्रण भाव में कार्य कर दिया जिसने महादेव के लिए कदम आगे बढ़ाया हैं तो महादेव भी उसको छोड़ता नहीं है उसको आगे बढ़ाने का कार्य स्वयं महादेव करता है फिर भी दुनिया वाले समझ नही पाते जरा विचार करिएगा गुजरात में रहने वाले काशी में जाकर चुनाव लड़ रहे हैं क्यों. क्योंकि विश्वनाथ के चरणों से जब शुरुआत हो ज़िंदगी की तो वो जीवन अधूरा नहीं रहता वो उन्नति की ओर बढ़ता ही चले जाता हैं इसके अलावा इस दिन की कथा में उन्होंने वास्तु दोष, पितृ दोष, कालसर्प दोष और किसी अन्य दोष से मुक्ति पाने के लिए बहुत ही सहज उपाय को भी बताया.
पंडित प्रदीप मिश्रा जी कथा की विराम दिवस की कथा को वाचते हुए कहा कि भगवान शिव पर पूर्ण विश्वास करके खुदको समर्पित कर दो फिर चाहे सारी दुनिया तुमको ताने मारे, कोसे कभी मत घबराना क्योकि शिव अपने भक्तों की ओर से स्वंय जवाब देते हैं इसलिए भगवान शिव पर पूरी दृढ विश्वास से पूरी अविरल भक्ति में तपकर भगवान शिव के हो जाओ फिर देखना भगवान शिव भी तुम्हारा भी हो जाएगा. जब कोई भगवान शिव के मंदिर में लोटा भर जल लेकर जाता है तो उस जल को देखकर भगवान शिव जान जाते हैं कि तुम्हारे जीवन मे कितना कष्ट तकलीफ है वो तुमको उस कष्ट व परेशानी से निकाल ही देगा वो पिता है सुनता है. इसलिए अपने जीवन में कुछ मांगना है तो सिर्फ दो लोगों से ही मांगना एक अपनी माता दूसरे देवो के देव महादेव से अपनी कथा के विराम दिन पंडित प्रदीप मिश्राजी भगवान शिव पर अपने विश्वास को अटूट बनाकर रखने पर जोर देते हुए बोले एक मूलमंत्र को अवश्य याद रखे “बोल बम का नारा है बाबा एक सहारा है, सारी समस्याओं का हल एक लोटा जल” पंडित प्रदीप मिश्राजी ने सभी श्रद्धालुओं को कहा आज कथा की विराम दिवस है इसके बाद आप सभी की यहां से विदाई हो जाएगी लेकिन विदा से पहले कुबेरेश्वर बाबा आपको कुछ न कुछ देकर विदा अवश्य करेंगे क्योंकि कुबेरेश्वर बाबा आप सभी के पिता है. इसके साथ ही गुरुदेव ने पशुपति व्रत की महिमा को बताने के साथ ही बारह (12) ज्योतिर्लिंगों के महात्म्य को बताया. इस सात दिवसीय कथा का अंत होने से पहले बाबा रामदेव का आगमन हुआ जिसने प्रसन्नता के साथ पंडित प्रदीप मिश्राजी का अनुमोदन करते हुए बोले कि भगवान शिव की तरह प्रदीप मिश्राजी भी भोले है क्योंकि इनकी कथा से लाखों बंद पड़े शिवालय खुले इनकी कथा में जितने श्रद्धालु आते हैं उतना किसी ओर में देखने को नहीं मिलता. इस विशाल और भव्य आयोजन का समापन बाबा रामदेव के द्वारा गाये शिव भजन से हुआ.
इस रुद्राक्ष महोत्सव में कई कलाकारों ने अपनी शानदार प्रस्तुति देकर अपने जीवन को सार्थक किया तो वही हर साल की तुलना में इस साल कुबेरेश्वर धाम पर हर रोज लाखों की संख्या में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु कथा का श्रवण करने पहुंच रहे थे कुछ श्रद्धालु ऐसे थे जो पैदल चलकर भी धाम को पहुंच रहे थे ऐसे ही एक दर्जन से अधिक मनावर धार से धाम पर करीब 325 किलोमीटर पैदल चलकर आए इन श्रद्धालु कहना था बाबा ने हमारी झोली भर दी है. यह उनकी तीसरी यात्रा है वह झंडा लेकर हर साल पैदल कुबेरेश्वर धाम पर आते हैं इन श्रद्धालुओं का गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा जी ने सम्मान किया. इस बार के रुद्राक्ष महोत्सव में भोजन भंडारे की व्यवस्था सिर्फ कुबेरेश्वर धाम में ही बल्कि बस स्टैंड रेलवे स्टेशन में भी किया गया जिससे कि कोई भी भूखा नहीं रहें. पंडित प्रदीप मिश्रा जी व्यवस्था को लेकर कहा कि पूरा प्रशासन. सीहोर की पुलिस विभाग विट्टलेश सेवा समिति की ओर से बेहतर व्यवस्था की गई है लेकिन अगर कुछ कमी रह गई है तो इसके लिए क्षमा भी मांगा आपको बता दे कि इस बार रुद्राक्ष महोत्सव में रुद्राक्ष वितरण नहीं हुआ है लेकिन 15 मई से रोजाना साल भर कुबेरेश्वर धाम में रुद्राक्ष वितरण किया जाएगा.
इस रुद्राक्ष महोत्सव और श्री शिव महापुराण कथा के बाद पंडित प्रदीप मिश्रा जी के द्वारा शिव महापुराण की अगली कथा रेवाड़ी हरियाणा में 19 मार्च से शुरू हो रहा है जिनकी पूरी जानकारी मैंने पहले दे रखी है.
पढ़ें >> 19 मार्च 2024 से पंडित प्रदीप मिश्राजी के श्रीमुख से श्री शिव महापुराण कथा रेवाड़ी, हरियाणा में
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.