Hindu Puranas | हिन्दू संस्कृति के धार्मिक ग्रन्थों में ऐसी कई बातें हैं जो कि हमें जीवन जीने की सही राह दिखाती है और इतना कुछ बताती है जिनको अपनाकर हम अपने जीवन को सुखी और समृद्ध बना सकते है इसके अलावा कई ऐसी बातों को जाना जा सकता है जो कि आज भी रहस्यों से भरी है.
Hindu Puranas | तो चलिए जानते हैं कि पुराण किसे कहा जाता हैं :
पुराण दो शब्दों से मिलकर बना है जैसे पूरा व अण जिसमें “पूरा” का अर्थ होता है पुरानी प्राचीन या फिर अतीत हैं, व दूसरा शब्द “अण” का अर्थ होता हैं कथा बतलाना और इस तरह से पुराण का शाब्दिक अर्थ होता है प्राचीन कथा बतलाना. हिंदू संस्कृति के विशेष धर्मग्रंथ जिसमें सृष्टि की सृजन से लेकर प्रलय तक का वर्णन शब्दों से किया गया हो वे पुराण कहलाते हैं. पुराण मनुष्य के जीवन को परिवर्तित कर सकती है क्योंकि इसमें भूत, भविष्य और वर्तमान दिखता है. यह मनुष्य के लिए एक दर्पण का काम करती हैं जिसकी सहायता से मनुष्य अपने अतीत से सीखकर वर्तमान में अच्छे काम कर सकता है जिससे कि भविष्य उज्जवल हो जाता है. हिन्दू धर्म का मुख्य ग्रँथ पुराण हैं जिसमें धर्म, कर्म, भगवान, राजा, ऋषियों. ब्रह्मांड, लोककथाएं तीर्थयात्रा, मंदिर, खगोलशास्त्र, खनिज विज्ञान, हास्य, प्रेमकथाओं, चिकित्सा और व्याकरण का वर्णन मिलता है.
Who composed the Puranas? जानते हैं कि पुराण की रचना किसने की है :
महर्षि वेदव्यास (Maharishi Vedvyas) ने पुराण की रचना और पुनर्रचना किया है.
How many Puranas are there in Hindu religion? हिन्दू धर्म में कुल कितने पुराण हैं :
हिन्दू धर्म मे कुल अठारह (18) पुराण है जो भगवान ब्रह्माजी, भगवान विष्णु और भगवान शिव जी को समर्पित है जो तीनों देवों में छह – छह (6 – 6) पुराण करके बांटा गया है और हर एक पुराण का अपना महत्व है. नारद पुराण के अनुसार पहले यह सारे अठारह पुराण एक ही ग्रँथ में संकलित थे जिसमें की सौ (100) करोड़ श्लोक मौजूद थे जिसका संकलन महर्षि वेदव्यास ने संस्कृत भाषा में किया था. पहले यह ग्रँथ इतना बड़ा था कि इसका पाठन और श्रावण सामान्य मनुष्य के लिए संभव नही था इसलिए इस समस्या के निवारण के लिए भगवान विष्णु ने ब्रह्माजी को महर्षि वेदव्यास के रूप में धरती पर अवतार लेने को और पुराण को अठारह भागों में बांटने को कहा तब ब्रह्माजी महर्षि वेदव्यास के रूप में अवतरित होकर पुराण को अलग अलग भागों में बांटा तो इस तरह से अठारह पुराणों का सृजन हुआ.
18 Hindu Puranas | आइए जानते हैं कि अठारह पुराणों के नाम क्या क्या है :
अठारह पुराणों के नाम कुछ इस प्रकार से हैं :
1) ब्रह्म पुराण (Brahma Purana) :
ब्रह्म पुराण को महा पुराण भी कहा जाता है.यह पुराण संस्कृत भाषा में रचित हैं जिसमें कुल 245 अध्याय और 12 से 13 हज़ार के आसपास श्लोक हैं. इस पुराण में संसार के जन्म जल उत्पत्ति, देवताओं के जन्म और भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्माजी के पूजन के बारे में वर्णन हैं और इस पुराण का प्रवचन नैमिषारण्य में ऋषि लोकहर्षण ने अपने श्री मुख से किया था.
2) पद्म पुराण (Padma Purana) :
पद्म पुराण में कुल 641अध्याय और 55 हजार श्लोक हैं इस पुराण को मुख्य रूप से पांच खंडों में बांटा गया है, सृष्टि खण्ड, भूमि खण्ड, पाताल खण्ड, स्वर्ग खण्ड और उत्तर खण्ड. इस पुराण में व्रतों के महत्व, तुलसी की महिमा और भगवान विष्णु की भक्ति और पूजा विधि के बारे में वर्णन किया गया है और इस पुराण का प्रवचन लोमहर्षक के पुत्र सूत उग्रश्रवा ने किया था.
3) विष्णु पुराण (Vishnu Purana) :
विष्णु पुराण में कुल 126 अध्याय और 26 हजार श्लोक हैं इस पुराण में भगवान विष्णु को परम देव बताने के अलावा उनसे सम्बंधित कथाएं जैसे कि समुंद्र मंथन, भक्त प्रह्लाद की कथा, राज ऋषियों और देव ऋषियों के चरित्र को बतलाने के अलावा गृह नक्षत्र, पृथ्वी, ज्योतिष के बारे में भी लिखा गया है इसी पुराण में वेद की शाखाओं और श्राद्ध कर्म विधि का वर्णन है. विष्णु पुराण का वाचक प्रवचन ऋषि पराशर और श्रोता मैत्रेय हैं.
4) वायु पुराण (Vayu Purana) :
वायु पुराण को शिव पुराण भी कहा जाता हैं क्योंकि इसमें भगवान शिव की पूजन विधि और उनकी महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है.इस पुराण 112 अध्याय और कुल 11 हज़ार श्लोक है. वायु पुराण में भूगोल, खगोल, ऋषि वंश, राजवंश, संगीत शास्त्र, वेद शाखाओं शिव भक्ति,युग, सृष्टिक्रम, तीर्थ, युग, श्राद्ध ,और पितरों का वर्णन है.
5) भागवत पुराण (Bhagwat Purana) :
भागवत पुराण सबसे अधिक प्रचलित और प्राचीन पुराण हैं जिसको देवी भागवत पुराण के नाम से भी जाना जाता हैं क्योंकि इसमें देवी शक्ति का वर्णन किया गया है साथ ही इस पुराण को मुक्ति दर्शन वाला पुराण हैं.इस पुराण में कुल स्कंध 12, कुल अध्याय 335 और कुल श्लोक 18 हज़ार हैं और इसमें भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़ी घटनाएं और उनकी लीलाओं के वर्णन के साथ ही इसमें श्रीकृष्ण के देह त्याग, द्वारिका नगरी जलमग्न होने की घटना और पांडवों कौरवों के युद्ध का वर्णन किया गया है.
6) नारद पुराण (Narad Purana) :
नारद पुराण को महापुराण भी कहा जाता हैं जिसमें कुल 207 अध्याय, कुल 25 हज़ार श्लोक है और दो खंडों में बांटा गया है. नारद पुराण में वैष्णव व्रत और उत्सव के वर्णन के अलावा गणेश पूजन, हवन, यज्ञ, ब्रह्मांड की उत्पत्ति, ब्रह्मांड का विनाश, मंत्रोच्चार और महीनों में आने वाले व्रतों की विधियों का भी वर्णन किया गया है. नारद पुराण में ही कलियुग में होने वाले परिवर्तनों से जुड़ी जानकारियां भी मिलती हैं.
7) मार्कण्डेय पुराण (Markandeya Purana) :
मार्कण्डेय पुराण सबसे पुराना और प्राचीन पुराण हैं जिसमें कुल 137 अध्याय और 9 हजार श्लोक है इसमें वैदिक देवताओं का वर्णन के अलावा दुर्गा चरित्र, दुर्गा माहात्म्य, द्रौपदी पुत्रों की कथा, बालभद्र कथा, हरिश्चंद्र की कथा और सूर्य देव के जन्म के बारे में उल्लेख किया गया है. मार्कण्डेय पुराण का प्रवचन कर्ता ऋषि मार्कण्डेय और श्रोता क्रोश्टुकी शिष्य हैं.
8) अग्नि पुराण (Agni Purana) :
अग्नि पुराण को अग्नि देव ने वशिष्ठ जी को सुनाया था जिसके कारण से इन पुराण का नाम अग्नि पुराण रखा गया था. इसमें कुल 363 अध्याय और लगभग 12 हज़ार श्लोक हैं. इस पुराण में भगवान विष्णु जी के सभी अवतारों का वर्णन करने के साथ ही इसमें शिवलिंग, दुर्गा, गणेश, सूर्य पूजन विधि प्राणप्रतिष्ठा और भूगोल, गणित, ज्योतिष, विवाह, मृत्यु, शकुन विधा, वास्तुशास्त्र धर्मशास्त्र, आयुर्वेद, छन्द, काव्य और व्याकरण का भी वर्णन मिलता है. अग्नि पुराण को संस्कृति और विधाओं का खजाना माना गया है.
9) भविष्य पुराण (Bhavishya Purana) :
भविष्य पुराण में भविष्य की घटनाओं का वर्णन किया गया है जिसको दो खण्ड में बांटा गया है पूर्व खण्ड इसके अंदर कुल 41 अध्याय हैं और उत्तर खण्ड इसमें 171 अध्याय और कुल 15 हजार श्लोक व कुल 5 पर्व है इसमें धर्म, नीति, सदाचार, व्रत, दान, आयुर्वेद, ज्योतिष का वर्णन किया गया है.
10) ब्रह्म वैवर्त पुराण (Brahma Vaivarta Purana) :
ब्रह्म वैवर्त पुराण एक वैष्णव पुराण जिसमें कुल 18 हजार श्लोक और 218 अध्याय है जिसमें श्रीकृष्ण का चरित्र चित्रण किया गया है और बताया गया है कि कृष्ण से ही शिवजी विष्णुजी, ब्रह्मदेव और सभी प्रकृति जन्मी है और जीवों की उत्पत्ति, जीवों के जन्म उनके पालन पोषण का वर्णन किया गया है इस पुराण को चार खण्ड में बांटा गया है ब्रह्म,प्रकृति, गणेश और श्रीकृष्ण जन्म खण्ड.
11) लिंग पुराण (Linga Purana) :
लिंग पुराण में कुल 163 अध्याय और 11 हज़ार श्लोक हैं इस पुराण में भगवान शिव की उपासना का वर्णन यानि कि शिवजी के 28 अवतारों की कथाओं के साथ शंकर भगवान के ज्योतिर्लिंग रूप में उत्पन्न होने की कथा, व्रतों, शिव पूजन और यज्ञ का वर्णन किया गया है.
12) वराह पुराण (Varaha Purana) :
वराह पुराण में कुल 270 अध्याय और 11 हजार श्लोक है. इस पुराण में भगवान विष्णु जी के वराह अवतार का वर्णन किया गया है. इसी पुराण में पाताल लोक और पृथ्वी लोक के उद्धार की कथा का उल्लेख हैं.
13) स्कन्द पुराण (Skanda Purana) :
स्कन्द पुराण सबसे बड़ा पुराण है जिसमें कुल 81 हजार श्लोक और 20 अध्याय है इस पुराण में भगवान शिव के पुत्रों का वर्णन है स्कन्द यानि कि कार्तिकेय और सुब्रह्मण्य जो शिवजी के पुत्र है. स्कन्द पुराण में यमुना, अयोध्या, बद्रिकाश्रम, द्वारका, कन्याकुमारी, जगन्नाथपुरी, काशी और रामेश्वर तीर्थों का वर्णन हैं इस पुराण में तारकासुर वध और कार्तिकेय के जन्म की कथा को विशेष रूप से उल्लेख किया गया है.
14) वामन पुराण (Vamana Purana) :
बाकी सभी पुराण की तरह इसे भी महर्षि वेदव्यास ने संस्कृत में ही लिखा है और यह पुराण भगवान विष्णु जी के वामन अवतार से सम्बंधित हैं जिसमें कुल 15 अध्याय और 10 हजार श्लोक हैं वामन पुराण में शिव लिंग की पूजा विधि, गणेश पूजन, भक्त प्रह्लाद, वामन अवतार का वर्णन मिलता है इसमें कुल चार संहितायें है.
15) कूर्म पुराण (Kurma Purana) :
कूर्म पुराण में भगवान विष्णु के कूर्म अवतार का उल्लेख किया गया है जिसमें कुल 18 हजार श्लोक और 95 अध्याय हैं जिसको दो भागों में बांटा गया है. कूर्म पुराण में भगवान विष्णु की दिव्य लीला, ईश्वर और व्यास गीता का वर्णन हैं.
16) मत्स्य पुराण (Matsya Purana) :
मत्स्य पुराण में भगवान विष्णु जी के मत्स्य अवतार का और जल प्रलय का भी वर्णन किया गया है जिसमें कुल 291 अध्याय और 14 हजार श्लोक हैं. इस पुराण में व्रत, दान, तीर्थों, यज्ञों की महिमा, मनु के संवाद, तीर्थ यात्रा, प्रयाग महात्म्य, त्रिदेवों की महिमा, नव गृह, तीनों युगों और सावित्री कथा का उल्लेख किया गया है.
17) गरुड़ पुराण (Garuda Purana) :
गरुड़ पुराण एक वैष्णव पुराण हैं जिसके प्रवक्ता खुद भगवान विष्णु हैं और श्रोता उनके वाहन गरुड़ है इस पुराण में कुल 263 अध्याय और 18 हजार श्लोक हैं. गरुड़ पुराण में मनुष्य के मृत्यु से लेकर उनके उद्धार तक कि कथा के अलावा भगवान विष्णु जी की पूजा का भी वर्णन किया गया है.
18) ब्रह्मांड पुराण (Brahmanda Purana) :
ब्रह्मांड पुराण को बहुत ही महत्वपूर्ण पुराण माना गया है क्योंकि इसमें विज्ञान की भी भूमिका है इस पुराण का उपदेश प्रजापति ब्रह्माजी को माना गया है इसमें कुल 109 अध्याय और 12 हज़ार श्लोक हैं. ब्रह्मांड पुराण में चन्द्रवंशी और सूर्यवंशी के वर्णन के साथ साथ सृष्टि के जन्म, सात काल, खगोल शास्त्र का भी उल्लेख मिलता है.
उम्मीद करती हूं कि आप सभी अच्छे से जान ही गए होंगे कि पुराण कितने है और इन अठारह पुराणों के नाम क्या है इन जानकारियों को अधिक से अधिक अपने परिजनों और दोस्तों के बीच शेयर करें और ऐसे ही धर्म से जुड़े जानकारियों को पढ़ने के लिए जुड़े रहें madhuramhindi.com के साथ.
FAQ – सामान्य प्रश्न
पुराण का शाब्दिक अर्थ क्या है ?
प्राचीन कथाओं को बतलाना.
हिन्दू धर्म में कुल कितने पुराण होते हैं ?
अठारह पुराण.
सभी पुराणों के रचयिता कौन है ?
महर्षि वेदव्यास.
सबसे बड़ा पुराण कौन सा है ?
स्कन्द पुराण.
सबसे पुराना और प्राचीन पुराण कौन सा है?
मार्कण्डेय पुराण.
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