Importance of Kheer in Sharad Purnima | हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि के समाप्ति के बाद पाँचवे दिन आने वाली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता हैं जो कि साल की सबसे खास पूर्णिमा मानी जाती है शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा और कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं माना जाता हैं कि इसी पूर्णिया के दिन श्रीकृष्ण ने गोपियों के संग महारास रचाया था इस दिन लक्ष्मी माँ की पूजा करना जातक के लिए लाभदायक होता है कहा जाता हैं कि शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा धरती के काफी नजदीक होता है और इस दिन आधी रात यानि कि मध्यरात्रि के दौरान लक्ष्मी माँ धरती पर भ्रमण करके अपने भक्तों के दुख कष्टों को दूर करती हैं. धन दौलत लाभ और ऐश्वर्य के लिए शरद पूर्णिमा की रात काफी महत्वपूर्ण होती हैं इसके साथ ही शरद पूर्णिमा की रात्रि में खुले आसमान के नीचे खीर रखने का विधान है.
Why is kheer kept under the open sky on the night of Sharad Purnima? शरद पूर्णिमा की रात्रि में खुले आसमान के नीचे खीर क्यों रखा जाता हैं :
धार्मिक मान्यता है कि चंद्रमा को मन और औषधि का देवता कहा जाते हैं. शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा अपनी सोलह (16) कलाओं से परिपूर्ण होकर धरती पर अमृत की वर्षा करती हैं इसलिए शरद पूर्णिमा की शीतल चांदनी में खुले आसमान में खीर रखने का परंपरा है. खीर को बनाने में सभी मौजूद चीजें जैसे कि दूध, चीनी, और चावल के कारक चंद्रमा ही है जिसके कारण खीर में चंद्रमा का प्रभाव सबसे अधिक रहता है यही कारण है कि शरद पूर्णिमा के रात्रि में खुले आसमान के नीचे रखे खीर पर जब चंद्रमा की किरणें पड़ती है तो यही खीर अमृत समान हो जाती हैं और इसमें औषधीय गुण भी आ जाते हैं जिसको प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से वर्ष भर व्यक्ति निरोग रहता है.
अगले सुबह इस खीर (Sharad Purnima Kheer) को सेवन करने से सेहत अच्छी और निरोगी रहती है कहीं कहीं इस खीर में कुछ औषधियां को मिलाकर दमा के रोगियों का इलाज कराया जाता हैं. यह खीर पित्तशामक, शीतल और सात्विक होने के साथ आरोग्यता और प्रसन्नता में सहायक सिद्ध होता है मान्यता है किइस खीर के सेवन से साल भर चित्त को शांति की प्राप्ति होती हैं.
Importance of Kheer in Sharad Purnima | आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा पर खीर का लाभ और महत्व :
1) श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार चन्द्रमा औषधि के देवता माने गए हैं और शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा अपनी सोलह (16) कलाओं के परिपूर्ण होकर अमृत की वर्षा करती है इसलिए शरद पूर्णिमा की रात में खुले आसमान के नीचे दूध और चावल से बनी खीर को रखा जाता है जिससे कि चंद्रमा की किरणें खीर पर पड़ती है इसी वजह से इसमें औषधीय गुण की प्राप्ति होती हैं.
2) मान्यता है कि शरद पूर्णिमा में चांदी के बर्तन में खीर को रखने के बाद अगर उसका सेवन किया जाए तो रोगप्रतिरोधक क्षमता दुगुनी हो जाने से सभी रोगों का नाश हो जाता हैं. चांदी के बर्तन में खीर के सेवन के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है कि चांदी में प्रतिरोधक क्षमता बहुत होने से विषाणु दूर रहते हैं जिसे यह खीर अमृत के समान हो जाती हैं.
3) शरद पूर्णिमा की रात्रि 10 से 12 बजे के बीच चंद्रमा का प्रभाव अधिक रहने की वजह से इस समय चंद्रमा के दर्शन जरूर करने चाहिए कहा जाता हैं इस समय जिस पर भी चन्द्रमा की किरणें पड़ती हैं उसको नेत्र सम्बंधित परेशानी, दमा जैसी बीमारियां समाप्त हो जाती हैं.
4) मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि में रखे खीर के सेवन करने से पुनयौवन शक्ति को प्राप्त करता है.
5) शरद पूर्णिमा पर खीर का सेवन करना शीत ऋतु का आगमन का प्रतीक हैं और ऐसे में गर्म चीजों को खाने से स्वास्थ लाभ मिलने के साथ शरीर में ऊर्जा बनी रहेगी.
इस लेख को पढ़ने के बाद आप जान चुके कि शरद पूर्णिमा की रात में खुले आसमान के नीचे खीर क्यों रखा जाता हैं और इसका महत्व क्या है तो इस जानकारी को अपने दोस्तों और परिवार के बीच शेयर करें और ऐसे ही जानकारी से जुड़ा लेख को पढ़ने के लिए जुड़े रहें madhiramhindi.com के साथ.
FAQ – सामान्य प्रश्न
श्रीमद्भागवत महापुराण में चंद्रमा को किसका देवता माना गया है ?
औषधि.
शरद पूर्णिमा के रात्रि में आसमान के नीचे रखे खीर को खाने से किस रोग से मुक्ति मिलती हैं?
दमा (अस्थमा)
शरद पूर्णिमा की रात में चंद्रमा कितनी कलाओं से परिपूर्ण रहता हैं ?
सोलह (16) कलाओं
शरद पूर्णिमा की रात में किस समय चंद्रमा का प्रभाव अधिक रहता है ?
रात्रि के 10 से 12 बजे के बीच.
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