Somvati Amavasya 2023 | इस साल कार्तिक सोमवती अमावस्या नवंबर 2023 में कब है? जानेगें इसके नियम और महत्व को.

Somvati Amavasya 2023

Somvati Amavasya 2023 | हिन्दू धर्म में सोमवती अमावस्या को बहुत महत्वपूर्ण दिन माना गया है जो अमावस्या सोमवार को पड़ती है वो सोमवती अमावस्या कहलाती हैं जो कि साल में एक या फिर दो बार पड़ती हैं. मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन व्रत करना सबसे पुण्यदायी होता है और इस व्रत को विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु की कामना के लिए करती हैं. धार्मिक शास्त्रों में सोमवती अमावस्या व्रत को अश्वत्व प्रदक्षिणा व्रत की संज्ञा दी गई हैं जिसमें अश्वत्व अर्थात पीपल का वृक्ष और पीपल का वृक्ष में भगवान विष्णु का निवास होता हैं यही कारण है कि सोमवती अमावस्या के दिन भगवान विष्णु की भी पूजा किया जाता हैं. इस दिन स्नान व दानन को सब पर्वों में सर्वश्रेष्ठ माना गया हैं. ऋषि व्यास के कथन अनुसार इस दिन मौन व्रत और स्नान ध्यान करने से सहस्त्र (एक हजार) गोदान का पुण्य फल की प्राप्ति होती हैं.

मान्यता है कि महाभारत (Mahabharata) में युधिष्ठिर को भीष्म पितामह ने इस दिन का महत्व को बताया था कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ और दुखों से मुक्त होगा. कहा जाता हैं कि सोमवती अमावस्या में स्नान करने से पितरों की आत्माओं को मोक्ष और शांति मिलती हैं.

Somvati Amavasya 2023 | आइए जानते हैं इस साल 2023 नवंबर में कार्तिक सोमवती अमावस्या कब है :

साल 2023 नवंबर में सोमवती अमावस्या (Amavasya Kab hai) 13 नवंबर 2023 को हैं जिसमें अमावस्या तिथि की शुरुआत होगी 12 नवंबर 2023 दिन रविवार को दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से लेकर दूसरे दिन यानि कि 13 नवंबर 2023 दिन सोमवार के 02 बजकर 57 मिनट तक.

Somvati Amavasya 2023 | आइए अब जानते है कार्तिक सोमवती अमावस्या के नियम को :

सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की 108 बार धागा लपेटकर परिक्रमा करने के साथ ही इस दिन भगवान विष्णु की भी पूजा करने का नियम है. इस दिन धान, पान और हल्दी गांठ को मिलाकर इसे विधि विधान के साथ तुलसी के पौधे पर अर्पित किए जाते हैं. पूजा के समय प्रदक्षिणा के लिए 108 फल को अलग रखा जाता हैं जिसे पूजा के समापन के बाद वेदपाठी ब्राह्मणों को दान करना चाहिए.

Somvati Amavasya 2023 | आइए जानतें हैं कार्तिक सोमवती अमावस्या के महत्व को :

सोमवती अमावस्या का व्रत सुहागिन महिलाओं का प्रमुख व्रत हैं जिसमें महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत करती हैं और अपने सामर्थ्य के अनुसार दान किया करती हैं जो भी महिलाएं हर अमावस्या का व्रत नहीं कर सकती उसे सोमवती अमावस्या का व्रत अवश्य करना चाहिए और पीपल के वृक्ष की 108 बार धागा लपेटते हुए परिक्रमा करनी चाहिए. पीपल के वृक्ष की विधि विधान से पूजा करने और सोमवती अमावस्या का व्रत करने से सुख और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं.इस दिन पितरों को जल से तर्पण देने से पितृ शांत होने के साथ ही उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती हैं. सोमवार का दिन चन्द्रमा का होता है और सोमवती अमावस्या के दिन सूर्य और चन्द्रमा एक सीध में स्थित रहने के कारण यह पर्व विशेष पुण्य फलदायक होता हैं.

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FAQ – सामान्य प्रश्न

सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या क्या कहलाती हैं ?

सोमवती अमावस्या.

सोमवती अमावस्या व्रत को किसकी संज्ञा दी गई हैं ?

अश्वत्व प्रदक्षिणा.

इस साल का कार्तिक सोमवती अमावस्या कब है ?

13 नंवबर 2023 दिन सोमवार. 


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