Shivji | भगवान शिव जो देवो के देव महादेव कहलाते हैं जिनसे इस ब्रह्मांड की शुरुआत भी और अंत भी. मान्यता है कि भगवान शिव एक लोटे जल के अभिषेक से प्रसन्न होकर भक्त के सभी दुख दूर करने के साथ उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर देते हैं. भगवान शिव का रहन सहन और गण बाकी सभी देवताओं से विभिन्न होते हैं. भगवान शिव के एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे हाथ में डमरू और गले में नाग है तो वही उनके सिर से निकलती गंगा व जटाओं में अर्धचंद्र और यह सभी विशेष चीजें सदैव भगवान शिव के साथ रहती हैं और यही सभी बातें भगवान शिव को और रहस्यमयी बनाती हैं लेकिन क्या यह चीजें भगवान शिव के साथ ही प्रकट हुई थी या फिर इसके पीछे कोई ओर रहस्य छुपा हुआ है.
जानते हैं कहां से आया भगवान शिव के पास त्रिशूल, डमरू और गले में नाग :
1) जानिए कैसे मिला भगवान शिव को त्रिशूल :
भगवान शिव सर्वश्रेष्ठ अस्त्र – शस्त्र के ज्ञाता कहलाते हैं. धार्मिक मान्यता अनुसार भगवान शिव को सभी तरह के अस्त्रों और शास्त्रों का ज्ञान सदैव रहा है और उन्होंने ही धनुष और त्रिशूल का निर्माण किया था लेकिन सबसे पहले धनुष का प्रयोग किया था तो वही त्रिशूल के बारे में मान्यता है कि सृष्टि के आरंभ में जब भगवान शिव ब्रह्मांड से प्रकट हुए तो उनके साथ तीन गुण रज, तम और सत भी प्रकट हुए और यही तीन गुण भगवान शिव के तीन शूल अर्थात त्रिशूल बने कहा जाता है कि इन तीन गुणों के बिना सृष्टि का सृजन और सामंजस्य मुश्किल था यही कारण है कि भगवान शिव ने इन तीनों गुणों को एक शूल में बांधकर अपने हाथों में रखा है और इन तीनों शूल से मिलकर ही त्रिशूल का निर्माण हुआ है.
2 ) जानिए कैसे मिला भगवान शिव को डमरू :
पौराणिक मान्यतानुसार सृष्टि के शुरुआत में जब देवी सरस्वती अवतरित हुई तो उन्होंने सृष्टि को अपने वीणा से ध्वनि तो दिया किंतु इस ध्वनि में ना तो कोई सुर ही था और ना ही कोई भी संगीत ही था तब भगवान शिव ने नृत्य किया जिसके दौरान उन्होंने चौदह (14) बार डमरू को बजाया जिसके फलस्वरूप डमरू से सुर – ताल – संगीत से सृष्टि में ध्वनि का जन्म हुआ. शिव महापुराण में वर्णित किया गया है कि डमरू भगवान शिव का ब्रह्मा स्वरूप है.
3) जानिए कैसे आया भगवान शिव के गले में नाग :
भगवान शिव के गले में सदैव मौजूद रहने वाला नाग वासुकी नाग है और शिवपुराण में इस वासुकी नाग के बारे में वर्णित किया गया है कि यह नागों का राजा हैं जिनका नागलोक पर शासन हैं. और यही वासुकी नाग ने ही समुंद्र मंथन के समय रस्सी का कार्य किया था जिससे कि समुंद्र को मथा गया था. मान्यता है कि वासुकी नाग भगवान शिव के परम् भक्त थे और जिनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनको नागलोक का राजा भी बना दिया इसके अलावा भगवान शिव ने वासुकी को अपने गले में आभूषण के समान लिपटे रहने का वरदान भी दिया. वासुकी नाग को गले मे लिपटा कर रखने से भगवान शिव का सौंदर्य बढ़ने के साथ नागलोक का राजा वासुकी भी अमर हो गया.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) भगवान शिव का त्रिशूल किन तीन गुणों का प्रतिनिधि करता है ?
रज, तम और सत.
2) किस नाग के द्वारा समुंद्र मंथन के समय समुंद्र को मथा गया था ?
वासुकी नाग.
3) सृष्टि के शुरुआत में भगवान शिव ने नृत्य करके कितनी बार डमरू को बजाया था ?
चौदह (14) बार.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.