Chaurchan Parv 2023 | बिहार के लोगों का जीवन प्रकृति संसाधनों से भरा पूरा हैं, इन लोगों को प्रकृति से जीवन निर्वाह करने के लिए सभी वस्तु मिली मिली हुई है जिसका पूरा सम्मान भी ये लोग करते हैं. इसी प्रकार यहां की संस्कृति में प्रकृति की पूजा उपासना का बहुत महत्व है. बिहार (Bihar) में खासकर मिथिला प्रान्त के अधिकतर पर्व और त्यौहार का नाता प्रकृति से जुड़ा हुआ है जहां छठ में उगते और डूबते सूर्य की उपासना की जाती हैं तो वहीं चौरचन में चांद की पूजा को बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं.
Chaurchan Parv 2023 | जानते हैं कि चौरचन पर्व कब मनाया जाता है :
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है और इसी समय चौरचन पर्व का भी मनाया जाता है. चौरचन के पर्व को चौठ चंद्र भी कहा जाता हैं. इस त्यौहार पर चंद्र देव की पूजा अर्चना की जाती हैं क्योंकि माना जाता हैं कि जो व्यक्ति इस दिन शाम के समय भगवान गणेश के साथ साथ चंद्र देव की पूजा करते हैं वह चंद्र दोष से मुक्त हो जाते हैं.
Chaurchan Parv 2023 | जानते हैं कि इस साल कब है चौरचन का पर्व :
इस साल 2023 का चौरचन का पर्व 19 सितंबर 2023 दिन मंगलवार को मनाया जायेगा.
Chaurchan Parv 2023 | अब जानते हैं चौरचन पर्व की पूजा विधि को :
1) जिस दिन चौरचन का त्यौहार होता है, उस दिनसुबह जल्दी उठना चाहिए.
2) सुबह उठने के बाद नित्यक्रम पूरा करने के बाद स्नान करना चाहिए.
3) स्नान करने के बाद घर की महिलाएं अपने पुत्रों की लंबी उम्र और घर की सुख शांति के लिए सुबह से लेकर शाम तक व्रत को रखती हैं.
4) इस त्यौहार में तरह तरह के पकवान जैसे कि मीठी पूरी, खीर, ठेकुआ के साथ सादा पूड़ी तो कहीं कहीं दाल पूड़ी बनाये जाते हैं. इस त्यौहार में दही का बहुत खास महत्व है क्योंकि इस पर्व में दही का शामिल करना बहुत ज्यादा आवश्यक माना जाता हैं.
5) शाम तक व्रत रखने के बाद घर के आंगन को गाय के गोबर से लीपा जाता हैं. लीपने के बाद कच्चे चावल को पीसकर रंगोली तैयार करके इससे आंगन को सजाया जाता हैं.
6) इसके बाद घर में जितने लोग होते हैं, उतनी ही पकवानों से भरी डाली और दही के बर्तन को रखे जाते हैं.
7) इसके बाद एक एक करके पकवानों वाली डाली, दही के बर्तन, केला और खीर को हाथों में उठाकर चंद्रमा को अर्पित किया जाता हैं यहां दूध का अर्ध्य दिया जाता हैं.
8) इस प्रकार से पूजा और अनुष्ठान पूरे हो जाने के बाद पहले घर के बच्चे और पुरूष भोग को खाते हैं उसके पश्चात व्रती अपना व्रत खोलते हैं.
9) इस पर्व में बचे हुए भोग और पकवानों को किसी स्वच्छ ज़मीन पर दबा दिया जाता हैं.
10) चौरचन की पूजा पूरी विधि विधान और स्वच्छता से करनी चाहिए तभी फल की प्राप्ति होती हैं, विधिपूर्वक इस पर्व की पूजा करने से भगवान गणेश के साथ साथ चंद्र देव प्रसन्न होते हैं.
Chaurchan Parv 2023 | अब जान लेते हैं चौरचन पर्व के महत्व को :
जैसा कि छठ पूजा सूर्य देव की आराधना करने के लिए मनाया जाता है ठीक ऐसे ही चौरचन का पर्व चंद्र देव की आराधना करने के लिए मनाया जाता हैं. इस पर्व के बारे में धार्मिक मान्यता है कि चंद्र देव की पूजा करने से व्यक्ति झूठे कलंक से अपने आप को बचा लेता है कहा जाता है कि इस दिन कोई व्यक्ति चंद्र देव की सच्चे भाव से पूजा अर्चना करता है तो चंद्र देव प्रसन्न होकर व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
Chaurchan Parv 2023 | अब जानते हैं इस पर्व में दही के महत्व को :
चौरचन पर्व में दही का बहुत महत्व है .इस पर्व में दही को मिट्टी के बर्तन में जमाया जाता हैं कहा जाता हैं कि इस तरह से दही जमाने से दही का स्वाद बहुत ही खास हो जाता हैं और इसी दही का उपयोग पूजा के दौरान इसका भोग चंद्र देव को लगाया जाता हैं.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
चौरचन का पर्व किस राज्य का प्रसिद्ध पर्व है
बिहार का.
चौरचन पर्व कब मनाया जाता हैं ?
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि .
इस साल 2023 मे चौरचन पर्व कब मनाया जाएगा.
19 सितंबर 2023 दिन मंगलवार
चौरचन पर्व में किस भगवान की पूजा की जाती हैं ?
चंद्र देव की
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.