Lord Vishnu’s beloved Sheshnag | नागों के स्वामी शेषनाग को भगवान विष्णु का प्रिय कहा जाता हैं और जगत के पालनहार भगवान विष्णु शिव सागर में शेषनाग की शैय्या पर ही विश्राम करते हैं. धार्मिक मान्यता है कि शेषनाग की पूजा आराधना करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है कहा जाता है कि शेषनाग का जन्म नागों के कुनबे में सबसे पहले हुआ था यही कारण है कि इनको ब्रह्मांड का पहला नाग माना जाता है. शेषनाग के एक हजार फन है जिन पर इन्होंने ग्रहों के साथ ही समस्त ब्रह्मांडों का भार उठा रखा है इसीलिए ब्रह्मांड के निर्माण और विनाश में भी शेषनाग की एक बहुत ही विशेष भूमिका है रामायण से लेकर महाभारत तक ऐसे कई पुराण है जिसमें शेषनाग का उल्लेख मिलता है किंतु एक कथा के अनुसार शेषनाग ने क्रोध में आकर अपनी ही माता का त्याग करके प्रभु श्री नारायण हरि की शरण में चले गए थे.
Lord Vishnu’s beloved Sheshnag | क्यों शेषनाग ने अपनी ही माता का त्याग किया था :
पौराणिक कथानुसार ब्रह्माजी के मानस पुत्र प्रजापति कश्यप की दो पत्नियों थी जिसका नाम कद्रु और विनिता था और यह दोनों दक्ष प्रजापति की पुत्रियां थी. एक बार ऋषि कश्यप ने प्रसन्न होकर अपनी दोनों पत्नी कद्रु और विनिता को मुंहमांगा वरदान मांगने को कहा तब कद्रु ने अपने जैसे तेजस्वी सौ नागों को पुत्र के रूप में पाने का वरदान मांगा तो वही विनिता ने केवल दो पराक्रमी पुत्रों का वरदान मांगा और इस तरह वर प्राप्ति के बाद कद्रु ने सौ नागों को जन्म दिया जिसमें शेषनाग नागों में सबसे पहले प्रकट हुए और विनिता से दो पक्षियों का जन्म हुआ.
कद्रु और विनिता वैसे तो दक्ष प्रजापति की पुत्रियां थी लेकिन कद्रू को विनीता से हमेशा जलन और ईर्ष्या होती रहती थी और इसी ईर्ष्या के वजह से एक बार कद्रू ने छलपूर्वक विनिता को हरा दिया और उसे अपना दासी बना लिया किंतु जब शेषनाग ने देखा कि उसकी माता और भाइयों ने मिलकर मौसी विनीता के साथ छल किया है तो वह बहुत दुखी हुआ तब उन्होंने अपनी माता और भाइयों को छोड़कर गंधमादन पर्वत पर तपस्या करने चले गए. ब्रह्माजी को प्रसन्न करने के लिए शेषनाग ने कठिन तपस्या की जिसके फलस्वरुप शेषनाग की कठिन तपस्या देखकर ब्रह्मा जी प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान मांगने को कहा तब शेषनाग ने कहा कि भगवन ! मेरे सभी भाई मंदबुद्धि है जिससे मैं उनके साथ नहीं रहना चाहता इसके साथ ही वे मेरी मौसी विनिता और उनके पुत्रों से द्वेष रखते हैं.
शेषनाग के इस निस्वार्थ भक्ति से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने उनको वरदान दिया कि तुम्हारी बुद्धि कभी भी धर्म से विचलित नहीं होगी इसके अलावा ब्रह्माजी ने कहा कि पृथ्वी हमेशा हिलती – डुलती रहती है इसलिए इसे तुम अपने फन पर ऐसे धारण करो कि यह स्थिर हो जाए. तभी से यह कहा जाता हैं कि शेषनाग ने पृथ्वी का भार को उठाएं हुए हैं. मान्यता है कि शेषनाग की माता का नाम कद्रू होने के वजह से इनको कद्रूनंदन, अनन्त, आदिशेष, काश्यप भी कहा जाता हैं. धर्मग्रंथों और पुराणों में शेषनाग के छोटे भाइयों का जैसे कि वासुकी, तक्षक, काकोर्टक और धनंजय का उल्लेख मिलता है. भगवान विष्णु के साथ ही शेषनाग ने कई अवतार लिए हैं जैसे कि त्रेतायुग में लक्ष्मण और फिर द्वापर युग मे बलराम जी के रूप में अवतरित हुए थे.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) भगवान विष्णु के प्रिय किसे कहा जाता हैं ?
शेषनाग
2) ऋषि कश्यप की पत्नियों का क्या नाम था ?
कद्रू और विनिता.
3) शेषनाग की माता का क्या नाम है ?
कद्रू.
4) शेषनाग किस पर्वत पर तपस्या करने गए थे ?
गंधमादन पर्वत.
5) त्रेतायुग में भगवान विष्णु के साथ शेषनाग ने किस रूप में अवतार लिया था ?
लक्ष्मण.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.