Mauni Amavasya Vrat Katha | हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का बहुत विशेष महत्व होता हैं जो कि माघ मास की कृष्ण पक्ष में पड़ती हैं यही कारण है कि इसे माघी अमावस्या भी कहा जाता हैं. मौनी अमावस्या को सभी अमावस्या तिथियों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है और मौनी अमावस्या एक ऐसा अमावस्या हैं जिसमें मौन व्रत रखकर धर्म कर्म करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती हैं. धार्मिक मान्यता है कि माघ अमावस्या के दिन जो गंगा स्नान करता है उसे पितरों के आशीर्वाद से भौतिक सुखों की प्राप्ति होने के साथ ही मृत्यु की बाद मोक्ष की प्राप्ति होती हैं. कहा जाता हैं कि मौनी अमावस्या के दिन व्रत रखने से शरीर की सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास में वृद्धि होती हैं तो वहीं मृत्यु समान कष्ट से मुक्ति मिलती हैं.
Mauni Amavasya Vrat Katha | मौनी अमावस्या व्रत कथा :
प्राचीन काल में कांचीपुरी में देवस्वामी नामक ब्राह्मण एक रहता था जिसकी पत्नी का नाम धनवती और उनके सात पुत्र और एक पुत्री थी जिस पुत्री का नाम गुणवती था. ब्राह्मण ने सातों पुत्रों का विवाह करने के बाद बेटी के लिए वर को तलाश करने के लिए उन्होंने अपने सबसे बड़े पुत्र को भेजा. उसी दौरान किसी ज्योतिष ने ब्राह्मण की पुत्री की जन्मकुंडली को देखकर बताया कि यह कन्या सप्तपदी होते ही विधवा हो जाएगी. तब उस ब्राह्मण ने ज्योतिष से पुत्री के इस वैधव्य दोष का निवारण पूछा तब ज्योतिष ने बताया कि सिंहल द्वीप पर एक सोमा नाम की धोबिन रहती हैं अगर वो कन्या की शादी से पहले घर आकर वह पूजन करें तो यह दोष दूर हो जाएगा इसलिए जैसे तैसे उसको प्रसन्न करो और गुणवती के विवाह से पहले उसे यहां बुला लो.
ब्राह्मण ने अपने सबसे छोटे पुत्र के साथ गुणवती को सिंहल द्वीप भेजा तब देवस्वामी का पुत्र अपनी बहन को साथ लेकर सिंहलद्वीप जाने के लिए सागर तट पर गया लेकिन सागर पार करने की चिंता में भाई बहन एक वृक्ष की छाया में बैठ गए. उस वृक्ष पर एक घोंसले में गिध्द का परिवार रहता था और उस समय घोसलें में केवल गिद्ध के बच्चे थे जोकि उस भाई बहन के क्रिया कलापों को देख रहे थे जब शाम में गिद्ध के बच्चों की माँ आई तो उन्होंने भोजन नहीं किया और अपनी माँ से कहा कि – नीचे दो प्राणी सुबह से भूखे प्यासे बैठे हैं जब तक वे कुछ नहीं खाते तब तक हम भी नहीं खायेंगे. तब दया और ममता से वशीभूत होकर गिद्ध माता उस भाई बहन के पास गई और बोली – मैंने आपकी इच्छाओं को जान लिया है. इस वन में जो भी फल फूल कंद मूल मिलेगा, उसे मैं ले आती हूँ. आप दोनों भोजन कर लीजिए मैं सुबह आप दोनों को सागर पार कराके सिंहलद्वीप की सोमा के पास पहुंचा दूंगी.
गिद्ध माता की सहायता से दोनों भाई बहन सोमा के घर जा पहुंचे और रोजाना वे प्रातः उठकर सोमा का घर झाड़ कर लीप दिया करते थे. एक दिन सोमा ने अपनी बहुओं से पूछा – कि हमारे घर कौन बुहारता हैं और कौन लीपता – पोतता हैं ? तब सभी बहुओं ने कहा – कि हमारे अलावा और कौन बाहर से इस कार्य को करने आएगा लेकिन सोम को उनकी बातों पर विश्वास नहीं हुआ और इस रहस्य को जानने के लिए वह सारी रात्रि जाएगी और सबकुछ अपनी आंखों से प्रत्यक्ष देखकर जान गई तब सोमा ने उस भाई बहन से बातचीत किया और इस तरह से कार्य करने का कारण पूछा तब गुणवती के भाई ने सोमा को बहन सम्बंधी सारी बाते को बता दिया.सोमा ने उनकी श्रम साधना और सेवा से प्रसन्न होकर सही समय पर उसके घर पहुंचने का वचन देकर कन्या के वैधव्य दोष दूर करने का आश्वासन भी दिया लेकिन गुणवती के भाई ने उसे अपने साथ चलने का आग्रह किया और आग्रह को स्वीकार करके सोमा उन दोनों के साथ चल दी पर चलते समय सोमा ने अपनी बहुओं से बोली कि अगर मेरी अनुपस्थिति में किसी की मृत्यु हो जाएं तो उसके शरीर को नष्ट मत होने देना मेरा इंतज़ार करना और फिर सोमा गुणवती और उसके भाई के साथ कांचीपुरी पहुँच गई.
दूसरे दिन गुणवती के विवाह का कार्यक्रम तय हुआ और सप्तपदी होते ही गुणवती का पति मर गया तब सोमा ने तुरंत अपने संचित पुण्यों का फल गुणवती को प्रदान किया जिससे उसका पति जीवित हो उठा तब सोमा उन्हें आशीर्वाद देकर अपने घर चली गई और उधर गुणवती को पुण्य फल देने से सोमा के पुत्र, जामाता और पति की मृत्यु हो गई तब सोमा ने पुण्य फल संचित करने के लिए अश्वत्व ( पीपल ) वृक्ष की छाया में भगवान विष्णु जी का पूजन करके 108 परिक्रमाएं किया जिसके पूर्ण होते ही सोमा के परिवार के मृतक जन जीवित हो उठे. मौनी अमावस्या व्रत कथा का लक्ष्य यही है कि निष्काम भाव से सेवा का फल सदैव मधुर ही होता है.
उम्मीद है कि आपको मौनी अमावस्या व्रत कथा को पढ़ना पसन्द आया होगा तो इसे अपनों के बीच अधिक से अधिक शेयर करें और ऐसे ही व्रत कथा को पढ़ने के लिए जुड़े रहें madhuramhindi.com के साथ.
FAQ – सामान्य प्रश्न
मौनी अमावस्या कब मनाई जाती हैं ?
माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को.
सही अमावस्याएँ में सर्वश्रेष्ठ कौन सी अमावस्या होती है ?
मौनी अमावस्या.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.