Shivling Puja | हिन्दू धर्म में शिवलिंग को भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है जिनकी पूजा का विशेष महत्व है. शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग में सिर्फ भगवान शिव का ही नहीं बल्कि कई और देवी देवताओं का भी वास होता है माना जाता है कि शिवलिंग के अलग अलग स्थानों को अलग अलग तरीकों से पूजा अर्चना करने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति होती हैं क्योंकि शिवलिंग में भगवान शिव के अलावा कई और देवी – देवताओं का भी वास होता है.
Shivling Puja | शिवलिंग में कौन सी स्थान में किन देवी – देवताओं का वास होता है :
शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग पर सिर्फ भगवान शिव का ही वास नहीं होता जबकि माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय और अशोक सुंदरी भी विराजमान होती है तो चलिए जानते है कि शिवलिंग पर इनका वास कहां हैं और इनकी किस तरह से पूजा करनी चाहिए.
1) अशोक सुंदरी :
अशोक सुंदरी, भगवान शिव और माता पार्वती की पुत्री हैं जिनका जन्म कल्प वृक्ष से भगवान शिव ने माता पार्वती के अकेलेपन को दूर करने के लिए किया था. पद्मपुराण के अनुसार शिवलिंग में इनका स्थान जलाधारी के बीच में है अर्थात जिस स्थान से जल बहकर निकलता है वह स्थान अशोक सुंदरी का स्थान कहलाता है.
अशोक सुंदरी की पूजन विधि :
अशोक सुंदरी की पूजा करने के लिए सबसे पहले शुद्ध जल में गंगाजल को मिलाकर शिवलिंग का स्नान कराने के बाद शिवलिंग पर चंदन का तिलक लगाने के बाद शिवलिंग के जिस स्थान पर अशोक सुंदरी का स्थान है वहां पर तिलक लगाकर बेलपत्र और फूलों की माला को अर्पित करके उनका ध्यान करके अपनी मनोकामनाएं अशोक सुंदरी को बता दें मान्यता है कि ऐसा करने से जल्द ही मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
2) गणेशजी और कार्तिकेय :
शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग के जलाधारी के आगे की ओर जो पद चिन्ह दिखाई देता है उनके दाहिने हिस्सा गणेश जी का स्थान है तो वहीं बाई ओर का हिस्सा कार्तिकेय का स्थान होता हैं.
गणेशजी और कार्तिकेय की पूजन विधि : –
शिवलिंग पर जल चढ़ाने से पहले गणेशजी फिर कार्तिकेय पर जल अर्पित करें और इसके बाद उस स्थान पर दोनों ओर से अपने हाथों से पांच (5) से सात (7) बार इस तरह से दबाना हैं जैसे कि किसी के पैर को दबाया जा रहा हो और इस दौरान “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” मंत्र का जाप करते रहे माना जाता है कि ऐसा करने से अगर दंपत्ति संतान से वंचित हैं या फिर किसी लंबी बीमारी से परेशान हैं तो इनसे छुटकारा मिलता हैं.
3) माता पार्वती :
शिवलिंग के ठीक नीचे जगत जननी माता पार्वती का स्थान होता है शिवपुराण में इस स्थान को हस्त कमल कहा जाता हैं यानि कि माता पार्वती अपने हस्त कमल के ऊपर शिवलिंग को रखी हुई हैं.
माता पार्वती की पूजन विधि : –
शिवलिंग का जो स्थान माता पार्वती का स्थान होता है उस स्थान पर दोनों हाथ से स्पर्श करें और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते रहे माना जाता है कि ऐसा करने से कई बीमारियां से मुक्ति मिलती है.
Shivling Puja Vidhi| शिवलिंग पर कैसे जल को चढ़ाएं :
शिवलिंग पर जल अर्पित करने के लिए तांबे के लोटे में पवित्र जल लेकर पहले गणेशजी के स्थान पर जल अर्पित करें, फिर कार्तिकेय के स्थान पर इसके बाद अशोक सुंदरी के ऊपर और फिर घड़ी की दिशा में माता पार्वती के ऊपर शिवलिंग के चारों ओर एक धार में जल को अर्पित करें और जल अर्पित करते समय “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” या फिर “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते रहे जिससे कि शुभ फल की प्राप्ति हो सकें.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
1) भगवान शिव ने अपनी पुत्री अशोक सुंदरी का जन्म किस वृक्ष से किया ?
कल्प वृक्ष
2) शिवलिंग में अशोक सुंदरी का स्थान कहां हैं ?
शिवलिंग के जलाधारी के बीच.
3) शिवलिंग में गणेशजी का स्थान कहा है ?
जलाधारी के दाहिने ओर.
4) माता पार्वती ने हस्त कमल पर किसको रखा है ?
शिवलिंग.
5) शिवलिंग में कार्तिकेय का स्थान कहा है ?
जलाधारी के बाएं ओर.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.