Vastu Tips for North-East | जानते हैं वास्तु शास्त्र में ईशान कोण के महत्व को, जानेंगे इस दिशा में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए. वास्तु शास्त्र में दिशाओं का बहुत ही विशेष महत्व होता है और घर की हर दिशा के लिए कुछ नियम को बताए गए हैं जिनका ध्यान रखा जाए तो व्यक्ति नकारात्मक ऊर्जा से बच सकता है अगर दिशा की विशेषता के आधार पर उस दिशा में काम करते हैं तो उसका परिणाम बहुत ही सकारात्मक आता है. वास्तु शास्त्र में आठ (8) दिशाएं को बताया गया है और इन दिशाओं में से एक है ईशान दिशा या ईशान कोण.
उत्तर और पूर्व की बीच की दिशा को वास्तु शास्त्र में ईशान कोण कहा जाता है यानि कि वह जगह जहां उत्तर और पूर्व की दिशा आपस में जाकर मिलती है तो वह जगह ईशान कोण कहलाए जाता है और यह दिशा किसी भी इमारत का सबसे पवित्र स्थान होता है माना जाता है कि यहां ईश्वर का वास होता है. वास्तु के अनुसार इस दिशा में बैठकर धार्मिक और मांगलिक कार्यक्रम किए जाते हैं और अगर इस दिशा में बैठकर मंत्र जाप किया जाए तो जातक को जल्दी सिद्धियां प्राप्त हो सकती है. इस दिशा के अधिपत्य देवता भगवान शिव हैं इस वजह से इस दिशा का नाम ईशान है और इस दिशा के स्वामी ग्रह देव गुरु बृहस्पति और केतु होते हैं.
Importance of North-East | तो चलिए जानते हैं ईशान कोण के महत्व को :
वास्तु शास्त्र में ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) की दिशा को बहुत ही पवित्र और शुभ दिशा कहीं जाती है क्योंकि इस दिशा में सभी देवी देवताओं का वास होता है यही कारण है यहां पर हमेशा सबसे ज्यादा सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहता है. कहा जाता है कि जातकों के जीवन में इस दिशा से सुख समृद्धि और ऐशोआराम संबंधी चीजों में बढ़ोतरी होती है. धार्मिक मान्यता है कि यह दिशा देवगुरु बृहस्पति की होती है इसलिए संतान की यह कारक दिशा भी कहलाती है अगर इस दिशा के नियमों का ध्यान रखा जाए तो जातक के जीवन में सुख समृद्धि की वृद्धि होती है.
What to do in North-East of House | घर के ईशान कोण में क्या करना चाहिए : –
1) घर की खुशहाली को पाने के लिए घर के ईशान कोण (North-East) में पूजा का स्थान बनाना चाहिए क्योंकि इस स्थान पर की गई पूजा हमेशा ईश्वर को स्वीकार होती है और जिससे घर की सुख व समृद्धि बनी रहती है.
2) ईशान दिशा को ध्यान की दिशा कहा जाता है इसलिए बच्चों के पढ़ने का कमरा हमेशा ईशान कोण में ही होना चाहिए जिससे बच्चों को इस दिशा में पढ़ाई करने से ध्यान को केंद्रित करने में सहायता मिलती है.
3) ईशान दिशा किसी जल के स्रोत जैसे कुआं, बोरिंग, मटका या फिर पीने के पानी के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है इसलिए नया घर बनाते समय घर के इसी कोने में बोरिंग की व्यवस्था करनी चाहिए या फिर भूमिगत पानी की टंकी बनवानी चाहिए.
4) घर में सकारात्मक ऊर्जा को बनाए रखने और नकारात्मक ऊर्जा नहीं हो इसके लिए इस दिशा के क्षेत्र को हमेशा साफ सुथरा और स्वच्छ रखना चाहिए.
5) ईशान दिशा में देवी देवताओं की तस्वीर रखने के अलावा इस दिशा में तुलसी और केले का पौधे लगाकर उनकी नियमित पूजा करने से आर्थिक लाभ की प्राप्ति होती है.
What not to do in the North-East of the House? घर के ईशान कोण में क्या नहीं करना चाहिए :
1) घर के ईशान कोण में भूलकर भी कभी शौचालय नहीं होना चाहिए क्योंकि माना जाता है कि ऐसा करने से शारीरिक और मानसिक समस्याएं झेलनी पड़ सकती है और घर में कलह और दरिद्रता आती है.
2) वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के ईशान कोण (North-East) में भूलकर भी कोई भी भारी चीज को नहीं रखनी चाहिए क्योंकि माना जाता है कि इस स्थान पर भारी चीज रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार रुक जाता है और इससे धन हानि होती है.
3) घर के ईशान कोण में कभी भी विवाहित दम्पति का बेडरूम नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे आपसी रिश्तों में मनमुटाव होता है और व्यर्थ की समस्या आने लगती है.
4) ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में देवी देवता का वास होने के कारण कभी भी इस दिशा में जूते चप्पल या फिर कूड़ा कचरा इकट्ठा न होने दे क्योंकि ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ेगी और घर में परेशानियां भी आने लगेगी.
5) ईशान कोण में खराब हो चुके किसी भी सामान को नहीं रखना चाहिए और साथ ही इस दिशा की दीवारों का रंग गहरा नहीं करवाना चाहिए.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
ईशान कोण कौन सी हिस्से को कहते हैं ?
उत्तर और पूर्व की दिशा के बीच वाले हिस्सा.
ईशान कोण के अधिपत्य देवता कौन है ?
भगवान शिव.
किस दिशा में सभी देवी देवताओं का वास होता है ?
ईशान दिशा.
ईशान कोण का स्वामी ग्रह कौन है ?
देवगुरु बृहस्पति.
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