Mangalsutra | मंगलसूत्र का इतिहास बहुत प्राचीन है जिसका संबंध माता पार्वती और भगवान शिव से जुड़ा है. मंगलसूत्र दो शब्दों से मिलकर बना है मंगल और सूत्र जिसमें मंगल का अर्थ “पवित्र” और सूत्र का अर्थ “हार ” यानी की पवित्र हार. मंगलसूत्र को विवाह का प्रतीक और सुहाग की निशानी मानी जाती है यही कारण है कि विवाह के बाद हर सुहागन महिलाएं श्रद्धा पूर्वक अपने गले में पति की दीर्घायु, जीवन रक्षा और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए पहनती है. मंगलसूत्र को वैवाहिक जीवन का रक्षा कवच भी माना गया है जिसका जिक्र आदि गुरु शंकराचार्य की पुस्तक सौंदर्य लहरी में भी मिलता है.
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Mangalsutra | आइए जानते हैं मंगलसूत्र की मान्यता को :
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार मंगलसूत्र हर सुहागन महिला के सुहाग को बुरी नजर से बचाता है इसको खोना और टूटना को अपशगुन माना जाता है पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान शिव जी का विवाह माता पार्वती से हो रहा था तब उन्हें सती माता की याद आई इसके साथ उनको वह दृश्य भी याद आने लगा जब सती माता ने हवन की अग्नि में कूद कर अपनी जान दे दी थी इसलिए भगवान शिव ने माता पार्वती की रक्षा के लिए पीले धागे में काले मोतियों को एक रक्षा सूत्र में बांधा. जिसमें पीला भाग माता पार्वती और काले मोतियों को शिव का प्रतीक माना गया इसके साथ यह भी मान्यता है कि मंगलसूत्र में पीले रंग का होना भी बहुत आवश्यक होता है क्योंकि पीला रंग बृहस्पति ग्रह का प्रतीक होता है जो की शादी को सफल बनाने में मदद करता है.
मंगलसूत्र में नौ मोती होते हैं और यह यह मोती ऊर्जा के विभिन्न रूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं कहा जाता है कि यह ऊर्जा पति और पत्नी के को किसी भी बुरी नजर से बचाती है इसके अलावा इन मोतियों के सभी तत्वों को वायु, जल, पृथ्वी और अग्नि की शक्ति माना जाता है और यह चार तत्व स्त्री और पुरुष के बीच संबंध को मजबूत रखने में सहायक होता है.
पुराणों के अनुसार मंगलसूत्र में दिव्य शक्ति का वास होता है जो की नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखता है, बेचैनी कम करती है, खुशीहाली, सुख और संपत्ति को लाता है सोने और काले मोती की दिव्य शक्तियां शादीशुदा विवाहित जोड़े की रक्षा करती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार सोने का संबंध बृहस्पति देव से होता है और गुरु बृहस्पति सुखी और खुशहाल वैवाहिक जीवन के कारक माने जाते हैं तो वही सोना पहनने से सूर्य भी मजबूत होता है और मंगलसूत्र की काली मोतियों का संबंध शनि देव से होता है शनि जो की स्थायित्व के प्रतीक होते हैं ऐसे में सोने और काले मोतियों से बना मंगलसूत्र पहनने से सूर्य, गुरु और शनि का शुभ प्रभाव वैवाहिक जीवन पर पड़ता है.
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Importance of the Mangalsutra |आइए जानते हैं मंगलसूत्र के महत्व को : –
मंगलसूत्र सनातन धर्म को मानने वाली सुहागन महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. मंगलसूत्र में एक धागे में काले मोती होते हैं और एक सोना होता है जिसमें पिरोये गए काली मोती से अशुभ शक्तियां दूर रहती है. मान्यता है कि मंगलसूत्र सभी स्थितियों में और परिस्थितियों में पति की रक्षा करता है पति पर आने वाली तमाम विपत्तियों को भी दूर रखती है यही कारण है कि विवाह के बाद सुहागन स्त्रियां इसे श्रद्धा पूर्वक गले में धारण करती हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार स्त्री के मंगलसूत्र पहनने से कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत होते हैं और उसके साथ ही मंगल दोष दूर भी होता है. हिंदू धर्म में मंगलसूत्र को कभी अशुद्ध नहीं माना जाता चाहे घर में सूतक, पातक लगा हो या फिर ग्रहण ही क्यों ना लगा हो लेकिन मंगलसूत्र का खोना या टूट जाना बहुत ही अपशगुन माना जाता है.
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Why do women wear Mangalsutra after marriage? | आइए जानते हैं महिला मंगलसूत्र को शादी के बाद ही क्यों पहनती हैं : –
क्यों पहनते हैं मंगलसूत्र? मंगलसूत्र को विवाह का प्रतीक चिन्ह और सुहाग की निशानी कहा जाता है यही कारण है कि विवाह के बाद सुहागन महिलाएं श्रद्धा पूर्वक अपने गले में मंगलसूत्र को धारण करती है मंगलसूत्र सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही प्रिय माना जाता है. विवाह के समय दुल्हन को मंगलसूत्र उसके पति के द्वारा पहनाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है धार्मिक शास्त्र के अनुसार मंगलसूत्र धारण करने से पति और पत्नी के बीच आपसी प्रेम बढ़ता है और बुरी नजरों से बचाने का काम भी मंगलसूत्र करता है इसके अलावा यह भी माना जाता है कि जो सुहागन महिलाएं अपने पति में ही आसक्त होती है इसके साथ वह अपने मन में किसी अन्य पुरुष का चिंतन नहीं करती अपने इष्ट देवता में विश्वास रखती है उनके लिए मंगलसूत्र पति पर आने वाले सभी विपत्ति का नाश ही नहीं करती बल्कि पति को नई ऊर्जा के साथ-साथ उस पर आने वाली तमाम परेशानियों को भी दूर करता है. हिंदू धर्म में मंगलसूत्र का खास महत्व है क्योंकि मंगलसूत्र केवल आभूषण मात्र ही नहीं बल्कि वैवाहिक जीवन का रक्षक कवच भी है यहां तक कि यमराज भी स्त्री के गले में धारण मंगलसूत्र को नमन करती हैं यहीं कारण है कि विवाहिताएं पति की दीर्घायु, जीवन रक्षा और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए विवाह के बाद मंगलसूत्र पहनती है.
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Mangalsutra ke Niyam | मंगलसूत्र से जुड़े नियम : –
1) काले मोती वाला मंगलसूत्र बुरी नजर से बचाता है लेकिन ध्यान दें कि टूटा हुआ मंगलसूत्र कभी भी ना पहने मान्यता है कि इससे पति की जान को खतरा आता है.
2) मंगलसूत्र को सुहाग की निशानी कहा जाता है इसलिए महिलाए इसे कभी भी किसी ओर के साथ शेयर ना करें.
3) मंगलसूत्र को आप स्वयं खरीदें या फिर अपने पति से लें किसी अन्य से मंगलसूत्र लेना अच्छा नहीं माना जाता हैं.
4) मंगलसूत्र को कभी भी मंगलवार को नहीं खरीदे और इसे धारण करने से पहले माता पार्वती को अर्पित करें और फिर उसके बाद धारण करें.
5) जहां तक हो बहुत जरूरी हो तभी मंगलसूत्र को उतारे क्योंकि हिंदू धर्म में महिलाएं इसे अपने से अलग तभी करती है जब पति इस दुनिया में ना हो या फिर उन दोनों के बीच संबंध खत्म हो गए हो.
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FAQ – सामान्य प्रश्न
मंगलसूत्र का संबंध किन भगवान से जुड़ा हुआ है ?
भगवान शिव और माता पार्वती.
मंगलसूत्र को किसकी निशानी माना जाता है?
सुहाग की.
मंगलसूत्र में मंगल और सूत्र का क्या अर्थ है ?
मंगल का अर्थ पवित्र और सूत्र का अर्थ हार .
मंगलसूत्र की काली मोतियों का संबंध किस ग्रह से होता है ?
शनि ग्रह.
अस्वीकरण (Disclaimer) : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना ज़रूरी है कि madhuramhindi.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता हैं.