Baba Baidyanath Dham | आखिर क्या है रहस्य बाबा बैधनाथ में स्थित तालाब का ? जानेंगे इसके पीछे की पौराणिक कथा को

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Baba Baidyanath Dham | बारह ज्योतिर्लिंगों में से नौवां पवित्र ज्योतिर्लिंग बैधनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है इस जगह को लोग बाबा बैजनाथ धाम के नाम से भी जाना जाता हैं कहते हैं भोलेनाथ यहां आने वाले कि सभी मनोकामनाएं पूरी करते है. यह देश का पहला ऐसा स्थान है जहां ज्योतिर्लिंग के साथ शक्ति पीठ भी है क्योंकि मान्यता है कि इस स्थान पर देवी सती माता का ह्रदय गिरा था यहीं वजह है की इस स्थान को हार्दपीठ के नाम से भी जाना जाता हैं इस कारण से इस स्थान की महिमा और भी बढ़ गयी हैं. शिवपुराण के अनुसार बैजनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वंय भगवान विष्णु ने की है.

Baba Baidyanath Dham | बाबा बैधनाथ में स्थित तालाब पौराणिक कथा को :

बाबा बैधनाथ में स्थित तालाब के बारे में कहा जाता हैं कि ये रावण की लघुशंका वाला तालाब है इसके पीछे भगवान शिव के भक्त रावण और बाबा बैधनाथ की कहानी बड़ी ही निराली हैं. पौराणिक कथा के अनुसार  दशानन रावण भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिये हिमालय पर तपस्या कर रहा था वह एक एक करके अपने सिर काटकर शिवलिंग पर चढ़ा रहा था. नौवां सिर चढ़ाने के बाद जब रावण में दसवां सिर काटने वाला था तो भोलेनाथ प्रकट हुए और  प्रसन्न होकर रावण को वर मांगने को बोले तब रावण ने ” कामना लिंग ” को ले जाने का वरदान मांग लिया क्योंकि रावण के पास सोने की लंका के अलावा तीनों लोकों में शासन करने की शक्ति तो थी साथ ही उसने कई देवता, यक्ष और गन्धर्वों को कैद करके लंका में रखा हुआ था इसी कारण रावण ने ये इच्छा जाहिर किया कि भगवान शिव कैलाश को छोड़ लंका में रहे.यह सुनकर सभी देवता परेशान हो गए और ब्रह्माजी के पास गए और बोले ‘अगर शिवजी रावण के साथ लंका चले गए तो सृष्टि का कार्य कैसे होगा’ इसके बाद ब्रह्माजी ने भगवान शिव को सोच समझकर वरदान देने के लिए कहा. इस पर शिवजी ने रावण से कहा – यदि तुम मुझे लंका ले जाना चाहते हो तो ले चलो लेकिन मेरी एक शर्त होगी कि मुझे जहां भी भूमि स्पर्श होगी मैं वहीं ही स्थापित हो जाऊंगा.

इस बात पर रावण सहमत हो गया. भगवान शिव ने एक शिवलिंग का रूप धारण कर लिया इसके बाद रावण शिवलिंग को लेकर जा रहा था इसी दौरान भगवान शिव ने रावण को लघुशंका की इच्छा जगा दी काफी समय तक बर्दाश्त करने के बाद एक चरवाहे को शिवलिंग पकड़ाकर लघुशंका करने लगा इसी समय भगवान ने अपना वजन बढ़ा दिया और चरवाहे ने रावण को आवाज लगाकर कहा ” कि अब इस शिवलिंग को वो उठाए नहीं रख सकता है “. रावण लघुशंका करने में इतना व्यस्त था कि वो चरवाहे  की आवाज को सुन नहीं पाया,इधर चरवाहे ने शिवलिंग को जमीन पर रख दिया और जब रावण लौटकर आया तो लाख कोशिश के बाद भी शिवलिंग को उठा नहीं पाया तब उसे भी भगवान की यह लीला समझ में आ गई और वह क्रोधित होकर शिवलिंग पर अपना अगूंठा गड़ा कर चला गया. कथा के अनुसार उसके बाद ब्रह्मा, विष्णु और अन्य देवताओं ने आकर उस शिवलिंग की पूजा की और शिवजी के दर्शन होते ही शिवलिंग को उसी जगह स्थापित कर दिया तभी से महादेव कामना लिंग के रूप में देवघर में विराजते हैं और साथ में अभी भी रावण की लघुशंका वाला तालाब आज भी हैं. 


FAQ – सामान्य प्रश्न

बैधनाथ ज्योतिर्लिंग कहा स्थित है ?

झारखंड के देवघर में स्थित है.

बैजनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना किसने की ?

शिवपुराण के अनुसार बैजनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वंय भगवान विष्णु ने की है.


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